नक्सल मोर्चे पर सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता: 18 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण, दो पर 8-8 लाख का इनाम

27 May 2025 16:19:49
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छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में सुरक्षाबलों को एक बड़ी कामयाबी मिली है। नक्सलियों की पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) बटालियन में सक्रिय चार नक्सलियों सहित कुल 18 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है। इनमें से दो नक्सलियों पर 8-8 लाख रुपये का इनाम घोषित था। यह आत्मसमर्पण सुकमा के पुलिस अधीक्षक (एसपी) किरण चव्हाण, सीआरपीएफ रेंज सुक सीआरपीएफ की 80, 212, 219वीं व कोबरा 203 बटालियन के अधिकारियों के समक्ष हुआ। यह सफलता छत्तीसगढ़ शासन द्वारा चलाई जा रही "नक्सल मुक्त ग्राम पंचायत योजना" के तहत मिली है, जिसका उद्देश्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों को हिंसा से मुक्त करना और ग्रामीणों को मुख्यधारा में लाना है।
 
आत्मसमर्पण का विवरण
 
सुकमा जिले में 18 नक्सलियों ने हथियार डालकर आत्मसमर्पण किया। आत्मसमर्पण करने वालों में PLGA बटालियन के चार सक्रिय सदस्य शामिल हैं, जो नक्सलियों की सशस्त्र शाखा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। इनमें से दो नक्सलियों, जिनके नाम अभी सार्वजनिक नहीं किए गए हैं, पर 8-8 लाख रुपये का इनाम घोषित था। यह आत्मसमर्पण सुकमा जिले के पुलिस और सीआरपीएफ की संयुक्त पहल का परिणाम है। सीआरपीएफ की 80वीं, 212वीं, 219वीं और कोबरा 203 बटालियन ने इस ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाई।
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सुकमा के एसपी किरण चव्हाण ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में कई ऐसे लोग शामिल हैं, जो लंबे समय से नक्सल गतिविधियों में संलिप्त थे और कई हमलों में उनकी भूमिका रही है। उन्होंने कहा, "यह आत्मसमर्पण नक्सलियों के खिलाफ हमारी लड़ाई में एक बड़ी जीत है। हमारी कोशिश है कि अधिक से अधिक नक्सली हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटें।"
 
नक्सल मुक्त ग्राम पंचायत योजना की भूमिका
 
यह सफलता छत्तीसगढ़ सरकार की "नक्सल मुक्त ग्राम पंचायत योजना" का हिस्सा है, जिसके तहत नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति और विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस योजना के तहत, ग्राम पंचायतों को नक्सल मुक्त करने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं, जिसमें आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को पुनर्वास और आर्थिक सहायता दी जाती है।
 
योजना के तहत, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को 50,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि, कपड़े, और अन्य सहायता प्रदान की गई। इसके अलावा, जो गाँव नक्सल मुक्त घोषित किए जाते हैं, उन्हें विकास के लिए 1 करोड़ रुपये की राशि दी जाती है, जैसा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में घोषणा की थी।
 
आत्मसमर्पण का प्रभाव
 
यह आत्मसमर्पण सुकमा जिले में नक्सलवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। सुकमा जिला लंबे समय से नक्सल गतिविधियों का गढ़ रहा है, और यहाँ पर कई बड़े हमले हुए हैं। हाल के दिनों में, छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ अभियान तेज़ किया गया है।
 
इस आत्मसमर्पण से न केवल नक्सलियों की ताकत कम होगी, बल्कि यह स्थानीय समुदाय में विश्वास भी पैदा करेगा कि वे हिंसा के बिना भी बेहतर जीवन जी सकते हैं। सुकमा के एक ग्रामीण, जो नाम न छापने की शर्त पर बात कर रहे थे, ने कहा, "हमें उम्मीद है कि अब हमारे गाँव में शांति आएगी। हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे स्कूल जाएँ और हमें विकास का मौका मिले।"
 
हालाँकि यह आत्मसमर्पण एक बड़ी सफलता है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म करने में अभी समय लगेगा। सरकार ने मार्च 2026 तक राज्य को नक्सल मुक्त करने का लक्ष्य रखा है, लेकिन इसके लिए कई चुनौतियाँ हैं। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अभी भी बुनियादी सुविधाओं, जैसे स्कूल, अस्पताल, और सड़कों की कमी है, जिसका फायदा नक्सली उठाते हैं। इसके अलावा, कुछ नक्सली समूह अभी भी सक्रिय हैं और वे स्थानीय लोगों को डराने-धमकाने का काम करते हैं।
रक्षा विशेषज्ञ ने कहा, "नक्सलियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के साथ-साथ हमें विकास पर भी ध्यान देना होगा। अगर ग्रामीणों को लगेगा कि सरकार उनके साथ है, तो वे नक्सलियों का साथ छोड़ देंगे। आत्मसमर्पण एक अच्छा कदम है, लेकिन हमें सुनिश्चित करना होगा कि ये लोग फिर से हिंसा की ओर न लौटें।"
 
सुकमा में 18 नक्सलियों का आत्मसमर्पण नक्सलवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई में एक सकारात्मक कदम है। यह छत्तीसगढ़ सरकार और सुरक्षाबलों की रणनीति की सफलता को दर्शाता है। लेकिन यह जंग अभी खत्म नहीं हुई है। नक्सल मुक्त ग्राम पंचायत योजना के तहत मिली इस सफलता को बनाए रखने के लिए सरकार को न केवल सैन्य कार्रवाई बल्कि विकास और पुनर्वास पर भी ध्यान देना होगा। सुकमा के इस आत्मसमर्पण ने एक उम्मीद की किरण दिखाई है, लेकिन असली जीत तब होगी जब हर गाँव नक्सल मुक्त हो और वहाँ शांति और समृद्धि का नया सवेरा आए।
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