नक्सल प्रभावित इलाकों में बिछेगी विकास की पटरियां, कोठागुडेम–किरंदुल रेललाइन का सर्वे अंतिम दौर में

26 Jun 2025 13:46:27
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बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित इलाकों में अब रेल विकास की रफ्तार पकड़ रहा है। तेलंगाना के कोठागुडेम से छत्तीसगढ़ के किरंदुल तक प्रस्तावित 160 किलोमीटर लंबी रेललाइन का सर्वे अब अंतिम चरण में पहुंच गया है। यह रेलमार्ग सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर जैसे जिलों को पहली बार रेल कनेक्टिविटी से जोड़ेगा।
 
इस परियोजना का 138 किलोमीटर हिस्सा छत्तीसगढ़ के अंदर आएगा। इन जिलों में रेल सुविधा शुरू होने से न केवल आवागमन में सुविधा होगी बल्कि रोजगार, शिक्षा और व्यापार के नए रास्ते भी खुलेंगे। इन जिलों के लिए यह रेललाइन सामाजिक और आर्थिक बदलाव की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकती है।
 
रेलवे विभाग ने सर्वे कार्य के लिए लिडार तकनीक का इस्तेमाल किया है। यह एक आधुनिक तकनीक है, जिससे जमीन की ऊंचाई और संरचना की सटीक जानकारी मिलती है। इससे रेललाइन के मार्ग निर्धारण में तेजी और सटीकता आती है।
 
यह परियोजना केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय की विशेष निगरानी में है। इसे सुरक्षा के साथ-साथ क्षेत्रीय विकास के नजरिए से बेहद अहम माना जा रहा है। नक्सल प्रभावित इलाकों में इस तरह की कनेक्टिविटी न केवल स्थानीय लोगों के जीवन में सुधार लाएगी, बल्कि सुरक्षा बलों की आवाजाही भी सुगम होगी।
 
भारतीय रेलवे ने छत्तीसगढ़ सरकार और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के सहयोग के लिए विशेष आभार जताया है। मुख्यमंत्री के निर्देशों और राज्य सरकार के बेहतर समन्वय से यह सर्वे कार्य दोबारा गति पकड़ सका है।
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि यह रेललाइन बस्तर अंचल को देश के दूसरे हिस्सों से जोड़ने में बड़ी भूमिका निभाएगी। इससे इलाके में न केवल विकास की संभावना बढ़ेगी बल्कि युवाओं को भी रोजगार और अवसर मिलेंगे। शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच आसान होगी और किसान अपनी उपज को दूर के बाजारों तक भेज सकेंगे।
 
इस रेललाइन को भविष्य में बस्तर अंचल के लिए सुरक्षा, समावेशन और समृद्धि का प्रतीक माना जा रहा है। रेलवे विभाग ने उम्मीद जताई है कि जल्द ही सर्वे पूरा करके निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
 
छत्तीसगढ़ के इतिहास में यह परियोजना एक नया अध्याय लिखेगी, जहां विकास की रेल नक्सल हिंसा से प्रभावित इलाकों तक पहुंचेगी और वहां के लोगों के जीवन में नया उजाला लाएगी।
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