छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में 21 मई को सुरक्षाबलों ने टॉप नक्सली कमांडर नंबाला केशव राव उर्फ बसवराज को मार गिराया।इसके बाद बस्तर को अब 'रेड मैप' से बाहर मान लिया गया है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि सरकार 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है।
कभी कहा जाता था 'पशुपति से तिरुपति तक'। यानी नेपाल की सीमा से लेकर दक्षिण भारत के मंदिरों तक नक्सल प्रभाव फैला हुआ था।
2013 में राज्यसभा में दिए एक जवाब के अनुसार, उस समय देश के 182 जिले नक्सल हिंसा से प्रभावित थे।
लेकिन अब हालात पूरी तरह बदल चुके हैं। गृह मंत्रालय के अप्रैल 2024 के आंकड़ों के अनुसार, प्रभावित जिलों की संख्या घटकर केवल 18 रह गई है। 2018 में ये संख्या 126 थी, 2021 में 70 और 2024 के शुरुआत में 38 थी।
सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों की संख्या भी 12 से घटकर अब 6 रह गई है। इनमें छत्तीसगढ़ के चार जिले (बीजापुर, कांकेर, नारायणपुर और सुकमा), झारखंड का पश्चिमी सिंहभूम और महाराष्ट्र का गढ़चिरौली शामिल हैं।
जहां अतिरिक्त संसाधनों की जरूरत थी, ऐसे जिलों की संख्या भी 9 से घटकर 6 रह गई है। अन्य प्रभावित जिले भी अब केवल 6 बचे हैं।
छत्तीसगढ़ में पिछले दो दशकों में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच कई बार मुठभेड़ हुई है। इसमें आम नागरिकों की भी जान गई है।
साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के अनुसार राज्य में अब तक 4,119 लोग मारे जा चुके हैं।
इनमें 1,242 सुरक्षाकर्मी, 1,063 आम नागरिक और 1,814 नक्सली शामिल हैं।
सिर्फ 2024 में 235 नक्सली मारे गए थे, जो पिछले 25 सालों में सबसे ज्यादा हैं।
17 मई तक राज्य के सात जिलों (गरियाबंद, कांकेर, कोंडागांव, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा) में कुल 38 मुठभेड़ें हुईं। इनमें 178 नक्सली मारे गए।
बीते 20 सालों में 4,828 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। सबसे ज्यादा आत्मसमर्पण 2016 में हुए जब नोटबंदी के कारण 1,232 नक्सलियों ने हथियार डाले।
2023 में 332 और 2024 में अब तक 356 नक्सली सरेंडर कर चुके हैं।
नक्सल प्रभावित इलाकों में केंद्र सरकार की '3C' रणनीति से भी असर हुआ है।
इसमें सड़क, मोबाइल और बैंकिंग कनेक्टिविटी शामिल है।
अब तक 14,395 किलोमीटर सड़कें बनाई जा चुकी हैं, जिनमें से 11,474 किलोमीटर सिर्फ पिछले 10 सालों में बनीं।
नक्सल इलाकों में 5,139 मोबाइल टावर लगाए गए हैं, जिससे दूरदराज के गांव भी नेटवर्क से जुड़ पाए हैं।
30 सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में वित्तीय सुविधा पहुंचाने के लिए 1,007 बैंक शाखाएं, 937 एटीएम और 5,731 नई पोस्ट ऑफिस खोली गई हैं। इनका सीधा फायदा आदिवासी इलाकों को मिल रहा है।
अब बस्तर समेत कई इलाके लाल आतंक से उबरते दिख रहे हैं।
लगातार हो रही कार्रवाई और सरकार की रणनीति से यह उम्मीद जगी है कि आने वाले समय में नक्सलवाद इतिहास बनकर रह जाएगा।
लेख
शोमेन चंद्र
तिल्दा, छत्तीसगढ़