छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में एक बड़ी खबर सामने आई है। जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के जवानों ने 27 खूंखार नक्सलियों को मार गिराया, जिसमें नक्सल संगठन का सबसे बड़ा नेता बासवराजू भी शामिल था।
इस जीत के बाद नारायणपुर के लोगों ने जवानों का तिलक लगाकर और भव्य समारोह में स्वागत किया। यह देखकर लगता है कि अब नक्सलवाद का अंत बहुत करीब है।
21 मई 2025 को अभुजमाद के घने जंगलों में यह बड़ा ऑपरेशन हुआ। डीआरजी की टीम ने नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और कोंडागांव के जवानों के साथ मिलकर यह कार्रवाई की।
खुफिया जानकारी मिली थी कि नक्सलियों के बड़े नेता, सेंट्रल कमेटी के सदस्य और पीएलजीए (पीपल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी) के लोग वहां मौजूद हैं।
इस ऑपरेशन में मारे गए नक्सलियों पर कुल 13.5 करोड़ रुपये का इनाम था। बासवराजू नक्सल संगठन का सबसे बड़ा नेता था।
इस जीत के बाद नारायणपुर में खुशी की लहर दौड़ गई। भारी बारिश के बावजूद लोग सड़कों पर उतर आए और देर रात तक उत्सव मनाते रहे। स्थानीय लोगों ने जवानों का तिलक लगाकर स्वागत किया।
जवानों ने पारंपरिक बस्तरिया गीतों पर जमकर नृत्य किया, जिसके वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं।
इससे पहले भी छत्तीसगढ़ में ऐसी खुशी देखी गई थी। मार्च 2025 में सुकमा जिले के केरलापाल इलाके में 16 नक्सलियों को मार गिराने के बाद वहां के लोगों ने जवानों को फूलों से सजा दिया था और उनके साथ पारंपरिक नृत्य किया था।
उस समय भी स्थानीय लोगों ने डीआरजी जवानों को गले लगाकर उनकी बहादुरी की तारीफ की थी।
यह ऑपरेशन नक्सलवाद के खिलाफ बड़ी जीत है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी जवानों की तारीफ की।
उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि यह नक्सलवाद को खत्म करने की लड़ाई में एक ऐतिहासिक कदम है।
शाह ने बताया कि ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट के बाद छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र में 54 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया, जबकि 84 ने सरेंडर कर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि 31 मार्च 2026 तक देश को नक्सल मुक्त बनाया जाए।
बस्तर के लोग अब खुद को पहले से ज्यादा सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
नारायणपुर में जवानों का स्वागत देखकर साफ है कि स्थानीय लोग नक्सल विरोधी अभियानों का पूरा समर्थन कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और डिप्टी सीएम अरुण साव ने भी कहा कि बस्तर को नक्सल मुक्त बनाने का उनका मिशन जल्द पूरा होगा।
इस तरह की जीत और लोगों का समर्थन देखकर लगता है कि नक्सलवाद का अंत अब ज्यादा दूर नहीं है।