लॉस एंजिल्स में अराजकता: ट्रम्प के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन

लॉस एंजिल्स में ICE छापों के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन ने शहर को अराजकता में डुबो दिया। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें, जलती कारें, और राष्ट्रीय गार्ड की तैनाती ने तनाव बढ़ाया। क्या यह अमेरिका में आप्रवासन नीति का नया संकट है?

The Narrative World    08-Jun-2025   
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अमेरिका के सबसे बड़े शहरों में से एक, लॉस एंजिल्स, पिछले दो दिनों से हिंसक विरोध प्रदर्शनों की चपेट में है। यह अशांति शुक्रवार, 6 जून को शुरू हुई, जब अमेरिकी आप्रवासन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) ने शहर में अवैध प्रवासियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर छापेमारी शुरू की। इन छापों के जवाब में, सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर विरोध जताया, जिसके परिणामस्वरूप पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें हुईं। कारों में आग लगाई गई, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया, और राष्ट्रीय गार्ड को तैनात करने की घोषणा की गई। यह स्थिति न केवल लॉस एंजिल्स बल्कि पूरे अमेरिका में आप्रवासन नीतियों को लेकर बढ़ते तनाव को दर्शाती है।


शुक्रवार की सुबह, लॉस एंजिल्स के डाउनटाउन क्षेत्र और पैरामाउंट जैसे लातीनी बहुल उपनगरों में आईसीई ने छापेमारी शुरू की। इन छापों का लक्ष्य "आपराधिक अवैध प्रवासियों" को गिरफ्तार करना था, जिसमें कथित तौर पर गैंग के सदस्य, ड्रग तस्कर, और हिंसक अपराधों में शामिल लोग शामिल थे। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, शुक्रवार को कम से कम 44 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जबकि ब्लूमबर्ग ने बताया कि पूरे सप्ताह में देशभर में प्रतिदिन 2,000 लोगों को हिरासत में लिया गया, जिसमें लॉस एंजिल्स में 118 गिरफ्तारियां शामिल थीं। इन छापों ने स्थानीय समुदायों में भय और आक्रोश पैदा किया, खासकर पैरामाउंट जैसे क्षेत्रों में, जहां 80% से अधिक आबादी हिस्पैनिक है।


शनिवार को, विरोध प्रदर्शन और तेज हो गए। पैरामाउंट में एक होम डिपो और पास के एक मांस प्रसंस्करण संयंत्र के बाहर प्रदर्शनकारियों ने आईसीई एजेंटों के खिलाफ नारेबाजी की और सड़कों को अवरुद्ध कर दिया। समाचार चैनल फॉक्स न्यूज के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने पत्थर फेंके, वाहनों के टायर काटे, और सरकारी भवनों पर स्प्रे-पेंट से नारे लिखे, जिनमें "डेथ टू आईसीई" जैसे भड़काऊ संदेश शामिल थे। एक प्रदर्शनकारी ने कचरे के ढेर में आग लगा दी, जबकि अन्य ने आतिशबाजी का उपयोग करके पुलिस पर हमला किया। जवाब में, रॉयटर्स की एक तस्वीर में दिखाया गया कि रायट गियर में सजे बॉर्डर पेट्रोल कर्मियों ने आंसू गैस और फ्लैश-बैंग ग्रेनेड का इस्तेमाल किया, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई।


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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने स्थिति को "दंगे और लूटपाट" करार देते हुए शनिवार को 2,000 राष्ट्रीय गार्ड सैनिकों को लॉस एंजिल्स में तैनात करने का आदेश दिया। ट्रम्प ने अपने ट्रुथ सोशल मंच पर कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूजॉम और लॉस एंजिल्स की मेयर करेन बास की आलोचना की, यह कहते हुए कि अगर वे "अपना काम नहीं कर सकते," तो संघीय सरकार "समस्या को हल करेगी, जैसा कि इसे हल किया जाना चाहिए।" ट्रम्प के बॉर्डर czar टॉम होमैन ने फॉक्स न्यूज पर कहा, "हम लॉस एंजिल्स को सुरक्षित बना रहे हैं।" उन्होंने राष्ट्रीय गार्ड की तैनाती को उचित ठहराया और चेतावनी दी कि हिंसा या संपत्ति को नुकसान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।


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रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने घोषणा की कि अगर हिंसा जारी रही, तो कैम्प पेंडलटन से सक्रिय ड्यूटी मरीन को भी तैनात किया जा सकता है। यह कदम 1992 के रॉडनी किंग दंगों के बाद से लॉस एंजिल्स में सैन्य हस्तक्षेप का सबसे बड़ा उदाहरण होगा। हालांकि, गवर्नर न्यूजॉम ने इस तैनाती को "जानबूझकर भड़काऊ" करार दिया और कहा कि यह तनाव को और बढ़ाएगा। मेयर बास ने भी प्रदर्शनकारियों को शांतिपूर्ण विरोध करने की सलाह दी, लेकिन साथ ही कहा कि हिंसा और विनाश "अस्वीकार्य" है।


लॉस एंजिल्स के हिस्पैनिक समुदायों में इन छापों ने गहरा भय पैदा किया है। कोएलिशन फॉर ह्यूमेन इमिग्रेंट राइट्स की कार्यकारी निदेशक एंजेलिका सालास ने एक रैली में कहा, "हमारा समुदाय हमले का शिकार है और आतंकित हो रहा है। ये लोग मेहनती माता-पिता और श्रमिक हैं।" स्थानीय निवासियों ने बताया कि कई प्रवासी डर के मारे दुकानों और घरों में छिप गए, बाहर निकलने से डर रहे थे। कुछ प्रदर्शनकारियों ने मैक्सिकन और अमेरिकी झंडे लहराए, यह दर्शाते हुए कि वे अपने समुदाय की रक्षा के लिए एकजुट हैं।


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हालांकि, ट्रम्प प्रशासन ने इन विरोधों को "हिंसक भीड़" द्वारा प्रायोजित बताया और डेमोक्रेटिक नेताओं पर हिंसा को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। होमलैंड सिक्योरिटी विभाग की सचिव क्रिस्टी नोएम ने एक्स पर लिखा, "लॉस एंजिल्स के दंगाइयों के लिए एक संदेश: आप हमें नहीं रोक सकते। अगर आप कानून प्रवर्तन अधिकारी पर हाथ उठाएंगे, तो आपको कानून की पूरी सख्ती का सामना करना पड़ेगा।" आईसीई के कार्यवाहक निदेशक टॉड लायंस ने भी हिंसा की निंदा की और कहा कि एजेंसी "आपराधिक अवैध प्रवासियों को गिरफ्तार करना जारी रखेगी।"


यह अशांति केवल लॉस एंजिल्स तक सीमित नहीं है; यह ट्रम्प प्रशासन की आप्रवासन नीतियों और डेमोक्रेटिक नेतृत्व वाले कैलिफोर्निया के बीच गहरे वैचारिक टकराव को दर्शाती है। ट्रम्प ने पहले ही कैलिफोर्निया को संघीय फंडिंग काटने की धमकी दी है, यह दावा करते हुए कि राज्य की "सैंक्चुअरी" नीतियां देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं। दूसरी ओर, डेमोक्रेटिक नेताओं जैसे नैनेट बैरागन और गेविन न्यूजॉम ने आईसीई की रणनीति को "आतंक फैलाने वाला" करार दिया है।


लॉस एंजिल्स टाइम्स ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने "फुएरा आईसीई" (आईसीई, बाहर निकलो) जैसे नारे लगाए, और कुछ ने हिंसा का सहारा लिया, जैसे कि वाहनों में आग लगाना और पत्थर फेंकना। हालांकि, कई प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रख रहे थे, यह मांग करते हुए कि आईसीई स्थानीय समुदायों को लक्षित करना बंद करे। इस बीच, स्थानीय शेरिफ रॉबर्ट लूना ने स्पष्ट किया कि उनका विभाग इन छापों में शामिल नहीं है, और उन्होंने समुदाय में फैले डर को स्वीकार किया।


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यह पहली बार नहीं है जब लॉस एंजिल्स ने इस तरह की अशांति देखी है। 1992 में रॉडनी किंग के मामले के बाद हुए दंगों ने शहर को हिलाकर रख दिया था, और तब भी राष्ट्रीय गार्ड को तैनात किया गया था। हालांकि, उस समय तैनाती गवर्नर के अनुरोध पर हुई थी, जबकि इस बार यह संघीय सरकार का एकतरफा फैसला है। न्यूजवीक और अल जजीरा जैसे समाचार संगठनों ने इस स्थिति को ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण बताया, यह चेतावनी देते हुए कि यह ट्रम्प प्रशासन की व्यापक निर्वासन योजना का हिस्सा हो सकता है, जिसे राष्ट्रपति ने "इतिहास में सबसे बड़ा निर्वासन अभियान" कहा है।


विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति और बिगड़ सकती है। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के आप्रवासन नीति विशेषज्ञ प्रोफेसर जेम्स हॉलिंग्सवर्थ ने कहा, "ये छापे और उनके खिलाफ होने वाले विरोध न केवल स्थानीय समुदायों को प्रभावित कर रहे हैं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर आप्रवासन नीति के बारे में बहस को और गर्म कर रहे हैं। अगर दोनों पक्ष संयम नहीं बरतते, तो यह टकराव और हिंसक हो सकता है।"


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लॉस एंजिल्स की सड़कों पर जलती कारें, आंसू गैस के गोले, और प्रदर्शनकारियों की भीड़ इस बात का सबूत है कि अमेरिका में आप्रवासन नीति एक ज्वलनशील मुद्दा बना हुआ है। ट्रम्प प्रशासन की सख्त नीतियों और स्थानीय नेताओं की प्रतिक्रिया ने इस टकराव को और जटिल बना दिया है। जहां एक ओर प्रशासन का कहना है कि यह देश की सुरक्षा के लिए जरूरी है, वहीं दूसरी ओर प्रदर्शनकारी और स्थानीय नेता इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन मानते हैं।


जैसा कि राष्ट्रीय गार्ड शहर में तैनात हो रहा है, और मरीन को तैयार रखा गया है, लॉस एंजिल्स के निवासियों में अनिश्चितता और भय का माहौल है। यह संकट न केवल एक शहर की कहानी है, बल्कि एक राष्ट्र के गहरे विभाजन को दर्शाता है। अगले कुछ दिनों में स्थिति कैसे विकसित होती है, यह देखना बाकी है, लेकिन यह स्पष्ट है कि लॉस एंजिल्स की सड़कें अभी शांत होने से दूर हैं।