नाइजीरिया के बेनुए राज्य के येलवाटा गांव में जो हुआ, वह किसी भी इंसान को झकझोर कर रख देगा।
यह हमला किसी धर्म या जाति पर नहीं, बल्कि पूरी इंसानियत पर था। हथियारों से लैस फुलानी इस्लामी आतंकी रात के अंधेरे में गांव पर टूट पड़े और न सिर्फ गोलियां चलाईं, बल्कि लोगों को जिंदा जला दिया।
इस खूनी वारदात में अब तक 200 से ज्यादा लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। मारे गए लोगों में महिलाएं, छोटे बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं।
यह गांव मुख्य रूप से खेती करने वाले लोगों का था, जिनमें से कई पहले से ही फुलानी आतंकियों के पिछले हमलों के कारण अपने घरों से विस्थापित हो चुके थे।
गवाहों के मुताबिक, गुरुवार रात 10 बजे करीब 40 से ज्यादा आतंकी मोटरसाइकिलों पर आए।
वे ‘अल्लाह हू अकबर’ चिल्लाते हुए घरों में घुस गए। जो मिला, उसे गोली मार दी, कई घरों को आग के हवाले कर दिया।
हमला इस कदर योजनाबद्ध था कि आतंकियों ने पूरे गांव को चारों ओर से घेर लिया था।
ये हमलावर नासरावा राज्य के डोमा, कीना और ओबी ज़िलों से आए थे।
गांव के युवा नेता मटोन मैथियास के मुताबिक, हमलावरों ने हौसा और फुलफुलदे भाषाओं में बात करते हुए विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों को निशाना बनाया।
स्थानीय अधिकारियों और संस्थाओं का कहना है कि यह हमला किसी धार्मिक टकराव का हिस्सा नहीं, बल्कि एक रणनीति के तहत किया गया हमला था।
मकसद है इलाके को खाली कराकर इस्लामी कब्जा जमाना। कई रिपोर्टों में सामने आया है कि फुलानी आतंकी समूह नाइजीरिया के ईसाई-बहुल इलाकों में 950 से ज्यादा जगहों पर कब्जा जमा चुके हैं।
इससे करीब 40 फीसदी गांव सीधे खतरे में हैं। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि राज्य सरकारें और प्रशासन आंखें मूंदे बैठे हैं।
नासरावा की राजधानी लाफिया को कई आतंकी हमलों का बेस बताया गया है, लेकिन सरकारें इसे रोकने में नाकाम रही हैं।
स्थानीय समाजसेवियों का कहना है कि सरकार की चुप्पी, आतंकियों को बढ़ावा देने जैसी है।
इस हमले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि कट्टरपंथ और मजहबी नफरत जब हथियार उठाते हैं, तो सबसे पहले इंसानियत मरती है।
यह न केवल एक समुदाय के खिलाफ हमला था, बल्कि मानव समाज के मूल्यों पर हमला था।
येलवाटा अब सिर्फ एक गांव नहीं रहा, यह अब एक चेतावनी है कि अगर कट्टरपंथ को रोका नहीं गया, तो यह आग हर सीमा को पार कर सकती है।