छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के एक छोटे से गाँव घुइटांगर से निकलकर 22 वर्षीय अनिमेष कुजूर ने विश्व एथलेटिक्स के मंच पर तहलका मचा दिया है। ग्रीस के वारी शहर में आयोजित ड्रोमिया इंटरनेशनल स्प्रिंट मीट में अनिमेष ने 100 मीटर दौड़ को मात्र 10.18 सेकंड में पूरा कर नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया, और भारत के सबसे तेज़ धावक बनकर इतिहास रच दिया।
यह पहली बार है जब किसी भारतीय धावक ने 100 मीटर में 10.20 सेकंड का आंकड़ा पार किया है। अनिमेष की यह उपलब्धि न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का क्षण है। एक ऐसे क्षेत्र से, जो कभी नक्सलवाद और अवैध कन्वर्ज़न की चुनौतियों के लिए चर्चा में रहता था, अनिमेष की कहानी मेहनत, लगन, और सपनों की उड़ान का प्रतीक है। उनकी इस उपलब्धि ने न केवल भारतीय एथलेटिक्स में एक नया अध्याय जोड़ा है, बल्कि लाखों युवाओं को यह संदेश दिया है कि प्रतिभा और अवसर मिलें, तो कोई भी बाधा अजेय नहीं है।
अनिमेष कुजूर का जन्म छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के घुइटांगर गाँव में एक जनजातीय परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता, दोनों ही स्थानीय स्तर के एथलीट रहे हैं, जिन्होंने अनिमेष को खेलों के प्रति प्रेरित किया। जशपुर जैसे क्षेत्र, जहाँ प्रोफेशनल एथलेटिक्स के लिए सुविधाएँ न के बराबर थीं, अनिमेष ने अपने शुरुआती दिन गाँव के कच्चे रास्तों पर नंगे पाँव दौड़कर और स्टॉपवॉच से समय नापकर बिताए। उनकी प्रतिभा तब सामने आई, जब उन्हें सैनिक स्कूल अंबिकापुर में दाखिला मिला, जिसे वे अपनी ज़िंदगी का टर्निंग पॉइंट मानते हैं।
अनिमेष ने अपनी उपलब्धि पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “जब मुझे बताया गया कि मैंने 10.18 सेकंड में दौड़ पूरी की, तो मुझे इसका महत्व समझ नहीं आया। टीवी और अखबारों में खबर देखने के बाद ही मुझे एहसास हुआ कि मैंने भारत के लिए इतिहास रच दिया है।” उनकी यह विनम्रता और सादगी उनकी कहानी को और भी प्रेरणादायक बनाती है।
ग्रीस के ड्रोमिया इंटरनेशनल स्प्रिंट मीट में अनिमेष ने न केवल गुरिंदरवीर सिंह के 10.20 सेकंड के राष्ट्रीय रिकॉर्ड को तोड़ा, बल्कि तीसरे स्थान पर रहकर विश्व मंच पर अपनी छाप छोड़ी। इसके बाद, 11 जुलाई 2025 को मोनाको डायमंड लीग में अनिमेष ने अंडर-23 पुरुषों की 200 मीटर दौड़ में 20.55 सेकंड का समय निकालकर चौथा स्थान हासिल किया, जो उनका दूसरा सबसे बेहतरीन प्रदर्शन है। इस रेस में वे विश्व के दिग्गज धावकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर दौड़े, जिसने भारतीय एथलेटिक्स के लिए एक नई उम्मीद जगाई।
मोनाको डायमंड लीग में अनिमेष ने नोआ लाइल्स और लेट्साइल टेबोगो जैसे विश्व-स्तरीय धावकों के साथ लंच के दौरान मुलाकात की और 200 मीटर विश्व चैंपियनशिप के लिए क्वालिफिकेशन मार्क को लक्ष्य बताया। उनकी इस आत्मविश्वास भरी सोच ने खेल विशेषज्ञों को प्रभावित किया है।
अनिमेष की उपलब्धि ने छत्तीसगढ़ में भी उत्साह की लहर पैदा कर दी है। जशपुर के स्थानीय लोग, जो उनके गाँव की मिट्टी में उनकी मेहनत को देख चुके हैं, उनकी इस सफलता को अपने गौरव के रूप में देख रहे हैं। छत्तीसगढ़ के मंत्री केदार कश्यप ने X पर लिखा, “अनिमेष कुजूर की यह ऐतिहासिक दौड़ आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी।” मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने भी उनकी उपलब्धि को “छत्तीसगढ़ और भारत के लिए गर्व का क्षण” बताया।
अनिमेष की उपलब्धि भारतीय एथलेटिक्स में एक नए युग की शुरुआत का संकेत देती है। पिछले 12 महीनों में पुरुषों की 100 मीटर, 200 मीटर, और 4x100 मीटर रिले में राष्ट्रीय रिकॉर्ड टूट चुके हैं। अनिमेष का 10.18 सेकंड का समय न केवल एक रिकॉर्ड है, बल्कि यह भारतीय धावकों के लिए एक मनोवैज्ञानिक बाधा को तोड़ने का प्रतीक है। खेल विशेषज्ञ और कोच मार्टिन ओवेन्स, जिन्होंने अनिमेष को प्रशिक्षित किया, ने कहा, “अनिमेष में वह जुनून और अनुशासन है, जो उन्हें विश्व स्तर पर ले जा सकता है। उनका अगला लक्ष्य पेरिस ओलंपिक है।”
अनिमेष की कहानी इसलिए और खास है, क्योंकि वे जशपुर जैसे क्षेत्र से आते हैं। वहाँ खेल सुविधाओं की कमी और अवैध कन्वर्ज़न जैसे सामाजिक तनावों के बीच अनिमेष ने अपनी मेहनत से यह मुकाम हासिल किया। उनकी कहानी उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो कठिन परिस्थितियों में अपने सपनों को सच करने का साहस रखते हैं।
अनिमेष का अगला लक्ष्य लॉस एंजलिस ओलंपिक में क्वालिफाई करना है। उनकी नज़र 200 मीटर विश्व चैंपियनशिप के क्वालिफिकेशन मार्क पर भी है। उनकी मेहनत और आत्मविश्वास को देखते हुए, खेल विशेषज्ञों का मानना है कि वे जल्द ही वैश्विक मंच पर भारत का परचम लहरा सकते हैं। अनिमेष ने कहा, “मैं अपने गाँव और देश के लिए और बेहतर करना चाहता हूँ। यह सिर्फ़ शुरुआत है।”
अनिमेष कुजूर की 10.18 सेकंड की दौड़ केवल एक रिकॉर्ड नहीं, बल्कि एक सपना है, जो जशपुर के कच्चे रास्तों से शुरू होकर विश्व मंच तक पहुँचा है। उनकी कहानी जशपुर के संघर्षों, जनजातीय गौरव, और भारतीय युवा की असीम संभावनाओं का प्रतीक है। लेकिन, यह भी सवाल उठता है कि क्या भारत अपने ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में छिपी ऐसी और प्रतिभाओं को अवसर दे पाएगा? अनिमेष की इस सनसनीखेज़ उपलब्धि ने न केवल भारतीय एथलेटिक्स को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया है, बल्कि लाखों युवाओं को यह विश्वास दिलाया है कि मेहनत और लगन से कोई भी मंज़िल असंभव नहीं है।