देश में जहां एक ओर आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई हो रही है, वहीं पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने एक 22 साल की छात्रा को सिर्फ पाकिस्तान की आलोचना करने पर गिरफ्तार कर लिया।
दिल्ली की रहने वाली लॉ स्टूडेंट शर्मिष्ठा को कोलकाता पुलिस ने 30 मई को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया।
उन्होंने एक वीडियो में पाकिस्तानी ट्रोल को जवाब दिया था, जिसे बाद में डिलीट कर माफी भी मांग ली थी। लेकिन इसके बावजूद ममता सरकार ने 1500 किलोमीटर दूर जाकर उसे गिरफ्तार कर लिया।
शर्मिष्ठा का जुर्म बस इतना था कि उन्होंने उस पाकिस्तान का विरोध किया जो हमेशा भारत में आतंकियों को भेजता है और निर्दोषों की हत्या कराता है।
उन्होंने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद अपना गुस्सा जाहिर किया था।
वीडियो में भले ही शब्द तीखे थे, लेकिन उसका मकसद सिर्फ पाकिस्तान की आलोचना करना था।
उनके वीडियो के जवाब में उन्हें सोशल मीडिया पर जान से मारने और बलात्कार की धमकियां दी गईं।
लेकिन बंगाल की पुलिस ने ऐसे खतरनाक लोगों पर कार्रवाई करने के बजाय एक छात्रा को ही अपराधी बना डाला।
ममता बनर्जी सरकार का यह रवैया नया नहीं है। जब भी मामला हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार का होता है, तो उनकी सरकार आंख मूंद लेती है।
लेकिन जैसे ही कोई व्यक्ति पाकिस्तान या कट्टरपंथ का विरोध करता है, तो तुरंत उसके खिलाफ सख्त कदम उठा लिए जाते हैं।
इसी साल अप्रैल में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के नाम पर हुए दंगों में सैकड़ों हिन्दू परिवारों पर हमले हुए।
उनके घर जला दिए गए, पानी के टैंक में ज़हर मिला दिया गया, और महिलाओं को बलात्कार की धमकियां दी गईं।
कुछ महिलाओं को अपनी इज्जत के बदले अपने परिवार की जान बचाने के लिए मजबूर किया गया। लेकिन ममता सरकार ने इसे मामूली घटना बताया।
फरवरी में इसी तरह की हिंसा सैंडेशखली में हुई। वहां की महिलाओं ने सड़कों पर उतरकर ममता बनर्जी के करीबी नेता शेख शाहजहां और उसके सहयोगियों के खिलाफ प्रदर्शन किया।
उन्होंने आरोप लगाया कि TMC नेता रोज़-रोज़ महिलाओं को उठाकर ले जाते हैं और बलात्कार करते हैं। लेकिन बंगाल सरकार ने उनकी एक भी नहीं सुनी।
आज शर्मिष्ठा जेल में हैं, लेकिन जिन लोगों ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी, वे खुलेआम घूम रहे हैं।
यही है ममता सरकार का न्याय। पाकिस्तान और इस्लामी कट्टरता की आलोचना करना इस सरकार को मंजूर नहीं, लेकिन हिन्दुओं पर अत्याचार हो तो वह उसे नजरअंदाज कर देती है।
यह वही बंगाल है जहां कभी बुद्धिजीवी आंदोलन होते थे। लेकिन अब यह राज्य सिर्फ तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति का गढ़ बन गया है।
अगर पाकिस्तान का विरोध करना अपराध है और हिन्दुओं की इज्जत बचाने के लिए आवाज उठाना गुनाह है, तो यह सरकार संविधान नहीं, किसी और किताब से शासन चला रही है।
देश को अब सोचना होगा कि क्या यह वही लोकतंत्र है जिसके लिए हमारे पूर्वजों ने बलिदान दिया था।
अगर ममता सरकार को नहीं रोका गया, तो कल कोई और शर्मिष्ठा अपने अधिकारों से वंचित कर दी जाएगी।
लेख
शोमेन चंद्र
तिल्दा, छत्तीसगढ़