पाकिस्तान की सियासत और सेना का दोहरापन अब किसी से छुपा नहीं है। जहां एक तरफ पाकिस्तान दुनिया के सामने भारत के खिलाफ झूठा प्रोपेगेंडा फैलाने की कोशिश कर रहा है, वहीं उसके अपने ही सांसद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की खिल्ली उड़ा रहे हैं।
नेशनल असेंबली में सांसद शाहिद अहमद खट्टक ने शहबाज को गीदड़ करार दिया और कहा कि उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक शब्द तक नहीं बोला। यह बयान पाकिस्तान के अंदर से ही उसके नेतृत्व पर उठ रहे सवालों को उजागर करता है।
दूसरी ओर, पाकिस्तान सरकार लगातार अपने नागरिकों और अंतरराष्ट्रीय मंच पर झूठ बोलने में जुटी हुई है। जब भारत ने कराची पोर्ट पर INS विक्रांत से हमला कर वहां भारी तबाही मचाई, तो पाकिस्तान सरकार ने इसे पूरी तरह नकार दिया। कराची पोर्ट के आधिकारिक X हैंडल से यह दावा किया गया कि पोर्ट पूरी तरह सुरक्षित है।
इतना ही नहीं, पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि भारत के 77 ड्रोन को मार गिराया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के हमलों में उनके 31 नागरिक मारे गए और 57 घायल हुए। जबकि गुरुवार को ही वही प्रवक्ता 25 ड्रोन गिराने की बात कर रहे थे। इन आंकड़ों में फर्क खुद पाकिस्तान की झूठी बयानबाजी को बेनकाब करता है।
पाक विदेश मंत्रालय ने भी भारत पर उल्टा आरोप लगाते हुए कहा कि भारत दोनों देशों को युद्ध के करीब ला रहा है। प्रवक्ता शफकत अली खान ने तो यह तक कह दिया कि सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर कोई देश किसी पर हमला नहीं कर सकता।यह बयान उस समय आया जब भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई की है। पाकिस्तान अब भी यह मानने को तैयार नहीं कि उसका देश आतंकियों की पनाहगाह बन चुका है।
शफकत ने भारत पर यह भी आरोप लगाया कि उसने सिविलियनों को निशाना बनाया और सिंधु जल संधि को तोड़ने की कोशिश की। लेकिन हकीकत यह है कि भारत ने सिर्फ आतंक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है, जो दुनिया भर के देशों का अधिकार और ज़िम्मेदारी होती है।
पाकिस्तान की फजीहत इसलिए भी हो रही है क्योंकि अब उसके झूठ उसके अपने नेताओं के सामने भी टिक नहीं पा रहे। एक तरफ वह आतंक को पनाह देता है, दूसरी तरफ उसे अपनी सरकार पर ही भरोसा नहीं। ऐसे में साफ है कि पाकिस्तान सिर्फ आतंक का अड्डा ही नहीं, बल्कि झूठ और भ्रम का गढ़ भी बन चुका है।
रिपोर्ट
शोमेन चंद्र
तिल्दा, छत्तीसगढ़