जगदलपुर नर्सिंग कॉलेज में हिन्दू आस्था पर हमला, शिवलिंग हटवाकर मुसलमानों को खुश किया गया

17 Jun 2025 23:15:32
Representative Image
 
छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में स्थित सरकारी नर्सिंग कॉलेज इन दिनों विवाद का केंद्र बना हुआ है।
 
यहां मुस्लिम छात्राओं की शिकायत के बाद प्रबंधन ने कॉलेज कैंपस से स्थापित शिवलिंग को हटवा दिया।
 
इतना ही नहीं, प्रबंधन ने खुद स्वीकार किया कि यह कदम कॉलेज का “माहौल बिगड़ने” से बचाने के लिए उठाया गया।
 
लेकिन सवाल यह है कि किसके दबाव में यह कदम उठाया गया? क्या हिन्दू आस्था को कुचलकर शांति लाई जाएगी?
 
इस कॉलेज में हिंदू और मुस्लिम छात्राएं साथ में हॉस्टल में रहती हैं। दो दिन पहले खाने-पीने और पूजा-पाठ को लेकर मामूली विवाद हुआ, लेकिन जब इसमें धार्मिक पहचान जुड़ गई, तो सारा झुकाव मुस्लिम पक्ष की ओर दिखा।
 
हिंदू छात्राओं की आस्था के प्रतीक शिवलिंग को हटवा दिया गया। इससे हिंदू छात्राएं आक्रोशित हो गईं और प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी की।
 
वार्डन और प्रिंसिपल का नाम और सोच पर सवाल
 
इस विवाद में जिन दो प्रमुख लोगों का नाम सामने आया है, वे हैं कॉलेज की प्रिंसिपल स्वर्णलता पीटर और वॉर्डन अर्जिया अली खान।
 
दोनों ने मिलकर न सिर्फ शिवलिंग को हटवाया, बल्कि उसे कथित रूप से फेंक भी दिया गया।
 
Representative Image
 
वॉर्डन ने खुद कहा कि प्रिंसिपल के कहने पर यह कदम उठाया गया। गार्ड ने पहले मना किया लेकिन बाद में दबाव में आकर हटाया गया।
 
सवाल यह है कि क्या इस देश में हिन्दू धार्मिक प्रतीकों को हटाना अब आम बात बन चुकी है?
 
हिंदू संगठनों का विरोध और पुनः स्थापना
 
हिंदू संगठनों ने मौके पर पहुंचकर विरोध जताया और कहा कि शिवलिंग को हटवाया नहीं, बल्कि जानबूझकर अपमानित करने के लिए फेंका गया। इससे वह खंडित हो गया।
 
इसे सीधा हमला माना गया हमारे धर्म और परंपरा पर।
 
Representative Image
 
बाद में उसी स्थान पर एक और जागृत शिवलिंग स्थापित किया गया, जो सावन के दौरान 51 महारुद्राभिषेक में उपयोग में लाया गया था।
 
यह एक संकेत है, सजग हो जाइए
 
आज यह घटना एक कॉलेज में हुई है, कल ये मंदिरों और घरों तक पहुंचेगी।
 
बहुसंख्यक समाज की आस्था को कुचलना और फिर उसे “सांप्रदायिक सौहार्द” का नाम देना, यही वह मानसिकता है जो देश के ताने-बाने को तोड़ने की साजिश कर रही है।
ये वही लोग हैं जो एक तरफ “धर्मनिरपेक्षता” की बात करते हैं और दूसरी ओर हिन्दू प्रतीकों को हटवाने में सबसे आगे रहते हैं।
 
हिंदू समाज को अब यह समझना होगा कि अगर अपनी आस्था और संस्कृति की रक्षा करनी है, तो खामोश रहना अब विकल्प नहीं है।
 
धर्म के नाम पर तुष्टीकरण की राजनीति और मुसलमानों को खुश करने के लिए हिन्दुओं को अपमानित करना, यह बहुत हो चुका है।
 
देश को तोड़ने वालों के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा होने का यही वक्त है।
 
लेख
शोमेन चंद्र
तिल्दा, छत्तीसगढ़
Powered By Sangraha 9.0