नक्सलियों का खतरनाक मंसूबा नाकाम, जंगल से भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद

30 May 2025 14:43:20

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छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सलियों के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई में सुरक्षा बलों ने उनके खतरनाक मंसूबों को नाकाम कर दिया है। 29 मई 2025 को चिंतागुफा थाना क्षेत्र के मेट्टागुडा कैंप के पास बोट्टेतोंग जंगल से भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद की गई।


जिला पुलिस बल और 203 वाहिनी कोबरा की संयुक्त टीम ने इस अभियान में 15 जीवित बीजीएल सेल, 17 बिना विस्फोटक के सेल, और बीजीएल निर्माण सामग्री सहित कई नक्सली सामग्रियाँ जब्त कीं। यह कार्रवाई नक्सल उन्मूलन अभियान का हिस्सा है, जिसने नक्सलियों की एक बड़ी साजिश को विफल कर दिया।


सुकमा जिला, जो लंबे समय से नक्सल प्रभावित क्षेत्र रहा है, एक बार फिर सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच टकराव का केंद्र बन गया। 29 मई 2025 को सुबह करीब 10:30 बजे, मेट्टागुडा कैंप से रवाना हुई जिला पुलिस बल और 203 वाहिनी कोबरा की संयुक्त टीम ने बोट्टेतोंग जंगल में सर्च ऑपरेशन चलाया।


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इस ऑपरेशन का मकसद नक्सलियों की मौजूदगी की खुफिया सूचना की पुष्टि करना और उनके ठिकानों को नष्ट करना था। अभियान के दौरान सुरक्षा बलों को जंगल में छुपाई गई भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री मिली, जिसे नक्सलियों ने सुरक्षा बलों पर हमले के लिए तैयार किया था।


बरामद सामग्री में 15 जीवित बीजीएल सेल, 17 बिना विस्फोटक के बीजीएल सेल, 78 बीजीएल बॉडी (5-6 इंच), 19 बीजीएल हेड, 3 बीजीएल बॉटम कवर, 37 टेल यूनिट रिंग, 15 टेल यूनिट पार्ट्स, एक विस्फोटक रहित हैंड ग्रेनेड, और अन्य निर्माण सामग्री शामिल हैं। यह सामग्री सुरक्षा बलों को नुकसान पहुँचाने के लिए बनाई गई थी, जो नक्सलियों की हिंसक मंशा को दर्शाती है।
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सुकमा के पुलिस अधीक्षक (SP) किरण चौहान ने इस ऑपरेशन को एक बड़ी सफलता करार देते हुए कहा, "यह बरामदगी नक्सलियों की एक बड़ी साजिश को नाकाम करने में कामयाब रही है। बीजीएल सेल जैसे विस्फोटक हथियार सुरक्षा बलों और स्थानीय लोगों के लिए बड़ा खतरा हैं। हमारा अभियान लगातार जारी रहेगा।"


यह ऑपरेशन जिला सुकमा में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के निर्देशन में चलाए जा रहे नक्सल उन्मूलन अभियान का हिस्सा है। पिछले कुछ महीनों में छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाइयाँ तेज़ हुई हैं।


हाल ही में, 21 मई 2025 को अबूझमाड़ में हुई एक मुठभेड़ में नक्सल सुप्रीम लीडर बासवराजू मारा गया था, जिसके बाद से सुरक्षा बलों ने अपनी रणनीति को और सख्त कर दिया है।


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मेट्टागुडा कैंप से बोट्टेतोंग जंगल तक का यह इलाका नक्सलियों का गढ़ माना जाता है, जहाँ वे अक्सर विस्फोटक और हथियार छुपाते हैं। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, नक्सली इस इलाके में अपनी गतिविधियाँ बढ़ाने की फिराक में थे, लेकिन इस कार्रवाई ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया।


जिला पुलिस बल और 203 कोबरा की संयुक्त टीम ने इस अभियान को पूरी सतर्कता के साथ अंजाम दिया। सुबह 10:30 बजे जब टीम बोट्टेतोंग जंगल में पहुँची, तो उन्होंने संदिग्ध जगहों पर सर्च ऑपरेशन शुरू किया।


पुलिस सूत्रों ने बताया कि खुफिया सूचना मिली थी कि नक्सलियों ने जंगल में विस्फोटक छुपाए हैं। पुलिस ने सावधानीपूर्वक सर्च किया और एक गड्ढे में यह सामग्री बरामद की। यह सामग्री सुरक्षा बलों पर हमले के लिए तैयार की गई थी। अभियान के दौरान कोई मुठभेड़ नहीं हुई, और सभी जवान सुरक्षित कैंप लौट आए।


बरामद सामग्री की सूची देखकर यह साफ हो जाता है कि नक्सली कितने सुनियोजित तरीके से हमले की तैयारी कर रहे थे। बीजीएल सेल (बैरल ग्रेनेड लॉन्चर सेल) एक खतरनाक हथियार है, जिसे नक्सली अक्सर सुरक्षा बलों और उनके कैंपों पर हमले के लिए इस्तेमाल करते हैं।


छत्तीसगढ़ पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "बीजीएल सेल का इस्तेमाल नक्सली बड़े पैमाने पर नुकसान पहुँचाने के लिए करते हैं। अगर यह सामग्री उनके हाथ लगती, तो इसका इस्तेमाल हमारे जवानों और स्थानीय लोगों के खिलाफ हो सकता था।" बरामद सामग्री को बाद में नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई, ताकि इसका गलत इस्तेमाल न हो सके।


यह कार्रवाई नक्सलवाद के खिलाफ छत्तीसगढ़ पुलिस की बढ़ती सक्रियता को दर्शाती है। सुकमा, जो बस्तर संभाग का हिस्सा है, नक्सलियों का सबसे बड़ा गढ़ माना जाता है। यहाँ नक्सली लंबे समय से लेवी वसूली, हथियारों की तस्करी, और हिंसक हमलों में शामिल रहे हैं।


2025 में अब तक छत्तीसगढ़ में 400 से ज़्यादा नक्सली या तो मारे गए हैं या गिरफ्तार हुए हैं। केंद्र सरकार ने मार्च 2026 तक देश को नक्सल मुक्त करने का लक्ष्य रखा है, और इसके लिए सुरक्षा बलों को और संसाधन दिए गए हैं।

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