Operation Sindoor के बाद इंफॉर्मेशन वारफेयर : द हिंदू से लेकर द वायर के पत्रकार तक चला रहे भारत विरोधी प्रोपेगेंडा

क्या भारत की सैन्य सफलता से विचलित पत्रकार चला रहे हैं झूठ का अभियान?

The Narrative World    07-May-2025   
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7 मई 2025 को भारत ने एक ऐतिहासिक सैन्य कार्रवाई, ‘ऑपरेशन सिंदूर’, के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) में नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक और निर्णायक एयरस्ट्राइक की। यह ऑपरेशन जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए क्रूर आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या हुई थी, जिनमें 25 भारतीय और एक नेपाली पर्यटक शामिल थे। हमले में आतंकियों ने धर्म के आधार पर हिंदुओं को निशाना बनाया गया, जिसमें कई नवविवाहित जोड़े भी थे, जैसे लेफ्टिनेंट विनय नरवाल और उनकी पत्नी हिमांशी, जिनकी शादी को मात्र 6 दिन हुए थे। इस हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था।
 
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ऑपरेशन सिंदूर, जिसका नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं रखा, उन महिलाओं के सम्मान में था जिनके पति इस हमले में मारे गए, और यह भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का प्रतीक बन गया। भारतीय सेना ने रात 1:28 बजे से 1:51 बजे तक, केवल 23 मिनट में, इस ऑपरेशन को अंजाम दिया, जिसमें 80-90 आतंकवादी मारे गए, जिनमें जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष कमांडर शामिल थे। मरकज सुभान अल्लाह जैसे आतंकी ठिकानों को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया।
 
हालांकि, इस सैन्य सफलता के तुरंत बाद भारत के खिलाफ एक नया और खतरनाक मोर्चा खुल गया—इंफॉर्मेशन वारफेयर का। इस इंफॉर्मेशन वारफेयर में झूठी खबरें, दुष्प्रचार, और भ्रामक नैरेटिव के जरिए भारत की छवि को धूमिल करने, जनता का मनोबल तोड़ने, और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत को अलग-थलग करने की कोशिश की गई।
 
इस इंफॉर्मेशन वारफेयर में न केवल पाकिस्तानी और चीनी प्रचार तंत्र सक्रिय थे, बल्कि भारत के भीतर कुछ मीडिया संस्थानों, जैसे द हिंदू, और द वीरे के पत्रकार ने भी गैर-जिम्मेदाराना तरीके से झूठी खबरें फैलाने में भूमिका निभाई।
 
ऑपरेशन सिंदूर के बाद फैलाई गई झूठी खबरें और दुष्प्रचार
 
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद, पाकिस्तान, कुछ अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूहों, और भारत के कुछ मीडिया संस्थानों ने एक सुनियोजित दुष्प्रचार अभियान शुरू किया। इस अभियान के कई पहलू थे:
 
1. भारतीय विमानों के क्रैश होने का झूठा दावा
 
ऑपरेशन सिंदूर के कुछ ही घंटों बाद, पाकिस्तानी सेना के मीडिया विंग, इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR), और कई पाकिस्तानी मीडिया चैनलों ने दावा किया कि भारतीय वायुसेना के तीन लड़ाकू विमान कश्मीर में क्रैश हो गए हैं। इस दावे को समर्थन देने के लिए एक जलते हुए विमान का वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल की गईं।
 
जांच में पाया गया कि यह तस्वीर सितंबर 2024 में राजस्थान के बाड़मेर में हुए एक हादसे की थी, जिसमें एक IAF MiG-29 रात के प्रशिक्षण के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। उस हादसे में पायलट सुरक्षित बाहर निकल आए थे और कोई जनहानि नहीं हुई थी। इस पुरानी घटना को ऑपरेशन सिंदूर से जोड़कर भ्रम फैलाने की कोशिश की गई।
 
2. द हिंदू का झूठा ट्वीट और चाइना डेली द्वारा उसका दुरुपयोग
 
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भारत के एक कम्युनिस्ट समाचार पत्र, द हिंदू, ने 7 मई 2025 को सुबह 8:54 बजे एक ट्वीट पोस्ट किया, जिसमें दावा किया गया कि जम्मू-कश्मीर के अखनूर, रामबन, और पंपोर क्षेत्रों में भारतीय वायुसेना के तीन जेट क्रैश हो गए हैं। ट्वीट में यह भी कहा गया कि यह जानकारी एक सरकारी अधिकारी ने द हिंदू को दी थी, और रिपोर्टर विजैता का हवाला दिया गया। ट्वीट में चार तस्वीरें भी शामिल थीं, जो कथित तौर पर क्रैश साइट्स की थीं।
 
हालांकि, यह ट्वीट पूरी तरह से झूठा था। द हिंदू ने इस खबर को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित नहीं किया था, और न ही इस दावे का कोई स्वतंत्र साक्ष्य मौजूद था। भारतीय सेना और रक्षा मंत्रालय ने तुरंत इस दावे का खंडन किया, जिसमें स्पष्ट किया गया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान कोई भी भारतीय विमान क्रैश नहीं हुआ। द हिंदू ने इस ट्वीट को बाद में हटा लिया, लेकिन तब तक यह सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका था और इसे 258K से अधिक बार देखा जा चुका था।
 
इस झूठे ट्वीट का इस्तेमाल चीनी प्रॉपगैंडा तंत्र, चाइना डेली, ने भारत के खिलाफ दुष्प्रचार को बढ़ावा देने के लिए किया। चाइना डेली ने अपने आधिकारिक X अकाउंट पर उसी दिन ट्वीट किया: “At least three #Indian jets crashed Wednesday in Indian-controlled #Kashmir, a local newspaper The Hindu said quoting government sources.”
 
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चाइना डेली ने द हिंदू के ट्वीट का हवाला देकर इस झूठ को विश्वसनीयता देने की कोशिश की, जिससे यह दुष्प्रचार और व्यापक रूप से फैल गया।
 
3. भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमले का दावा
 
पाकिस्तानी मीडिया ने यह भी प्रचारित किया कि उनके जवाबी हमलों में भारतीय सेना के कई महत्वपूर्ण ठिकानों—जैसे श्रीनगर एयरबेस, ब्रिगेड हेडक्वार्टर, और नौशेरा सेक्टर—पर मिसाइल हमले किए गए हैं, जिनमें भारी नुकसान हुआ है। इन दावों के समर्थन में कोई विश्वसनीय साक्ष्य, जैसे सैटेलाइट इमेज या स्वतंत्र रिपोर्ट्स, प्रस्तुत नहीं किए गए। फिर भी, सोशल मीडिया पर इन झूठी खबरों को तेजी से फैलाया गया। हैशटैग जैसे #IndiaUnderAttack और #KashmirBurns को ट्रेंड कराया गया, जिससे जनता में भय और भ्रम की स्थिति पैदा हुई।
 
4. आम नागरिकों की मौत का नैरेटिव
 
कई पाकिस्तानी और कुछ अंतरराष्ट्रीय मीडिया चैनलों ने दावा किया कि ऑपरेशन सिंदूर में आतंकवादी नहीं, बल्कि आम नागरिक मारे गए हैं। पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता ने दावा किया कि हमले में दो बच्चों समेत सात नागरिक मारे गए। स्थानीय लोगों के हवाले से मुजफ्फराबाद में धमाकों की खबरें फैलाई गईं, जिसमें दावा किया गया कि लोग अपने घरों से बाहर भाग रहे थे और सुरक्षित ठिकानों की तलाश कर रहे थे।
 
हालांकि, भारतीय सेना ने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन में केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया, और आम नागरिकों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया। स्वतंत्र जांच में भी यह पाया गया कि मारे गए अधिकांश लोग आतंकी संगठनों से जुड़े थे।
5. भारतीय मीडिया और पत्रकारों की भूमिका
 
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द हिंदू के अलावा, कुछ अन्य भारतीय पत्रकारों और मीडिया समूहों ने भी बिना सत्यापन के इन झूठी खबरों को बढ़ावा दिया। द वायर की पत्रकार आरफा खानम शेरवानी ने एक बयान में कहा, “इस एयर स्ट्राइक में केवल आम नागरिक मारे गए हैं, आतंकवादी नहीं।” यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। हालांकि, भारतीय सेना की प्रेस विज्ञप्ति और स्वतंत्र रिपोर्ट्स ने इस दावे का खंडन किया, जिसमें साफ कहा गया कि ऑपरेशन में आतंकवादी मारे गए, और कोई भी नागरिक हताहत नहीं हुआ।
 
6. सोशल मीडिया पर वायरल फर्जी वीडियो और तस्वीरें
 
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सोशल मीडिया पर कई फर्जी वीडियो और तस्वीरें वायरल की गईं, जिनमें दावा किया गया कि भारतीय सेना के ठिकानों पर हमले हुए हैं। एक वीडियो में जलते हुए मलबे को दिखाया गया, जिसे पाकिस्तानी मीडिया ने श्रीनगर एयरबेस पर हमले का सबूत बताया। जांच में पाया गया कि यह वीडियो 2021 में सीरिया में हुए एक हवाई हमले का था। इस तरह की फर्जी सामग्री ने जनता में भ्रम और डर पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
 
फैक्ट-चेक टेबल: दुष्प्रचार के दावों का खंडन
 
नीचे दी गई तालिका में ऑपरेशन सिंदूर के बाद फैलाए गए प्रमुख दुष्प्रचार के दावों और उनके खंडन को सारांशित किया गया है।
 
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नीचे दी गई सैटेलाइट इमेज ऑपरेशन सिंदूर के बाद मरकज सुभान अल्लाह आतंकी ठिकाने की स्थिति को दर्शाती है। बाईं ओर हमले से पहले की स्थिति दिखाई गई है, जिसमें प्रशिक्षण केंद्र और मस्जिद स्पष्ट हैं, और दाईं ओर हमले के बाद का दृश्य है, जिसमें संरचना पूरी तरह नष्ट हो चुकी है।
 
इंफॉर्मेशन वारफेयर का उद्देश्य और रणनीति
 
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इस इंफॉर्मेशन वारफेयर के पीछे कई स्पष्ट उद्देश्य थे:
 
1. भारत की सैन्य सफलता को संदिग्ध बनाना: ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को कमजोर करने और यह दिखाने की कोशिश की गई कि भारत की कार्रवाई असफल रही या उसे भारी नुकसान हुआ।
 
2. आंतरिक असंतोष पैदा करना: भारतीय जनता में अपनी सेना और सरकार के प्रति अविश्वास और असंतोष पैदा करना, ताकि देश के भीतर अस्थिरता बढ़े।
 
3. आतंकी संगठनों का मनोबल बढ़ाना: यह दिखाकर कि भारत की कार्रवाई प्रभावी नहीं थी, आतंकी संगठनों और उनके समर्थकों का हौसला बढ़ाने की कोशिश की गई।
 
4. अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाना: भारत को एक आक्रामक और गैर-जिम्मेदार देश के रूप में चित्रित कर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में उसे अलग-थलग करने और कूटनीतिक दबाव बनाने की कोशिश की गई।
 
5. क्षेत्रीय तनाव बढ़ाना: झूठी खबरों के जरिए भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को और बढ़ाने की कोशिश की गई, ताकि क्षेत्रीय अस्थिरता का लाभ उठाया जा सके।
 
रणनीति
 
इस इंफॉर्मेशन वारफेयर में एक सुनियोजित रणनीति अपनाई गई:
 
पहला चरण—सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार: झूठी खबरें और फर्जी वीडियो सबसे पहले सोशल मीडिया पर वायरल किए गए, ताकि वे तेजी से फैलें।
 
दूसरा चरण—मीडिया के जरिए वैधता देना: इन खबरों को पाकिस्तानी और कुछ अंतरराष्ट्रीय मीडिया चैनलों, जैसे चाइना डेली, के जरिए ‘वैध’ बनाया गया। द हिंदू जैसे स्थानीय स्रोतों का हवाला देकर भ्रामक जानकारी को सच की तरह पेश किया गया।
 
तीसरा चरण—अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चर्चा: इन झूठी खबरों को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ले जाकर भारत के खिलाफ नैरेटिव बनाया गया। संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, और चीन जैसे देशों ने संयम बरतने की सलाह दी, जिसे पाकिस्तान ने अपने पक्ष में इस्तेमाल करने की कोशिश की।
 
चौथा चरण—स्थानीय समर्थन: भारत के भीतर कुछ पत्रकारों और संगठनों को इस दुष्प्रचार का हिस्सा बनाया गया, ताकि यह दिखे कि भारत में ही इस कार्रवाई का विरोध हो रहा है।
 
प्रभाव और चुनौतियाँ
 
जनता पर प्रभाव
 
इस इंफॉर्मेशन वारफेयर का सबसे बड़ा प्रभाव आम जनता पर पड़ता है। द हिंदू जैसे प्रतिष्ठित समाचार पत्र के ट्वीट ने कई लोगों को यह विश्वास दिलाने की कोशिश की कि भारतीय वायुसेना को नुकसान हुआ है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही झूठी खबरों को कई लोगों ने सच मान लिया, जिससे भय, भ्रम, और असंतोष की स्थिति पैदा हुई। कुछ जगहों पर सरकार और सेना की आलोचना शुरू हो गई। उदाहरण के लिए, कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर यह सवाल उठाया कि “अगर हमारी सेना इतनी सक्षम है, तो विमान क्यों क्रैश हुए?” यह सवाल पूरी तरह से एक झूठे नैरेटिव पर आधारित था, लेकिन इसने कई लोगों के मन में संदेह पैदा कर दिया।
 
अंतरराष्ट्रीय छवि पर प्रभाव
 
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ नकारात्मक नैरेटिव बनने से कूटनीतिक चुनौतियाँ बढ़ाने की कोशिश हुई। चाइना डेली और अन्य अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने द हिंदू के ट्वीट का हवाला देकर भारत की कार्रवाई को संदिग्ध बनाया। पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य मंचों पर भारत को “आक्रामक” और “युद्ध भड़काने वाला” देश बताने की कोशिश की। हालांकि, भारत ने इस ऑपरेशन के बाद मीडिया से बात कर अपनी स्थिति स्पष्ट की और बताया कि यह कार्रवाई केवल आतंकी ठिकानों तक सीमित थी। फिर भी, इस दुष्प्रचार ने भारत की छवि को प्रभावित करने की कोशिश की।
 
4. सैन्य मनोबल पर प्रभाव
 
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इंफॉर्मेशन वारफेयर का एक उद्देश्य सैन्य बलों का मनोबल तोड़ना भी था। झूठी खबरों के जरिए यह दिखाने की कोशिश की गई कि भारतीय सेना कमजोर है और उसकी कार्रवाई असफल रही। हालांकि, भारतीय सेना ने इस तरह के दुष्प्रचार का मजबूती से सामना किया और अपनी सफलता को स्पष्ट रूप से जनता के सामने रखा।
 
सरकारी और स्वतंत्र फैक्ट-चेकिंग की भूमिका
 
सरकारी प्रतिक्रिया
 
भारतीय सरकार और सेना ने इस इंफॉर्मेशन वारफेयर का डटकर मुकाबला किया। रक्षा मंत्रालय ने ऑपरेशन के बाद एक आधिकारिक बयान जारी कर स्पष्ट किया कि:
 
ऑपरेशन सिंदूर में कोई भी भारतीय विमान क्रैश नहीं हुआ।
 
किसी भी भारतीय सैन्य ठिकाने पर हमला नहीं हुआ।
 
ऑपरेशन में केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया, और आम नागरिकों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया।
 
आतंकवादी मारे गए, जिनमें जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष कमांडर शामिल थे।
 
भारतीय सेना ने अपने आधिकारिक X हैंडल पर एक पोस्ट में लिखा: “#PahalgamTerrorAttack Justice is Served. Jai Hind.” सरकार ने जनता से अपील की कि वे केवल आधिकारिक स्रोतों पर भरोसा करें और सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों से सावधान रहें।
 
स्वतंत्र फैक्ट-चेकिंग
 
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कई स्वतंत्र फैक्ट-चेकिंग संगठनों ने भी इस दुष्प्रचार का खंडन किया। उन्होंने वायरल हो रहे वीडियो और तस्वीरों की जांच की और पाया कि:
 
जलते हुए विमान की तस्वीर सितंबर 2024 की थी, जो राजस्थान में हुए एक हादसे की थी।
 
श्रीनगर एयरबेस पर हमले का दावा पूरी तरह झूठा था, और इसके समर्थन में कोई साक्ष्य नहीं था।
 
द हिंदू का ट्वीट झूठा था, और इसे बाद में हटा लिया गया था। चाइना डेली ने इस झूठे ट्वीट का दुरुपयोग किया।
 
इन फैक्ट-चेकिंग रिपोर्ट्स ने जनता को सही जानकारी दी और दुष्प्रचार को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
 
समाधान और आगे की राह
 
इस तरह के इंफॉर्मेशन वारफेयर से निपटने के लिए एक व्यापक और बहुस्तरीय रणनीति की जरूरत है:
 
1. त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र
 
सरकार को एक मजबूत और त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र विकसित करना चाहिए। जैसे ही कोई झूठी खबर वायरल हो, उसे तुरंत खंडन करना चाहिए। इसके लिए एक समर्पित साइबर सेल बनाई जा सकती है जो 24/7 सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की निगरानी करे।
 
2. जन जागरूकता अभियान
 
नागरिकों को डिजिटल साक्षरता और मीडिया साक्षरता के बारे में शिक्षित करना जरूरी है। उन्हें यह सिखाया जाना चाहिए कि किसी भी खबर को बिना सत्यापन के न मानें और उसके स्रोत की प्रामाणिकता की जांच करें। सरकार और मीडिया संस्थान इस दिशा में जागरूकता अभियान चला सकते हैं।
 
3. मीडिया की जिम्मेदारी
 
मीडिया संस्थानों और पत्रकारों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। द हिंदू जैसे प्रतिष्ठित समाचार पत्रों को विशेष रूप से सतर्क रहना होगा, क्योंकि उनकी विश्वसनीयता का दुरुपयोग दुष्प्रचार को बढ़ावा दे सकता है। किसी भी खबर को प्रकाशित करने से पहले उसकी सत्यता की जांच करना अनिवार्य होना चाहिए। बिना सत्यापन के विदेशी मीडिया के हवाले से खबरें चलाना बंद करना होगा।
 
4. अंतरराष्ट्रीय सहयोग
 
भारत को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सक्रियता बढ़ानी होगी। अन्य देशों के साथ मिलकर साइबर अपराध और दुष्प्रचार को रोकने के लिए नीतियां बनानी होंगी। साथ ही, भारत को अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए कूटनीतिक चैनलों का उपयोग करना चाहिए, जैसा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद अमेरिका, ब्रिटेन, और रूस जैसे देशों के साथ किया गया।
 
5. तकनीकी समाधान
 
डीपफेक और फर्जी सामग्री को रोकने के लिए तकनीक का उपयोग करना होगा। AI-आधारित टूल्स विकसित किए जा सकते हैं जो फर्जी वीडियो, तस्वीरें, और ऑडियो की पहचान कर सकें। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी और दुष्प्रचार फैलाने वाले अकाउंट्स पर सख्त कार्रवाई करनी होगी।
 
6. कानूनी ढांचा
 
इंफॉर्मेशन वारफेयर को रोकने के लिए एक मजबूत कानूनी ढांचा बनाना जरूरी है। जो लोग जानबूझकर झूठी खबरें फैलाते हैं, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। द हिंदू जैसे संस्थानों को भी ऐसी लापरवाही के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। इससे दुष्प्रचार करने वालों में डर पैदा होगा और वे ऐसी गतिविधियों से बचेंगे।
 
ऑपरेशन सिंदूर और इंफॉर्मेशन वारफेयर का व्यापक संदर्भ
 
ऑपरेशन सिंदूर और इसके बाद का इंफॉर्मेशन वारफेयर भारत के सामने मौजूद जटिल सुरक्षा चुनौतियों को दर्शाता है। एक ओर, भारत को आतंकवाद जैसी भौतिक चुनौतियों से निपटना है, वहीं दूसरी ओर, डिजिटल और मनोवैज्ञानिक युद्ध का सामना करना पड़ रहा है। द हिंदू जैसे विश्वसनीय माने जाने वाले संस्थानों की लापरवाही ने इस इंफॉर्मेशन वारफेयर को और जटिल बना दिया। यह स्थिति भारत के लिए एक सबक है कि आधुनिक युद्ध केवल सीमा पर नहीं, बल्कि सूचना और विचारों के क्षेत्र में भी लड़ा जा रहा है।
 
इस संदर्भ में, भारत की रणनीति को भी व्यापक करना होगा। सैन्य ताकत के साथ-साथ साइबर सुरक्षा, डिजिटल रक्षा, और नैरेटिव बिल्डिंग पर ध्यान देना होगा। भारत को अपनी सकारात्मक छवि को मजबूत करने के लिए सक्रिय रूप से काम करना होगा, ताकि इस तरह के दुष्प्रचार का प्रभाव कम हो सके।
ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया, लेकिन इसके बाद छेड़ा गया इंफॉर्मेशन वारफेयर यह दिखाता है कि आधुनिक युद्ध के आयाम बदल गए हैं। यह युद्ध अब केवल हथियारों से नहीं, बल्कि सूचनाओं, विचारों, और नैरेटिव्स से लड़ा जा रहा है।
 
भारत के खिलाफ इस इंफॉर्मेशन वारफेयर में पाकिस्तानी और चीनी प्रचार तंत्र के साथ-साथ भारत के कुछ मीडिया संस्थानों, जैसे द हिंदू, की लापरवाही ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। द हिंदू के झूठे ट्वीट ने न केवल जनता में भ्रम पैदा किया, बल्कि चाइना डेली जैसे प्रचार तंत्रों को भारत के खिलाफ नैरेटिव बनाने का मौका दिया।
 
हालांकि, भारत ने इस चुनौती का मजबूती से सामना किया। सरकार, सेना, और स्वतंत्र फैक्ट-चेकिंग संगठनों ने दुष्प्रचार का खंडन किया और सच्चाई को जनता के सामने रखा। फिर भी, यह एक सतत चुनौती है, जिसके लिए भारत को तैयार रहना होगा। सतर्कता, जागरूकता, और तकनीकी समाधानों के साथ भारत इस सूचना युद्ध में विजयी हो सकता है। अंततः, सच और झूठ के इस संघर्ष में वही जीतेगा जो सत्य, विवेक, और एकता के साथ खड़ा रहेगा।