बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने एक बार फिर भारत के खिलाफ जहर उगला है।
इस बार उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की आवाज दबाने की मांग की है।
लेकिन जब बात बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों की होती है तो यूनुस हमेशा चुप्पी साध लेते हैं।
लंदन के चैथम हाउस में यूनुस ने दावा किया कि उन्होंने मोदी से गुजारिश की थी कि हसीना को सोशल मीडिया पर बोलने से रोका जाए।
लेकिन मोदी ने दो टूक जवाब दिया कि सोशल मीडिया को कंट्रोल नहीं किया जा सकता।
यूनुस को यह बात इतनी बुरी लगी कि उन्होंने भारत को ही बांग्लादेश में बिगड़ते हालात का जिम्मेदार ठहराना शुरू कर दिया।
उन्हें इस बात से भी परेशानी है कि भारत ने शेख हसीना को शरण दी है।
उनका कहना है कि हसीना पर जो गुस्सा था, अब वह सब भारत पर निकल रहा है।
यह बयान साफ तौर पर बांग्लादेश की असल मंशा को उजागर करता है।
मुहम्मद यूनुस यह भी कहते हैं कि भारतीय मीडिया फेक न्यूज चलाकर हालात बिगाड़ रहा है।
लेकिन वह यह नहीं बताते कि हिंदुओं के मंदिरों पर हमले और महिलाओं के साथ हुई ज्यादती क्या झूठ है। यूनुस यह सब जानबूझकर नजरअंदाज करते हैं।
उन्होंने हमेशा यह कहा कि हिंदुओं पर हुए हमले राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा हैं।
लेकिन सच्चाई यह है कि इन हमलों में शामिल भीड़ ने केवल धर्म देखकर चुनकर हिंदुओं को निशाना बनाया।
यूनुस इस कटु सत्य को भी छुपाने की कोशिश करते हैं।
यूनुस ने तो जमात-ए-इस्लामी जैसे आतंकी संगठनों को भी क्लीन चिट दे दी, जो इन हमलों में शामिल थे।
हसीना की सरकार ने इन पर बैन लगाया था लेकिन यूनुस ने उस बैन को भी हटा दिया। इससे साफ होता है कि वे कट्टरपंथियों के साथ खड़े हैं।
उन्होंने उन रिपोर्ट्स को भी झूठा बताया जिसमें संयुक्त राष्ट्र ने साफ लिखा कि बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हिंसा बढ़ी है।
यानी अब उन्हें UN की रिपोर्ट भी फेक लगती है। क्या यूनुस अब सच से डरने लगे हैं?
जब मई में जेसोर जिले के एक गांव में हिंदुओं के घर जलाए गए तो यूनुस की सरकार ने एक लंबा पोस्ट लिखकर इस हमले को सामान्य घटना बताया।
लेकिन जब सच सामने आया तो खुद यूनुस ने अपना पोस्ट डिलीट कर दिया।
यूनुस यह भी कहते हैं कि वे भारत के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं लेकिन उनके ही करीबी सलाहकार भारत को धमकी देते हैं।
कोई कहता है भारत के 7 राज्य हथिया लेंगे तो कोई पूर्वोत्तर को चीन के साथ जोड़ने की बात करता है।
उन्हीं के लोगों ने कहा कि अगर भारत हसीना को नहीं सौंपता तो जोरदार विरोध होगा।
क्या इसी को कहते हैं अच्छे संबंध? यूनुस ने 1971 की जंग में भारत के योगदान को भी नकार दिया और इतिहास की किताबों से सच्चाई मिटा दी।
यूनुस ने हिलसा मछली के निर्यात पर रोक लगाने की कोशिश की, ताकि भारत को आर्थिक नुकसान हो। लेकिन उनकी यह कोशिश भी फेल हो गई।
ये सब देखकर साफ है कि यूनुस जानबूझकर भारत को दुश्मन के तौर पर पेश कर रहे हैं।
उन्होंने बार-बार यह दोहराया कि भारत की वजह से बांग्लादेश में अस्थिरता बढ़ रही है, जबकि असल में उनकी नाकामी ने देश को गर्त में पहुंचा दिया है।
अपनी नाकामी छिपाने के लिए वह भारत को बलि का बकरा बना रहे हैं।
यूनुस को शेख हसीना की आवाज से डर लगता है लेकिन जमातियों की हिंसा उन्हें बुरी नहीं लगती।
यूनुस भारत की जमीन को लेकर भी विवादित बयान दे चुके हैं।
उन्होंने पूर्वोत्तर को बांग्लादेश के जरिए चीन से जोड़ने की बात कही थी।
क्या यही उनके अच्छे रिश्तों की कल्पना है? उनका यह व्यवहार भारत विरोध की पराकाष्ठा है।
प्रधानमंत्री मोदी को धमकियां देने वालों पर यूनुस चुप रहते हैं लेकिन भारत से मदद की भीख मांगते हैं।
यह दोहरा चरित्र अब सबके सामने आ चुका है। भारत की चुप्पी को कमजोरी समझने की भूल यूनुस को भारी पड़ेगी।
हिंदू विरोधी हिंसा पर चुप रहकर, शेख हसीना की आवाज दबाने की मांग करके और भारत को धमकाकर यूनुस ने बता दिया कि वे सिर्फ कट्टरपंथियों की कठपुतली हैं।
अगर दोहरापन और ढिठाई के लिए कोई नोबेल पुरस्कार होता तो मुहम्मद यूनुस अब तक दो बार विजेता बन चुके होते। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि वे सत्ता के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
लेख
शोमेन चंद्र
तिल्दा, छत्तीसगढ़