सुकमा में नक्सलियों का बड़ा हमला, आईईडी विस्फोट में एडिशनल एसपी बलिदान

09 Jun 2025 10:41:52

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छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के कोन्टा-एर्राबोरा मार्ग पर डोंडरा के जंगल में नक्सलियों ने एक कायरतापूर्ण हमला कर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) आकाश राव गिरपुन्जे को बलिदान कर दिया। यह हमला एक शक्तिशाली प्रेशर इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) विस्फोट के जरिए किया गया, जिसमें छत्तीसगढ़ पुलिस के सब-डिविजनल ऑफिसर ऑफ पुलिस (एसडीओपी) और थाना प्रभारी (टीआई) भी गंभीर रूप से घायल हुए हैं। सभी घायलों को कोन्टा अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहाँ उनकी स्थिति प्राथमिक रूप से खतरे से बाहर बताई जा रही है।

यह हमला नक्सलियों के 10 जून को भारत बंद के आह्वान और 11 जून से शुरू होने वाले तथाकथित शहीदी माह से ठीक पहले हुआ, जिसने सुकमा क्षेत्र में भय का माहौल पैदा कर दिया है। नक्सलियों की इस हिंसक घटना ने एक बार फिर उनके आतंकी चेहरे को उजागर किया है।

डोंडरा में घातक हमला

शुरआती रिपोर्ट के अनुसार, माओवादियों ने कल रात डोंडरा स्थित खदान में मौजूद पोकलेन में आगज़नी की थी, जिसे देखने आज सोमवार (09 जून, 2025) की सुबह एडिशनल एसपी आकाश राव अपनी टीम के साथ पहुँचे थे। इसी दौरान जिले के कोन्टा-एर्राबोरा मार्ग पर डोंडरा क्षेत्र में नक्सलियों ने एक सुनियोजित साज़िश कर प्रेशर आईईडी विस्फोट को अंजाम दिया।

इस हमले का शिकार कोन्टा डिवीजन के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आकाश राव गिरपुन्जे और उनकी टीम बनी, जो नक्सलियों के भारत बंद के आह्वान के मद्देनजर क्षेत्र में पैदल गश्त पर थी। यह गश्त नक्सली गतिविधियों को रोकने और स्थानीय समुदायों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए चल रही थी।

“विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि एएसपी आकाश राव गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें तत्काल कोन्टा अस्पताल ले जाया गया, जहाँ जाने के दौरान ही उनकी मृत्यु हो गई। इस हमले में पुलिस के एसडीओपी और टीआई भी घायल हुए हैं।”

 

घटना के तुरंत बाद, अतिरिक्त सुरक्षा बल मौके पर रवाना किए गए, और डोंडरा के जंगल में तलाशी अभियान तेज कर दिया गया। पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह हमला भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की दंडकारण्य विशेष क्षेत्र समिति (DKSZC) द्वारा किया गया हो सकता है, जो 21 मई 2025 को अबूझमाड़ में हुए ऑपरेशन के जवाब में हिंसक कार्रवाइयाँ बढ़ा रही है। हाल ही में हुए ऑपरेशन में नक्सली आतंकी संगठन के महासचिव नंबाला केशव राव, उर्फ बसव राजू, सहित 27 नक्सली मारे गए थे, जिसके बाद नक्सलियों ने 10 जून को भारत बंद और 11 जून से 3 अगस्त तक शहीदी माह का ऐलान किया था।

नक्सलियों की कमजोरी और हिंसक प्रतिक्रिया

हाल ही के नक्सल उन्मूलन ऑपरेशन ने नक्सली संगठन को गहरा झटका दिया था। इस अभियान में 10,000 से अधिक सैनिकों ने हिस्सा लिया था, जिसमें डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG), विशेष कार्य बल (STF), और CRPF की कोबरा इकाई शामिल थी। इस ऑपरेशन में नक्सलियों का शीर्ष नेता बसव राजू, जिसके सिर पर 1.5 करोड़ रुपये का इनाम था, मारा गया था।

बसव राजू को 2010 के चिंतलनार हमले और 2013 के झीरम घाटी नरसंहार का मास्टरमाइंड माना जाता था। उसकी मृत्यु ने नक्सलियों की रणनीतिक और मनोवैज्ञानिक ताकत को कमजोर किया, लेकिन डोंडरा में हुआ यह ताजा हमला दर्शाता है कि नक्सली अभी भी घातक हमले करने की साज़िश में जुटे हुए हैं।

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सुकमा और बस्तर क्षेत्र में नक्सलियों की हिंसक गतिविधियाँ हाल के दिनों में बढ़ी हैं। 7 जून 2025 को बस्तर के पूवर्ती गांव में नक्सलियों ने एक ग्रामीण, बोडके रामा की हत्या कर दी थी, जिस पर उन्होंने मुखबिरी का आरोप लगाया था। यह हत्या माओवादी कमांडर मडवी हिड़मा के गांव में हुई, जो अब भी फरार है। वहीं अब डोंडरा में हुआ यह आईईडी विस्फोट नक्सलियों की हताशा और उनकी आतंकी रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वे सुरक्षा बलों और स्थानीय समुदायों को भयभीत करने की कोशिश कर रहे हैं।

भारत बंद और शहीदी माह का खतरा

नक्सलियों ने बसव राजू की मृत्यु के विरोध में 10 जून को भारत बंद का आह्वान किया है। इसके साथ ही, उन्होंने 11 जून से 3 अगस्त तक तथाकथित शहीदी माह मनाने की घोषणा की है, जो उनकी परंपरागत शहीदी सप्ताह से भिन्न है। नक्सलियों के इतिहास में शहीदी सप्ताह हिंसक गतिविधियों का पर्याय रहा है, और इस बार शहीदी माह की लंबी अवधि ने सुरक्षा बलों की चिंता बढ़ा दी है।

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डोंडरा हमला इस बात का संकेत है कि नक्सली अपनी कमजोर स्थिति के बावजूद हिंसक प्रतिरोध करने की कोशिश कर रहे हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार, नक्सलियों ने कोन्टा-एर्राबोरा मार्ग पर पहले से ही कई प्रेशर आईईडी प्लांट किए थे, जो उनके सुनियोजित हमलों का हिस्सा हैं। हाल ही में, कर्रेगट्टा पहाड़ियों में सुरक्षा बलों ने 450 से अधिक आईईडी बरामद किए थे।

इस हमले ने स्थानीय समुदायों में भी डर का माहौल पैदा कर दिया है। नक्सली अक्सर ग्रामीणों को मुखबिरी के शक में निशाना बनाते हैं, जिससे स्थानीय लोग डर के साये में जीते हैं। पूवर्ती गांव में हुई हालिया हत्या और डोंडरा में यह हमला इस बात का प्रमाण है कि नक्सली अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए आतंकी गतिविधियों को लगातार अंजाम दे रहे हैं।

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