छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर स्थित कर्रेगुट्टा के जंगलों में सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के खिलाफ बड़ा ऑपरेशन चलाया है।
पिछले 15 दिनों से चल रहे इस अभियान में अब तक 20 से ज्यादा नक्सलियों के मारे जाने की खबर है।
हालांकि अधिकारियों ने अभी तक इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन मुठभेड़ में लगातार नक्सलियों के मारे जाने के संकेत मिल रहे हैं।
कर्रेगुट्टा का इलाका नक्सलियों के लिए अब तक सबसे सुरक्षित ठिकाना माना जाता था। यहां चारों तरफ घने जंगल और ऊंचे पहाड़ हैं। 20-30 किलोमीटर के दायरे में कोई गांव नहीं है, न ही कोई सीधा रास्ता।
इसी वजह से नक्सली यहां छिपे रहते थे। लेकिन इस बार सुरक्षाबलों ने ऐसा घेरा डाला कि नक्सली बच नहीं पाए।
ऑपरेशन की शुरुआत 22 अप्रैल को हुई थी। CRPF, DRG और अन्य बलों के हजारों जवान इस अभियान में लगे हुए हैं।
हर दो-तीन दिन में नक्सलियों से मुठभेड़ हो रही है। अब तक चार महिला नक्सलियों के शव बरामद हो चुके हैं।
इनमें से तीन पर आठ-आठ लाख रुपये का इनाम था।
इस दौरान एक दर्दनाक हादसा भी हुआ जब CRPF के सहायक कमांडेंट सागर बोराडे IED ब्लास्ट की चपेट में आ गए और उन्हें अपना पैर गंवाना पड़ा। उन्हें इलाज के लिए दिल्ली एम्स भेजा गया है।
बस्तर के IG सुंदरराज पी के मुताबिक, अब तक चार नक्सलियों के शव बरामद किए जा चुके हैं और घटनास्थल से भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक भी मिले हैं।
जवानों ने नक्सलियों द्वारा लगाए गए सैकड़ों IED भी बरामद कर लिए हैं।
फोर्स अब नक्सलियों के बंकरों और गुफाओं तक पहुंच चुकी है।
इस कड़ी कार्रवाई से नक्सलियों में डर का माहौल है। केंद्रीय कमेटी के लीडर अभय ने शांति वार्ता की अपील की है, जो यह दिखाता है कि अब नक्सली खुद को फंसा हुआ मान रहे हैं।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पहले ही कह चुके हैं कि मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद का पूरी तरह खात्मा कर दिया जाएगा।
छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा लगातार रणनीति बनाकर नक्सल समस्या को खत्म करने में लगे हुए हैं।
पिछले डेढ़ साल में बस्तर में 350 से ज्यादा नक्सली मारे जा चुके हैं।
अब सुरक्षाबलों ने बड़े नक्सली नेताओं को भी घेर लिया है। इस कर्रेगुट्टा ऑपरेशन के बाद ये साफ हो गया है कि नक्सलियों के दिन अब गिनती के रह गए हैं।
जल्द ही छत्तीसगढ़ नक्सल मुक्त होगा और वहां विकास की रफ्तार और तेज़ होगी।