आज का युवा वर्ग सोशल मीडिया के चकाचौंध में ऐसा उलझ गया है कि उसका असली जीवन कहीं पीछे छूट गया है।
फेसबुक, इंस्टाग्राम, X और अब तो छोटे वीडियो वाले ऐप्स पर दिनभर समय बिताना आम बात हो गई है।
सोशल मीडिया की लत अब सिर्फ टाइम पास नहीं बल्कि एक गंभीर सामाजिक समस्या बन चुकी है।
सोशल मीडिया का इस्तेमाल जब सीमित और सोच-समझ कर किया जाए, तो यह जानकारी का माध्यम बन सकता है।
लेकिन आज जो हो रहा है वह एक अलग ही कहानी है। सोशल मीडिया अब कुछ लोगों के लिए दूसरों को फंसाने, बदनाम करने और मानसिक रूप से तोड़ने का ज़रिया बन गया है।
अक्सर देखा गया है कि कुछ लोग फेक अकाउंट बनाकर किसी की छवि को खराब करने की कोशिश करते हैं।
किसी लड़की की तस्वीरों को एडिट कर वायरल कर देना या फिर किसी लड़के का नाम जोड़कर झूठे स्कैंडल बनाना अब आम हो गया है।
ये लोग न तो किसी के भविष्य की परवाह करते हैं, न ही किसी की भावनाओं की। और अफसोस की बात यह है कि इन हरकतों के पीछे कई बार ऐसे लोग होते हैं जो भारत विरोधी एजेंडे से जुड़े होते हैं।
सोशल मीडिया पर मौजूद कुछ कम्युनिस्ट विचारधारा वाले लोग और अन्य राष्ट्रविरोधी समूह लगातार भारत के खिलाफ नफरत फैलाने में जुटे हैं।
ये लोग फेक न्यूज फैलाते हैं, सेना और सरकार को बदनाम करने की कोशिश करते हैं और धर्म के नाम पर लोगों को भड़काते हैं।
इनका उद्देश्य साफ है भारत को अंदर से कमजोर करना।
ऐसे लोग खासतौर पर युवाओं को निशाना बनाते हैं। उन्हें गलत जानकारी देकर भटकाते हैं। कुछ ग्राफिक्स और चौंकाने वाले आंकड़ों के ज़रिए यह जताते हैं कि भारत में कुछ भी सही नहीं हो रहा।
जब युवा इन बातों को सच मान लेते हैं, तब उनका भरोसा अपने देश से डगमगाने लगता है।
दिनभर सोशल मीडिया पर वक्त बिताने से न केवल आंखों और शरीर पर असर होता है, बल्कि इसका सीधा असर मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।
युवा खुद की तुलना दूसरों से करने लगते हैं, जो डिप्रेशन और हीनभावना को जन्म देता है।
लाइक और फॉलोअर्स की गिनती ने युवाओं को अपनी असली पहचान से दूर कर दिया है।
आजकल सोशल मीडिया अपराधियों के लिए भी एक नया प्लेटफॉर्म बन चुका है।
कई मामले सामने आए हैं जहां लोग सोशल मीडिया पर दोस्ती कर के ब्लैकमेल करते हैं।
अश्लील चैट, वीडियो कॉल और फिर उनका स्क्रीनशॉट लेकर पैसे की मांग या बदनाम करने की धमकी देना अब एक सामान्य तरीका बन गया है।
सरकार और साइबर एजेंसियां अपने स्तर पर काम कर रही हैं, लेकिन असली बदलाव तब आएगा जब युवा खुद जागरूक होंगे।
उन्हें यह समझना होगा कि हर पोस्ट, हर खबर सच नहीं होती। कोई भी जानकारी शेयर करने से पहले उसकी सच्चाई जांचना ज़रूरी है।
माता-पिता को भी बच्चों पर नजर रखनी होगी। उन्हें यह समझाना होगा कि सोशल मीडिया केवल मनोरंजन या जानकारी का साधन है, जीवन नहीं।
सोशल मीडिया ने जहां दुनिया को करीब लाने का काम किया है, वहीं इसका गलत उपयोग समाज को तोड़ने का काम कर रहा है।
विशेष रूप से भारत जैसे देश में जहां युवा आबादी सबसे ज्यादा है, वहां यह एक गंभीर खतरा बन चुका है।
अगर अब भी हमने ध्यान नहीं दिया, तो हमारे युवा मानसिक, सामाजिक और वैचारिक रूप से कमजोर हो जाएंगे।
यह वह स्थिति होगी जहां दुश्मन बिना हथियार के हमें अंदर से तोड़ देगा।
समय है जागने का, सतर्क रहने का और सोशल मीडिया का सही तरीके से उपयोग करने का।
लेख
शोमेन चंद्र
तिल्दा, छत्तीसगढ़