छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ चल रही मुहिम अब किसी मौसम की मोहताज नहीं रहेगी। अब बारिश के दिनों में भी सुरक्षाबलों की कार्रवाई जारी रहेगी।
सरकार ने साफ कर दिया है कि नक्सलवाद का सफाया तय है और अब यह लड़ाई अंतिम दौर में पहुंच चुकी है।
नक्सल प्रभावित इलाकों में अब नक्सलियों को कोई राहत नहीं मिलने वाली।
एक तरफ जहां सुरक्षाबलों ने हाल के महीनों में कई बड़े नक्सली कमांडरों को मार गिराया है, वहीं दूसरी ओर सरकार ने दो टूक कह दिया है कि अब किसी तरह की बातचीत नहीं होगी। हथियार छोड़ो और मुख्यधारा में आओ, यही एक रास्ता बचा है।
छत्तीसगढ़ सरकार की नई आत्मसमर्पण नीति के तहत जो भी नक्सली हथियार छोड़कर लौटता है, उसे न केवल पुनर्वास मिलता है बल्कि विकास में भागीदार बनने का मौका भी दिया जाता है।
राज्य के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के नेतृत्व में यह नीति मजबूत हो रही है और इसके नतीजे भी दिख रहे हैं।
बीते कुछ महीनों में जिस तरह से ऑपरेशन तेज हुए हैं, उससे साफ है कि सरकार अब नक्सलवाद को खत्म करने के मिशन में पूरी ताकत से जुट गई है।
यह सिर्फ एक कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं है, यह राज्य की तरक्की से जुड़ा सवाल है। जब तक नक्सल हिंसा खत्म नहीं होती, तब तक विकास अधूरा रहेगा।
नवा रायपुर में नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी और सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैब का निर्माण शुरू हुआ है।
ये संस्थान न केवल आधुनिक जांच पद्धतियों को बढ़ावा देंगे बल्कि पूरे मध्य भारत को मजबूत कानूनी व्यवस्था देंगे।
साथ ही छत्तीसगढ़ में युवाओं को स्टार्टअप और उद्योग की दिशा में बढ़ावा देने के लिए i-Hub की शुरुआत की गई है।
राज्य में अब 5000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ इंडस्ट्रीज आ रही हैं। इससे नौकरियों और कारोबार के नए अवसर बनेंगे।
अब वक्त आ गया है कि जो लोग जंगलों में हिंसा का रास्ता चुन बैठे हैं, वे लौटें।
देश और समाज उन्हें अपनाने को तैयार है, लेकिन शर्त यही है कि हिंसा का रास्ता छोड़ना होगा। नक्सलवाद का अंत अब दूर नहीं।