जगदलपुर में बस्तर शांति समिति के तत्वावधान में माओवाद के विद्रूप चेहरे पर "बीजिंग से बस्तर तक" विचार गोष्ठी का आयोजन

03 Jun 2025 19:21:12
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बस्तर शांति समिति के बैनर तले मंगलवार को जगदलपुर के पंडित श्यामाप्रसाद मुखर्जी सभागार में 'माओवाद का असली चेहरा: बीजिंग से बस्तर तक' विषय पर विचार गोष्ठी हुई।
 
उप मुख्यमंत्री और गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि बस्तर के नौजवान अपने दम पर माओवादी विचारधारा को खत्म कर देंगे।
 
उन्होंने कहा कि बस्तर के युवा विकास की बात करेंगे और सुरक्षा बल के जवान अपने कर्तव्य के लिए हमेशा तैयार रहेंगे।
 
शर्मा ने कहा कि आज के युवा सोशल मीडिया का खूब इस्तेमाल करते हैं। इस मंच पर बस्तर की सकारात्मक तस्वीर जरूर दिखाएं। बस्तर का विकास बस्तर के तरीके से होगा।
 
यहां का जल, जंगल और जमीन बस्तर के लोगों और युवाओं की है। सरकार शांति के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। अभी जो सुरक्षा कैंप हैं, उन्हें भविष्य में वनोपज संग्रहण, प्रसंस्करण और बिक्री केंद्र बनाया जाएगा।
 
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उन्होंने नक्सलियों के काले कारनामों का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने कई निर्दोष लोगों और जवानों की हत्या की।
 
नक्सलियों ने सड़क, बिजली जैसी सुविधाओं को नुकसान पहुंचाया और आम लोगों से पैसे वसूले।
 
बस्तर में अब नक्सलवाद को खत्म करना जरूरी है।
 
नक्सल हिंसा से प्रभावित लोग दिल्ली जाकर राष्ट्रपति और केंद्रीय गृहमंत्री से अपनी पीड़ा बता चुके हैं।
 
जंतर-मंतर और जेएनयू में भी नक्सलवाद के खिलाफ आवाज उठाई।
 
अब पीड़ित लोग खुलकर अपनी बात रख रहे हैं और नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
 
माओवाद का अंत तय, बस्तर में आएगी शांति: वन मंत्री
 
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वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि बस्तर के लोग चार दशक से माओवाद का दंश झेल रहे हैं।
 
इसकी वजह से विकास में रुकावट आई, लेकिन अब लोग जागरूक हो चुके हैं। वे सुख, शांति और समृद्धि चाहते हैं।
 
केंद्र और राज्य सरकार मार्च 2026 तक माओवाद को जड़ से खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है।
 
इससे बस्तर में शांति और खुशहाली आएगी। फिर से बस्तर की वादियों में ढोल-मांदर की गूंज सुनाई देगी।
 
बस्तर में शांति के लिए सुरक्षा बल तैयार: आईजी
 
बस्तर आईजी सुंदरराज पी. ने कहा कि 1980 के दशक से नक्सल गतिविधियों ने बस्तर के विकास को रोका।
 
अब मां दंतेश्वरी के आशीर्वाद और सुरक्षा बलों की मेहनत से इस क्षेत्र में शांति जरूर आएगी।
 
क्या हुआ गोष्ठी में?
 
गोष्ठी में बस्तर सांसद महेश कश्यप, फिल्म निर्देशक सुदीप्तो सेन, बस्तर शांति समिति के दशरथ कश्यप, पूर्व विधायक राजा राम तोड़ेम और बस्तर जिला पत्रकार संघ के अध्यक्ष मनीष गुप्ता ने नक्सलवाद के कारण बस्तर की बदली तस्वीर पर अपने विचार रखे।
 
गोष्ठी में 1989 में चीन के तियानमेन चौक में माओवाद के खिलाफ लोकतंत्र की मांग करने वाले आंदोलन पर बनी वृत्तचित्र भी दिखाई गई।
उप मुख्यमंत्री और वन मंत्री ने युवाओं से बातचीत की। इस मौके पर कमिश्नर बस्तर डोमन सिंह, एसपी शलभ सिन्हा, जिला प्रशासन के अधिकारी, समाज प्रमुख, सामाजिक संगठनों के लोग, पत्रकार और बड़ी संख्या में युवा मौजूद थे।
 
तियानमेन चौक की घटना
 
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को आदर्श मानने वाले नक्सली बस्तर में जल, जंगल, जमीन की बात करते हैं।
 
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लेकिन उसी चीन में 3-4 जून 1989 को तियानमेन चौक में लोकतंत्र की मांग करने वाले 10 हजार छात्रों को टैंकों से कुचल दिया गया था।
 
नक्सलियों की खोखली विचारधारा
 
नक्सली माओ त्से तुंग के उस विचार को मानते हैं कि "राजनीतिक ताकत बंदूक की नली से निकलती है।"
 
इस विचारधारा ने बस्तर के हजारों आदिवासियों और सैकड़ों जवानों की जान ली। अब बस्तर इस खोखली विचारधारा से आजाद होकर विकास की राह पर बढ़ रहा है।
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