भारत की सेनाओं ने पाकिस्तानी आतंकियों को जवाब देने में अद्भुत सूझबूझ दिखाई थी, पर The Wire ने फिर से भारत को कमजोर दिखाने की फिराक में तर्क तोड़ प्रस्तुत किया।
ऑपरेशन सिंदूर आतंकियों की गुप्त रिहायत को चुनौती देने वाला साहसी कदम था, पर The Wire ने इसका फोकस भारत के विमानों के नुकसानों पर रखा।
इस रिपोर्ट ने भारत की रणनीतिक ताकत को नीचा दिखाने की कोशिश की।
पहलगाम में पाक प्रायोजित आतंकियों ने निर्दोष हिंदू पर्यटकों को निशाना बनाया। उन्होंने हिंदू पहचान की पुष्टि के बाद निर्दयता से हत्या की!
इस हमले पर मोदी सरकार ने सर्दजोशी और संयम के साथ जवाब दिया। देश ने पहली बार सीधे हवाई हमले से आतंक पर जवाबी कार्रवाई देखी।
इस कदम में सटीक रूल्स ऑफ एंगेजमेंट बनाए गए ताकि युद्ध की शुरुआत न हो, सिर्फ आतंक ढांचा ही क्षतिग्रस्त हो।
इंडोनेशिया में आए एक सेमिनार में कैप्टन शिव कुमार ने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन के शुरुआती दौर में राजनीतिक निर्देश आतंक ढांचे तक सीमित थे।
The Wire ने इस बयान को विकृत करके पेश किया कि इसे ‘राजनीतिक कमजोरी’ कहा गया।
असलियत यही है कि यह संयम भारत की जिम्मेदार एवं अंतरराष्ट्रीय नियमों में बंधी विदेश नीति का हिस्सा था।
पहले दौर में आतंक ढांचा क्षतिग्रस्त हुआ तो पाकिस्तान ने एयर डिफेंस और एयरबेस का रक्षात्मक प्रदर्शन किया।
उसी समय भारत ने रणनीति बदली और ब्रह्मोस जैसे स्टैंड ऑफ हथियारों से एयर डिफेंस ढांचे को नष्ट किया। नतीजा साफ था:
- पाकिस्तानी एयरबेस ध्वस्त हुए
- एयर डिफेंस सिस्टम कमजोर हुआ
- ड्रोन हमले नाकाम हुए
- पाकिस्तान को शांति वार्ता की गुहार करनी पड़ी
यह मोदी सरकार की सूझबूझ और त्वरित कार्रवाई का नतीजा था। The Wire ने इन उपलब्धियों को दिखने से रोकने का प्रयास किया।
The Wire लगातार भारत को कमजोर दिखाना चाहती है। जब भारतीय सेना तेजी से कार्रवाई करती है, तो इसे ‘उकसावा’ कह देती है।
जब थोड़ी धीमी पहल होती है, तो उसे ‘कमजोरी’ बता देती है। यानी उनकी रणनीति विरोध नहीं, पर केंद्र सरकार को हर हाल में बदनाम करना है।
यह वही मीडिया है जो पाकिस्तान में आतंकियों को संरक्षण देने की बात को छिपाता है।
यह वही The Wire है जो गालवान घाटी या बालाकोट के जवाबों को ‘अति’ और ‘हिंसक’ कहता है।
पर जब आतंकियों पर हमला होता है तो इसके लिए कटु कदम को ‘खराब नीति’ करार दे देता है।
ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की ठोस रणनीति, संयमित शुरुआत, और निर्णायक ताकत दोनों दिखाई। राजनीतिक नेतृत्व ने दिखाया कि युद्ध में विवेक जरूरी है।
The Wire की रिपोर्ट सिर्फ कटु दिमाग रखती है, क्योंकि उसे देश की मजबूती दिखेगी नहीं।
वह अब भी ‘नेताओं को सस्ते तरीके से घसीटना’ ही सबसे बड़ी सफलता मानता है।
जिस समय राष्ट्र ने एक नए सामरिक युग की ओर कदम रखा है, The Wire जैसे मीडिया आउटलेट अभी भी वही पुरानी सोच पर अड़े हैं।
उनका हर प्रयास एक ही है: भारत के साहस को कमतर दिखाना, विमानों की कीमत को बढ़ा-चढ़ाकर प्रचारित करना, और देश की एकता पर कीचड़ उछालना।
पर सच्चाई को झुकाया नहीं जा सकता। ऑपरेशन सिंदूर ने आतंकियों को धूल चटाई, पाकिस्तानी मायाजाल को उजागर किया, और भारत को साबित किया - देश की सेना, प्रधानमंत्री और सरकार तीनों मिलकर सीमा पर शांति कायम रख सकते हैं।
ऐसे में The Wire जैसा मीडिया हमेशा खामोश होने के बजाय सच को अपनाए, नहीं तो जनता इसे अस्वीकार कर देगी।
शायद अब समय आ गया है कि इस तरह की रिपोर्टिंग को गहराई से परखा जाए और मीडिया को देश के हितों पर स्पष्टीकरण देना ज़रूरी हो।
लेख
शोमेन चंद्र
तिल्दा, छत्तीसगढ़