चीन की जासूसी गतिविधियों का एक और खुलासा हुआ है। इस बार मामला यूनान (ग्रीस) का है, जहां राफेल लड़ाकू विमानों की जासूसी करते हुए चार चीनी नागरिक पकड़े गए हैं।
इनमें दो पुरुष, एक महिला और एक किशोर शामिल हैं। इनकी संदिग्ध हरकतें ग्रीस के तानाग्रा एयरबेस के पास देखी गईं, जो राफेल विमानों का मुख्य ठिकाना है।
ग्रीस की एयरोस्पेस इंडस्ट्री के कर्मचारियों ने सबसे पहले इन्हें संवेदनशील सैन्य ठिकानों की तस्वीरें खींचते देखा। जब उन्हें रोका गया, तो वे पास के एक पुल से फिर से तस्वीरें लेने लगे।
आखिरकार ग्रीस की एयरफोर्स पुलिस ने कार्रवाई करते हुए इन सभी को गिरफ्तार कर लिया और इनके पास से भारी मात्रा में फोटो और डेटा बरामद किया गया है।
यह मामला सिर्फ यूनान की सुरक्षा का नहीं है, बल्कि भारत और उसके रक्षा सहयोगियों की भी चिंता का विषय है।
राफेल विमान भारत की वायुसेना की ताकत हैं। यदि चीन इन विमानों से जुड़ी तकनीकी जानकारी हासिल कर लेता है, तो यह सीधे तौर पर भारत की सैन्य तैयारियों को प्रभावित कर सकता है।
यह घटना कोई अकेली नहीं है। चीन लगातार दुनियाभर में जासूसी नेटवर्क फैला रहा है।
हैरानी की बात यह है कि यूनान जैसा देश, जो न तो चीन का दुश्मन है और न ही किसी तनाव में है, वहां भी चीन जासूसी करने से पीछे नहीं हटा।
चीन अपने नागरिकों, कंपनियों और छात्रों तक को खुफिया जानकारी इकट्ठा करने में लगाता है।
वहां का कानून सभी नागरिकों को जासूसी एजेंसियों के साथ सहयोग करने के लिए बाध्य करता है।
यानी कोई भी चीनी नागरिक, चाहे वह टूरिस्ट हो या व्यापारी, एक संभावित जासूस हो सकता है।
इस घटना से यह साफ हो गया है कि चीन न सिर्फ अपने विरोधियों, बल्कि भारत के दोस्तों को भी निशाना बना रहा है।
यूनान जैसे देशों के जरिये वह भारत की रक्षा प्रणाली को समझने की कोशिश कर रहा है।
भारत को अब अपने रक्षा साझेदारों के साथ खुफिया जानकारी साझा करने की व्यवस्था मजबूत करनी होगी।
इसके साथ ही चीनी कंपनियों और नागरिकों पर और ज्यादा निगरानी जरूरी हो गई है, चाहे वे भारत में हों या अन्य देशों में।
तानाग्रा एयरबेस की घटना कोई साधारण मामला नहीं है। यह चीन की वैश्विक जासूसी रणनीति का हिस्सा है, जो भारत जैसे देशों की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बनती जा रही है।
लेख
शोमेन चंद्र
तिल्दा, छत्तीसगढ़