भारत और मोरक्को के बीच द्विपक्षीय संबंधों में अभूतपूर्व प्रगति देखने को मिल रही है, जिसे मोरक्को के राजदूत मोहम्मद मालिकी ने गुरुवार को विदेश संवाददाता क्लब ऑफ साउथ एशिया में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में "आकाश सीमा नहीं" कहकर रेखांकित किया।
पिछले छह वर्षों में दोनों देशों के बीच व्यापार 2018 के 1.1 अरब डॉलर से बढ़कर 2024 में 4.5 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जो दवा और उर्वरक जैसे क्षेत्रों में मजबूत साझेदारी का परिणाम है। इस उछाल के पीछे रक्षा और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग जैसे नए आयाम भी हैं, जो दोनों देशों को वैश्विक मंच पर मजबूत स्थिति दिलाने की दिशा में अग्रसर हैं।
इस ऐतिहासिक प्रगति की शुरुआत 2023 से देखी गई, जब दोनों देशों ने रक्षा क्षेत्र में 15% अधिक समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए, जैसा कि भारत के रबात में दूतावास की आधिकारिक रिपोर्ट में उल्लेखित है। 2024 में रबात में आयोजित भारत-मोरक्को रक्षा उद्योग सेमिनार ने इस सहयोग को नई दिशा दी, जहां संयुक्त उद्यम और तकनीकी साझेदारी पर चर्चा हुई।
सेमिनार में मोरक्को के रक्षा मंत्रालय और भारत की भारतीय रक्षा निर्माता सोसाइटी ने भाग लिया, जिसमें टाटा ग्रुप ने मोरक्को में भारत की पहली रक्षा विनिर्माण सुविधा स्थापित करने की योजना की घोषणा की। मालिकी ने इस अवसर पर कहा, "हम चाहते हैं कि आप मोरक्को में आएं; हम आपका समर्थन करेंगे," जो दोनों देशों के औद्योगिक रणनीतियों के सामंजस्य को दर्शाता है।
व्यापारिक मोर्चे पर, भारतीय वाणिज्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, फार्मास्यूटिकल्स और उर्वरकों ने इस वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 2024 में आयात-निर्यात में 20% की वृद्धि दर्ज की गई, जो दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को गहरा करने की दिशा में एक कदम है। हालांकि, रक्षा और आतंकवाद विरोधी सहयोग इस साझेदारी का एक कम चर्चित लेकिन प्रभावी पहलू बनकर उभरा है।
2022 में हुई एक खुफिया सूचना साझाकरण संधि के बाद से, दोनों देशों ने संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए, जिसके परिणामस्वरूप आतंकवाद विरोधी अभियानों में 30% की वृद्धि हुई है, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ऑन ड्रग्स एंड क्राइम (यूएनओडीसी) की 2025 की रिपोर्ट में नोट किया गया है।
मोरक्को ने हाल के वर्षों में आतंकवाद के खिलाफ एक व्यापक रणनीति विकसित की है, जिसमें सुरक्षा उपायों के साथ-साथ क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग शामिल है। 2016 में ताजिकिस्तान में आयोजित एक कार्यशाला में मोरक्को- स्पेन सहयोग का उदाहरण देते हुए एक प्रतिभागी ने कहा, "बिना अंतरराष्ट्रीय सहयोग के कोई प्रभावी आतंकवाद विरोधी रणनीति संभव नहीं है।"
यूएनओडीसी की 2022 की एक रिपोर्ट के अनुसार, मोरक्को ने विदेशी आतंकवादी लड़ाकों (एफटीएफ) और उनके वापसी पर नियंत्रण के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए, जिसमें 1,600 से अधिक मोरक्कन नागरिकों की सीरिया और इराक में गतिविधियों पर नजर रखी गई। भारत के लिए यह सहयोग इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि दक्षिण एशिया में आतंकवाद एक स्थायी खतरा बना हुआ है।
इस साझेदारी के पीछे का कारण दोनों देशों की भू-राजनीतिक आवश्यकताएं हैं। भारत के 'मेक इन इंडिया' और मोरक्को के अफ्रीका और यूरोप में रणनीतिक स्थिति का लाभ उठाने की पहल एक-दूसरे के पूरक हैं। रक्षा विशेषज्ञ का मानना है, "यह साझेदारी न केवल आर्थिक लाभ देगी, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा में भी एक मिसाल कायम करेगी।" आतंकवाद विरोधी अभियानों में तकनीकी साझेदारी से दोनों देशों को आतंकवादी नेटवर्क को तोड़ने में मदद मिलेगी।
हालांकि, इस सहयोग को और मजबूत करने के लिए विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों देशों को नीतिगत ढांचे को और लचीला बनाना होगा। व्यापार और रक्षा के साथ-साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना भी संबंधों को गहरा करेगा। मालिकी के शब्दों में, "आकाश सीमा नहीं," यह नारा अब एक वास्तविकता बनता जा रहा है, क्योंकि भारत और मोरक्को एक वैश्विक मंच पर एक-दूसरे के सहयोगी के रूप में उभर रहे हैं। आने वाले वर्षों में यह साझेदारी न केवल आर्थिक विकास को गति देगी, बल्कि आतंकवाद जैसे वैश्विक खतरों से निपटने में भी एक नई मिसाल पेश करेगी।