एयर इंडिया विमान क्रैश: जाँच रिपोर्ट में आई हादसे के पीछे की चौंकाने वाली कहानी

12 जून 2025 को अहमदाबाद में एयर इंडिया के बोइंग 787-8 विमान के क्रैश की प्रारंभिक रिपोर्ट चौंकाने वाले खुलासे करती है। ईंधन स्विच की गड़बड़ी और पायलटों के इनकार ने संदेह बढ़ाया है। क्या बोइंग की लापरवाही इसके पीछे है?

The Narrative World    12-Jul-2025   
Total Views |

Representative Image

12 जून 2025 को अहमदाबाद से लंदन की ओर रवाना हुए एयर इंडिया के बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान के क्रैश की प्रारंभिक रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।


विमान हादसे की जांच कर रही एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) की रिपोर्ट के मुताबिक, विमान के इंजन के ईंधन कंट्रोल स्विच बीच हवा में अचानक कटऑफ हो गए, जिससे विमान की गति और नियंत्रण खो गया।


Representative Image

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि एक पायलट दूसरे से पूछा कि "क्या तुमने इंधन कटऑफ़ किया है?" इसका उत्तर देते हुए पहले दूसरे पायलट ने कहा, "मैंने ईंधन कटऑफ नहीं किया," जिससे इस घटना में तकनीकी गड़बड़ी या मानवीय त्रुटि का संदेह और गहरा गया है। यह हादसा एयर इंडिया के लिए 1985 के बाद का पहला घातक हादसा है।


12 जून को दोपहर 1:39 बजे (IST) अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उड़ान भरने के ठीक 30 सेकेंड बाद, विमान एक मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल ब्लॉक में जा गिरा, जिसमें 242 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों सहित 260 से अधिक लोगों की मौत हो गई।


Representative Image

यह हादसा न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में विमानन इतिहास के सबसे भीषण हादसों में से एक के रूप में दर्ज हो गया है। हादसे के बाद की तस्वीरें और वीडियो, जो सोशल मीडिया पर वायरल हुए,ने प्रत्येक व्यक्ति को झकझोर के रख दिया। इसकी आग की लपटों में पूरा हॉस्टल ब्लॉक जलकर राख हो गया था।


अब AAIB की प्रारंभिक रिपोर्ट में बताया गया है कि विमान के दोनों इंजनों के ईंधन कंट्रोल स्विच एक सेकेंड के अंतराल में कटऑफ हो गए, जिससे इंजन तुरंत बंद हो गए और विमान नियंत्रण खो बैठा।


यह स्विच, जो आमतौर पर RUN स्थिति में रहते हैं, को CUTOFF स्थिति में लाने से इंजन को तुरंत थ्रस्ट (धक्का) मिलना बंद हो जाता है, जिससे विमान दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है।


Representative Image

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि पायलटों ने इस स्विच को बंद करने की बात से इनकार किया है, जिससे सवाल उठता है कि आखिर यह कैसे हुआ? क्या यह एक तकनीकी खराबी थी, या फिर किसी बाहरी कारक ने इस घटना को अंजाम दिया?


हादसे की जांच में शामिल विशेषज्ञों का मानना है कि बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर, जो 2014 में एयर इंडिया को सौंपा गया था, ने अपनी सेवा में 41,000 से अधिक उड़ान घंटे पूरे कर लिए थे और करीब 8,000 टेकऑफ और लैंडिंग किए थे। यह विमान की उम्र और उपयोग के हिसाब से सामान्य था, लेकिन फिर भी ऐसे हादसे ने बोइंग की सुरक्षा रिकॉर्ड पर सवाल खड़े कर दिए हैं।


Representative Image

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बोइंग को पहले भी ड्रीमलाइनर के डिजाइन और निर्माण में शॉर्टकट लेने के आरोपों का सामना करना पड़ा है, जिसने इस हादसे के संदर्भ में कंपनी की जवाबदेही पर और ध्यान खींचा है।


हादसे के बाद की तस्वीरें, जो सोशल मीडिया में देखी गईं, एक वीरान और तबाह हॉस्टल ब्लॉक दिखाती हैं, जहां आग की तीव्रता इतनी ज्यादा थी कि तापमान 1,500 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था।


Representative Image

इसकी वजह से DNA टेस्टिंग में भी दिक्कतें आईं, और 28 जून तक सभी 260 शवों की पहचान डीएनए टेस्ट से की गई। इनमें गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपानी भी शामिल थे, जिनकी मौत ने इस हादसे को और भी दुखद बना दिया।


एयर इंडिया और बोइंग दोनों ही इस हादसे के बाद अपनी प्रतिक्रियाओं में सतर्कता बरत रहे हैं। एयर इंडिया के प्रवक्ता ने कहा, "हम इस हादसे की हरसंभव जांच कर रहे हैं और पीड़ित परिवारों के साथ खड़े हैं।" वहीं, बोइंग ने एक बयान में कहा, "हम इस हादसे से दुखी हैं और हरसंभव सहयोग प्रदान कर रहे हैं।" लेकिन इन बयानों के बावजूद, विशेषज्ञों का मानना है कि बोइंग की भूमिका और जिम्मेदारी पर गहराई से विचार करने की जरूरत है।


Representative Image

विमानन विशेषज्ञ और विंग कमांडर (रि.) आलोक सहाय ने कहा, "कोई पायलट तुरंत स्विच ऑफ़ नहीं कर सकता, इतनी जल्दी सब कैसे हो गया, ये जांच का विषय है। ईंधन कंट्रोल स्विच का अचानक कटऑफ होना एक गंभीर मुद्दा है, जिसकी जड़ तक पहुंचने की जरूरत है।"


इस हादसे के बाद भारतीय विमानन नियामक डीजीसीए (DGCA) ने एयर इंडिया के सभी बोइंग 787 विमानों की अतिरिक्त तकनीकी जांच का आदेश दिया था। डीजीसीए ने 15 जून से शुरू हुए इंस्पेक्शन में ईंधन पैरामीटर मॉनिटरिंग, केबिन एयर कम्प्रेसर, इलेक्ट्रॉनिक इंजन कंट्रोल सिस्टम और ऑयल सिस्टम की जांच शामिल की है। यह कदम एयर इंडिया और बोइंग दोनों के लिए एक चुनौतीपूर्ण समय ला सकता है, क्योंकि इस हादसे ने यात्रियों और विमानन उद्योग में विश्वास को हिला दिया है।


हादसे की जांच में शामिल सूत्रों के मुताबिक, ब्लैक बॉक्स (फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर) की रिकॉर्डिंग्स से पता चला है कि पायलटों ने आखिरी क्षणों में विमान को नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन ईंधन की आपूर्ति बंद होने के कारण वे सफल नहीं हो सके। यह जानकारी इस बात की ओर इशारा करती है कि विमान की प्रणालियों में कोई गंभीर खराबी थी, जिसे पहले से नजरअंदाज किया गया हो सकता है।


Representative Image

बोइंग की ओर से इस हादसे पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं आया है, लेकिन कंपनी के इतिहास को देखते हुए, कई विशेषज्ञ इस घटना को बोइंग की लापरवाही से जोड़कर देख रहे हैं। 2018-2019 में बोइंग 737 मैक्स हादसों के बाद, जहां 346 लोगों की मौत हुई थी, कंपनी को गंभीर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।


उस समय भी आरोप लगे थे कि बोइंग ने लागत कम करने और मुनाफे को प्राथमिकता दी, जिससे सुरक्षा कम हो गई। इस बार भी, कई लोग इस बात पर सवाल उठा रहे हैं कि क्या बोइंग ने 787 ड्रीमलाइनर के निर्माण और रखरखाव में कोई कॉस्ट कट किया था?


इस हादसे ने न केवल एयर इंडिया और बोइंग की छवि को धक्का पहुंचाया है, बल्कि भारतीय विमानन उद्योग पर भी इसका गहरा असर पड़ा है। यात्रियों का विश्वास डगमगा गया है, और कई लोग अब अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को लेकर चिंतित हैं। सरकार और विमानन नियामकों को अब इस मामले में कड़ा रुख अपनाना होगा, ताकि भविष्य में ऐसे हादसों को रोका जा सके।


एयर इंडिया के बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर हादसा एक जटिल पहेली है, जिसमें तकनीकी गड़बड़ी, मानवीय त्रुटि और सम्भावित कॉर्पोरेट लापरवाही की परतें शामिल हैं। AAIB की विस्तृत जांच का इंतजार है, लेकिन इस बीच, बोइंग और एयर इंडिया दोनों को अपने कदमों की समीक्षा करने की जरूरत है। यह हादसा न केवल एक त्रासदी है, बल्कि एक सबक भी, जो हमें याद दिलाता है कि सुरक्षा कभी समझौते का विषय नहीं होनी चाहिए।