आज का दिन वैश्विक मंच पर भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक अनिश्चितता की उन खबरों से भरा रहा, जिन्होंने दुनिया भर का ध्यान अपनी ओर खींचा। हमारा यह कॉलम "ग्लोबल अपडेट्स" आपके लिए लाएगा उन पांच सबसे बड़ी खबरों को, जो न सिर्फ सनसनीखेज हैं, बल्कि वैश्विक स्थिरता पर गहरा प्रभाव डाल सकती हैं।
आज हम बात करेंगे चीन की अर्थव्यवस्था में बढ़ते दबाव की, अमेरिका की विवादास्पद विदेश नीति की, रूस-यूक्रेन युद्ध में बढ़ती हिंसा की, उत्तर कोरिया की खतरनाक आक्रामकता की, और पाकिस्तान में गहराते राजनीतिक संकट की।
चीन की अर्थव्यवस्था से एक खबर ने वैश्विक बाजारों में हलचल मचा दी है। ट्रेडिंग इकोनॉमिक्स की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, चीन के विदेशी मुद्रा भंडार में मई 2025 में मात्र 3.6 बिलियन डॉलर की वृद्धि हुई, जो विश्लेषकों की अपेक्षा से काफी कम है। यह वृद्धि तब हुई, जब अमेरिकी डॉलर अन्य प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले कमजोर हो रहा था, जिसके बावजूद चीन का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह चीन की आर्थिक स्थिति में बढ़ते दबाव का स्पष्ट संकेत है।
पिछले कुछ महीनों से चीन की अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों का सामना कर रही है, जिसमें निर्यात में कमी, घरेलू मांग में सुस्ती, और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बाधाएं शामिल हैं। इस स्थिति ने चीन की कम्युनिस्ट सरकार पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जो अपनी आर्थिक नीतियों को लेकर पहले ही आलोचना झेल रही है। कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अगर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही, तो वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर पड़ेगा। क्या यह चीन की आर्थिक शक्ति के कमजोर होने की शुरुआत है? यह सवाल अब हर किसी की जुबान पर है।
अमेरिका से एक विवादास्पद खबर ने वैश्विक कूटनीति में तूफान खड़ा कर दिया है। द व्हाइट हाउस की एक आधिकारिक घोषणा के अनुसार, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 19 देशों के नागरिकों के लिए वीजा जारी करने पर पूर्ण या आंशिक प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। इस निर्णय को “राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा” के नाम पर लिया गया है, लेकिन इसने दुनिया भर में तीखी आलोचना को जन्म दिया है। इस प्रतिबंध में कई मुस्लिम-बहुल देशों के साथ-साथ कुछ अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देश भी शामिल हैं, जिसके चलते कई देशों ने इसे नस्लवादी और भेदभावपूर्ण करार दिया।
ईरान ने इस कदम को “अमेरिकी नीति में व्याप्त नस्लवादी मानसिकता” का उदाहरण बताया, जबकि संयुक्त राष्ट्र ने इसकी कड़ी निंदा की। विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला वैश्विक अस्थिरता को बढ़ा सकता है, खासकर उन देशों के साथ अमेरिका के रिश्तों में, जो पहले से ही तनावपूर्ण हैं। ट्रम्प की यह नीति उनकी “अमेरिका फर्स्ट” रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है, लेकिन इसका असर अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय छवि पर पड़ सकता है। क्या यह प्रतिबंध अमेरिका को और अलग-थलग कर देगा? यह सवाल अब हर किसी के मन में है।
अगली ख़बर में आज हम रूस-यूक्रेन युद्ध की ओर रुख करते हैं, जहां हिंसा ने एक बार फिर भयावह रूप ले लिया है। फ्रांस24 की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 7 जून 2025 को रूस ने यूक्रेन के खारकीव शहर पर अब तक का सबसे बड़ा हमला किया, जिसमें ड्रोन और मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया। इस हमले में कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई, और 22 से अधिक लोग घायल हुए। रूस ने रात भर में 215 ड्रोन और मिसाइलें दागीं, जिनमें से यूक्रेन की वायु सेना ने 87 ड्रोन और सात मिसाइलों को मार गिराया। इस हमले ने खारकीव में भारी तबाही मचाई, जिसमें 18 अपार्टमेंट और 13 निजी घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने इसे “रूस की क्रूरता” करार देते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से और मदद की अपील की। यह हमला ऐसे समय में हुआ है, जब रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता की उम्मीदें पहले से ही धूमिल हो चुकी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह हमला रूस की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वह यूक्रेन की जनता को डराने और उनकी हिम्मत तोड़ने की कोशिश कर रहा है। क्या यह युद्ध और हिंसक होता जाएगा, या शांति की कोई उम्मीद बाकी है? यह सवाल अभी अनुत्तरित है।
उत्तर कोरिया से एक खतरनाक खबर ने वैश्विक समुदाय को सतर्क कर दिया है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर कोरिया ने अमेरिका और दक्षिण कोरिया के खिलाफ परमाणु हमले का अभ्यास करते हुए दो शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण किया| इस परीक्षण का उद्देश्य संयुक्त सैन्य अभ्यासों का जवाब देना था, जो उत्तर कोरिया को “उकसाने वाला” लगता है।
इसके साथ ही, उत्तर कोरिया में एक बड़ा इंटरनेट आउटेज भी देखा गया, जिसे आंतरिक तकनीकी समस्या बताया गया है। लेकिन कई विशेषज्ञ इसे उत्तर कोरिया की साइबर रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं। यह परीक्षण संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन है, और इसने क्षेत्रीय तनाव को बढ़ा दिया है। उत्तर कोरिया की यह आक्रामकता न सिर्फ दक्षिण कोरिया और अमेरिका के लिए खतरा है, बल्कि पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र की स्थिरता को प्रभावित कर सकती है। क्या उत्तर कोरिया की यह हरकत एक बड़े संघर्ष को जन्म देगी? यह सवाल अब हर किसी के मन में है।