वैश्विक खेल ब्रांड नाइकी एक बार फिर विवादों के घेरे में है। इस बार मामला भारत में इसके पहले देश-विशिष्ट सहयोग से जुड़ा है, जिसमें नाइकी ने NorBlack NorWhite के साथ मिलकर एक कैंपेन शुरू किया।
लेकिन इस कैंपेन में एक अमेरिका-आधारित बांग्लादेशी इन्फ्लुएंसर को शामिल करने का फैसला भारी पड़ गया।
इस इन्फ्लुएंसर पर कश्मीर को "भारत द्वारा कब्जा किया हुआ" बताने और "ऑपरेशन सिंदूर" के दौरान भारत विरोधी प्रचार फैलाने के गंभीर आरोप हैं।
सोशल मीडिया पर #BoycottNike ट्रेंड ने तूल पकड़ लिया है, और भारतीय उपभोक्ता नाइकी के इस कदम को राष्ट्रीय भावनाओं के साथ खिलवाड़ मान रहे हैं।
यह विवाद न केवल नाइकी की ब्रांडिंग रणनीति पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे वैश्विक ब्रांड्स भारत जैसे संवेदनशील बाजारों में गलत कदम उठाकर अपनी साख को दांव पर लगा सकते हैं।
पिछले सप्ताह, नाइकी ने अपने पहले भारत-केंद्रित सहयोग की घोषणा की, जिसमें मुंबई-आधारित डिज़ाइनर ब्रांड NorBlack NorWhite के साथ साझेदारी शामिल थी।
इस कैंपेन का उद्देश्य भारतीय संस्कृति और फैशन को वैश्विक मंच पर ले जाना था। लेकिन जैसे ही नाइकी ने अपने प्रचार अभियान के लिए एक बांग्लादेशी मूल की इन्फ्लुएंसर को चुना, सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस इन्फ्लुएंसर ने पहले कश्मीर को लेकर विवादास्पद बयान दिए थे, जिसमें उन्होंने इसे "भारत द्वारा कब्जा किया हुआ क्षेत्र" बताया था।
इसके अलावा, "ऑपरेशन सिंदूर" के दौरान, जब भारतीय सेना ने आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई की थी, तब इस इन्फ्लुएंसर ने कथित तौर पर भारत विरोधी प्रचार को बढ़ावा दिया।
इन आरोपों ने भारतीय उपभोक्ताओं और राष्ट्रवादी समूहों में गुस्सा भड़का दिया, जिसके परिणामस्वरूप #BoycottNike ट्रेंड ने ट्विटर (अब X) पर जोर पकड़ा।
सोशल मीडिया पर इस विवाद ने आग की तरह फैलते हुए लाखों भारतीयों का ध्यान खींचा।
एक यूजर ने X पर लिखा, "नाइकी को भारत की सांस्कृतिक और राष्ट्रीय भावनाओं का सम्मान करना चाहिए था। किसी ऐसे व्यक्ति को चुनना, जो भारत विरोधी विचार रखता है—ये बहुत निराशाजनक है।"
इसी तरह, एक अन्य यूजर ने टिप्पणी की, "ऑनलाइन भारत को गाली दो, ऑफलाइन भारत से कमाई करो। ये अब सिर्फ पाखंड नहीं—ब्रांडिंग स्ट्रैटेजी बन चुकी है।"
ये टिप्पणियां दर्शाती हैं कि भारतीय उपभोक्ता नाइकी के इस फैसले को न केवल असंवेदनशील, बल्कि जानबूझकर किया गया अपमान मान रहे हैं।
नाइकी का यह कदम इसलिए भी आलोचना का शिकार हुआ क्योंकि भारत कंपनी के लिए एक बड़ा और तेजी से बढ़ता बाजार है।
एक अनुमान के अनुसार, भारत में खेल और कैजुअल परिधान बाजार 2025 तक 10 बिलियन डॉलर से अधिक का हो सकता है, जिसमें नाइकी की हिस्सेदारी महत्वपूर्ण है।
लेकिन इस तरह के विवाद ब्रांड की विश्वसनीयता को गहरा नुकसान पहुंचा सकते हैं।
एक मार्केटिंग एक्सपर्ट कहते हैं, "नाइकी जैसे वैश्विक ब्रांड्स को स्थानीय संवेदनाओं को समझना होगा। भारत जैसे देश में, जहां राष्ट्रीय गौरव और संप्रभुता के मुद्दे गहरे भावनात्मक जुड़ाव रखते हैं, ऐसी गलतियां ब्रांड को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती हैं।"
यह पहली बार नहीं है जब नाइकी विवादों में घिरा है। 2019 में, कंपनी ने अमेरिका में एक जूता डिज़ाइन वापस लिया था, जिस पर उपनिवेशवाद से जुड़े प्रतीकों का इस्तेमाल होने का आरोप लगा था।
लेकिन भारत में यह विवाद अधिक गंभीर है, क्योंकि यह सीधे राष्ट्रीय संप्रभुता और भावनाओं से जुड़ा है।
कश्मीर का मुद्दा भारत के लिए अत्यंत संवेदनशील है, और किसी भी ब्रांड का ऐसा व्यक्ति चुनना, जो इस मुद्दे पर भारत विरोधी रुख रखता हो, उपभोक्ताओं के बीच गुस्से को भड़काने के लिए काफी है।
नाइकी ने इस विवाद पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, जो स्थिति को और जटिल बनाता है।
कंपनी की चुप्पी को कई लोग उसकी उदासीनता या दोष स्वीकार करने की अनिच्छा के रूप में देख रहे हैं।
एक यूजर ने X पर लिखा, "नाइकी की पहली इंडिया-केंद्रित साझेदारी में इतनी बड़ी चूक? यह सिर्फ गलती नहीं, यह भारत की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है।"
उपभोक्ताओं ने नाइकी के बजाय भारतीय ब्रांड्स जैसे Puma India, HRX, या अंतरराष्ट्रीय ब्रांड्स जैसे Adidas को प्राथमिकता देने की अपील शुरू कर दी है।
इस विवाद ने भारत में सोशल मीडिया की ताकत को भी उजागर किया है।
#BoycottNike ट्रेंड ने न केवल नाइकी की ब्रांड छवि को नुकसान पहुंचाया, बल्कि यह भी दिखाया कि भारतीय उपभोक्ता अब अपनी आवाज को वैश्विक मंच पर प्रभावी ढंग से उठा सकते हैं।
हाल के वर्षों में, #BoycottChina और #BoycottTanishq जैसे अभियानों ने भी दिखाया है कि भारतीय उपभोक्ता असंवेदनशीलता या विवादास्पद फैसलों के खिलाफ एकजुट हो सकते हैं।
इस बार, नाइकी का यह कदम उपभोक्ताओं के धैर्य की परीक्षा ले रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि नाइकी को इस स्थिति को संभालने के लिए तत्काल कदम उठाने होंगे।
ब्रांड कंसल्टेंट एक्सपर्ट का कहना है, "नाइकी को चाहिए कि वह तुरंत माफी मांगे और इस इन्फ्लुएंसर को अपने कैंपेन से हटाए। साथ ही, कंपनी को भारत में अपनी ब्रांडिंग रणनीति की समीक्षा करनी होगी। अन्यथा, यह विवाद लंबे समय तक उनकी बिक्री और प्रतिष्ठा को प्रभावित कर सकता है।"
एक्सपर्ट यह बयान उन चिंताओं को रेखांकित करता है, जो इस समय भारतीय बाजार में नाइकी की स्थिति को लेकर उठ रही हैं।
नाइकी के लिए भारत एक ऐसा बाजार है, जहां युवा आबादी और बढ़ती क्रय शक्ति के कारण अपार संभावनाएं हैं।
लेकिन इस विवाद ने दिखाया कि अवसरों के साथ-साथ जोखिम भी हैं।
यदि नाइकी इस मुद्दे को संवेदनशीलता के साथ नहीं संभालता, तो यह न केवल उसकी बिक्री को प्रभावित कर सकता है, बल्कि अन्य वैश्विक ब्रांडों के लिए भी एक सबक बन सकता है।
भारतीय उपभोक्ता अब पहले से कहीं अधिक जागरूक और मुखर हैं। वे उन ब्रांडों को जवाबदेह ठहराने के लिए तैयार हैं, जो उनकी भावनाओं और राष्ट्रीय गौरव का सम्मान नहीं करते।
अंत में, यह विवाद नाइकी के लिए एक चेतावनी है कि भारत जैसे विविध और भावनात्मक रूप से संवेदनशील बाजार में, हर कदम सोच-समझकर उठाना होगा।
#BoycottNike ट्रेंड केवल एक सोशल मीडिया अभियान नहीं है; यह भारतीय उपभोक्ताओं की उस शक्ति का प्रतीक है, जो ब्रांड्स को उनकी गलतियों का अहसास करा सकती है।