बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के 'मुख्य सलाहकार' मुहम्मद यूनुस इस वक्त सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए हर चाल चल रहे हैं।
न तो जनता का समर्थन है, न ही लोकतांत्रिक आधार, फिर भी यूनुस एक 'तानाशाही' शैली में कुर्सी से चिपके हुए हैं।
कभी इस्तीफे की धमकी, कभी भारत के खिलाफ बयान और कभी 'युद्ध जैसे हालात' की अफवाह फैलाकर वे लोगों की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश कर रहे हैं।
22 मई को उनके इस्तीफे की अफवाह फैली, जिससे जनता का ध्यान देश में बढ़ते असंतोष और गैर-चुनी हुई सरकार की विफलताओं से हट गया।
कुछ छात्र नेता उनके घर पर पहुंचकर समर्थन जताने लगे तो वहीं विपक्षी बीएनपी ने कहा कि उन्होंने यूनुस से इस्तीफा मांगा ही नहीं।
द डेली स्टार जैसे अखबार ने उनसे भावनात्मक अपील की कि वे अपना पद न छोड़ें। आखिरकार यूनुस ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया।
यूनुस जानते हैं कि उनकी जमीन खिसक रही है, इसलिए अब वह भारत विरोध की चादर ओढ़ चुके हैं।
25 मई को उनके करीबी और नागोरिक ओइक्यो पार्टी के अध्यक्ष महमूदुर रहमान मन्ना ने कहा कि देश में संकट भारत की 'हेजेमनी' के कारण है।
यूनुस ने यहां तक कहा कि भारत बांग्लादेश को खत्म करने पर तुला है और वो हमारी प्रगति से डरता है।
भारत की छवि खराब करने का यह यूनुस का पुराना तरीका है। पहले उन्होंने भारत को हिलसा मछली का निर्यात रोकने की कोशिश की थी।
फिर 1971 की आजादी की लड़ाई में भारत की भूमिका को कम करके दिखाया और स्कूलों की किताबें बदलवा दीं।
जब उनके सलाहकार भारत को धमकियां दे रहे थे, तब यूनुस चुप रहे।
पाकिस्तान और चीन जैसे देशों से संबंध मजबूत करने की उनकी कोशिशें भी साफ दिखाती हैं कि वे किस एजेंडे पर काम कर रहे हैं।
चीन के सामने तो उन्होंने यहां तक कह दिया कि भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को अपने आर्थिक विस्तार का हिस्सा बना लो। यह सीधे तौर पर भारत की अखंडता पर हमला था।
अंदरूनी हालात की बात करें तो यूनुस के कार्यकाल में इस्लामी कट्टरपंथियों का बोलबाला हो गया है।
उन्होंने पहले जमात-ए-इस्लामी पर लगा बैन हटाया और फिर आतंकवादी संगठन ABT के नेता जसीमुद्दीन रहमानी को रिहा कर दिया।
हिन्दू समुदाय पर हमलों को लेकर उन्होंने कहा कि यह सब 'बढ़ा-चढ़ाकर' बताया जा रहा है।
यूनुस की सरकार ने कट्टरपंथियों को खुश करने के लिए छात्रों के संगठन छात्र लीग को बैन किया और जगह-जगह पर तौहीदी जनता जैसे संगठनों ने हिंसा फैलानी शुरू कर दी।
इन भीड़तंत्रों ने हिन्दू मंदिरों को निशाना बनाया और लोगों को डराया-धमकाया।
यही नहीं, उन्होंने शिक्षा प्रणाली को भी अपने एजेंडे के मुताबिक ढालना शुरू कर दिया है।
नए पाठ्यक्रमों में लिखा गया है कि बांग्लादेश की आजादी की घोषणा जियाउर रहमान ने की थी, जो कट्टरपंथी मुस्लिम समूहों के नायक माने जाते हैं।
आज स्थिति ये है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यूनुस की सरकार की आलोचना हो रही है।
यहां तक कि बांग्लादेश के मोरक्को स्थित राजदूत मोहम्मद हारुन अल रशीद ने भी सरकार की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि देश को बर्बादी की ओर धकेला जा रहा है।
मुहम्मद यूनुस अब भारत विरोध, झूठे नैरेटिव और इस्लामी कट्टरपंथ के सहारे सत्ता में टिके रहने की कोशिश कर रहे हैं।
लेकिन सच यह है कि बांग्लादेश की जनता अब इस नाटक को समझ चुकी है। उनका यह नाटक ज्यादा दिन नहीं चलने वाला।
लेख
शोमेन चंद्र
तिल्दा, छत्तीसगढ़