तेलंगाना के मुलुगु जिले में पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए 20 माओवादियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें डीवीसी (डिविजनल कमेटी) और एसीएम (एरिया कमेटी मेंबर) स्तर के खूंखार माओवादी शामिल हैं। यह कार्रवाई मुलुगु जिले के वाज़ेडु, वेंकटापुरम, और कन्नईगुड़म थाना क्षेत्रों में की गई। गिरफ्तारी के बाद माओवादियों के कब्जे से भारी मात्रा में हथियार, नगदी, और अन्य सामग्री बरामद की गई, जिसने क्षेत्र में उनके संगठन को बड़ा झटका दिया है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, इस ऑपरेशन में गिरफ्तार किए गए 20 माओवादियों में एक डीवीसी मेंबर, पांच एसीएम, और 14 पार्टी मेंबर शामिल हैं। यह गिरफ्तारी तब हुई जब पुलिस को खुफिया जानकारी मिली कि नक्सली मुलुगु के जंगली इलाकों में किसी बड़ी साजिश को अंजाम देने की फिराक में हैं। इसके बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू की और वाज़ेडु, वेंकटापुरम, और कन्नईगुड़म थाना क्षेत्रों में सघन तलाशी अभियान चलाया। इस दौरान माओवादियों को धर दबोचा गया।
गिरफ्तारी के बाद माओवादियों के पास से बरामद सामग्री ने पुलिस को भी चौंका दिया। पुलिस ने 5.56mm INSAS राइफल्स (3), 7.62mm SLR राइफल्स (4), 303 राइफल (1), 8mm राइफल्स (4), 12 बोर हथियार कारतूस (16), लाइव ग्रेनेड्स (2), 58,155 रुपये की नगदी, वॉकी-टॉकी और एंटेना (4), रेडियो (6), चार्जेबल बैटरीज़ (9), पेनड्राइव (6), मेमोरी कार्ड्स (6), कार्ड रीडर्स (8), किट बैग्स (2), और माओवादी साहित्य बरामद किया। इन सामग्रियों से साफ है कि नक्सली किसी बड़ी हिंसक घटना को अंजाम देने की तैयारी में थे।
यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब मुलुगु जिला पहले से ही नक्सली गतिविधियों का गढ़ रहा है। हाल ही में 8 मई 2025 को मुलुगु के नुगुर जंगल क्षेत्र में माओवादियों ने एक घात लगाकर हमला किया था, जिसमें ग्रेहाउंड्स के तीन कमांडो बलिदान हो गए थे और एक असिस्टेंट असॉल्ट कमांडर घायल हुआ था।
उस हमले में माओवादियों ने आईईडी (इम्प्रोवाइज़्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) का इस्तेमाल किया था, जिसके बाद पुलिस ने क्षेत्र में अपनी कार्रवाई तेज कर दी थी। इसके बाद 10 मई को 38 माओवादियों ने भद्राद्री कोठागुडम में आत्मसमर्पण किया था, जिसे पुलिस ने अपनी रणनीति की सफलता बताया था। लेकिन ताजा गिरफ्तारी से साफ है कि माओवादी अब भी मुलुगु के जंगलों में सक्रिय हैं और हिंसा की साजिश रच रहे हैं।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तार माओवादी छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर सक्रिय थे और हाल के दिनों में हुई मुठभेड़ों का बदला लेने की योजना बना रहे थे। छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर करेगुट्टा जंगलों में 21 दिनों तक चले ऑपरेशन में सुरक्षा बलों ने 31 माओवादियों को मार गिराया था और चार हथियार निर्माण इकाइयों को नष्ट किया था। इस ऑपरेशन में आईईडी, बीजीएल शेल्स, और भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद की गई थी। इस कार्रवाई से माओवादी बौखलाए हुए थे, और मुलुगु में उनकी ताजा साजिश इसी का नतीजा मानी जा रही है।
मुलुगु के पुलिस अधीक्षक ने इस कार्रवाई को बड़ी सफलता बताते हुए कहा, "हमारी टीम ने कठिन परिस्थितियों में यह ऑपरेशन सफलतापूर्वक अंजाम दिया। माओवादियों की साजिश को नाकाम करना हमारी प्राथमिकता थी। हम क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।" उन्होंने यह भी अपील की कि बचे हुए माओवादी आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में शामिल हों और शांतिपूर्ण जीवन अपनाएँ।
हालांकि, इस कार्रवाई ने कई सवाल भी खड़े किए हैं। माओवादियों के पास से बरामद हथियार और तकनीकी सामग्री—like वॉकी-टॉकी, पेनड्राइव, और मेमोरी कार्ड्स, यह संकेत देते हैं कि वे अब भी संगठित रूप से काम कर रहे हैं। क्या उनकी फंडिंग और हथियारों की सप्लाई अब भी जारी है? मुलुगु और भद्रद्री कोठागुडम जैसे इलाके, जो छत्तीसगढ़ सीमा से सटे हैं, माओवादियों के लिए सुरक्षित ठिकाने क्यों बने हुए हैं? इन सवालों का जवाब तलाशना पुलिस और सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी चुनौती है।