12 जून 2025 को अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से लंदन के लिए रवाना हुई एयर इंडिया की बोइंग 787-8 (विमान संख्या VT-ANB) की भयावह दुर्घटना में 260 से अधिक यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की जान चली गई, जिसमें पूर्व गुजरात मुख्यमंत्री विजय रूपाणी भी शामिल थे।
भारतीय विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) की 11 जुलाई को जारी प्रारंभिक रिपोर्ट ने खुलासा किया कि टेकऑफ के मात्र तीन सेकंड बाद दोनों इंजनों के ईंधन कट-ऑफ स्विच अचानक 'RUN' से 'CUTOFF' स्थिति में चले गए, जिससे विमान ने ईंधन आपूर्ति खो दी।
कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डिंग में पायलटों के बीच की बातचीत सामने आई है जिसमें पहला पायलट कहता है कि — 'तुमने क्यों बंद किया?' और दूसरा कहता है कि 'मैंने नहीं किया'—लेकिन तकनीकी खराबी या साजिश का कोई ठोस सबूत नहीं मिला।
इसके बावजूद, बीबीसी, न्यूयॉर्क टाइम्स, वाशिंगटन पोस्ट, रॉयटर्स, फॉरेन पॉलिसी, द गार्जियन, सीएनएन, द एसोसिएटेड प्रेस (AP), और ब्लूमबर्ग जैसे पश्चिमी मीडिया आउटलेट्स ने इस हादसे को 'पायलट त्रुटि' या 'मानवीय भूल' के रूप में पेश कर बोइंग की साख बचाने की सनसनीखेज कोशिश की है।
हादसे की जांच में AAIB ने पाया कि ईंधन कट-ऑफ स्विच स्प्रिंग-लोडेड हैं और इन्हें जानबूझकर खींचा जाना चाहिए, गलती से सक्रिय होना संभव नहीं है। रिपोर्ट में विमान के इंजन, फ्यूल सिस्टम या किसी आपातकालीन अलार्म में तकनीकी खराबी का उल्लेख नहीं है, और जांच जारी है।
कॉकपिट संवाद में पायलटों की बातचीत साफ है, लेकिन किसी ने जिम्मेदारी नहीं ली। AAIB ने कहा कि बोइंग, अमेरिकी FAA, GE, और NTSB जांच में सहयोग कर रहे हैं, फिर भी निष्कर्ष अधूरा है।
इसके विपरीत, पश्चिमी मीडिया ने तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया। रॉयटर्स ने इस मामले को "एयर इंडिया क्रैश: पायलट कन्फ्यूजन ओवर इंजन स्विच" शीर्षक से खबर चलाई, जबकि न्यूयॉर्क टाइम्स ने पायलटों की 'संचार विफलता' पर जोर दिया। द गार्जियन ने भी पायलट को निशाना बनाया, जबकि सीएनएन ने भी AAIB रिपोर्ट को तोड़-मरोड़कर पेश किया। AP और ब्लूमबर्ग ने भी पायलटों पर दोष मढ़ा।
इस बीच, बोइंग की पृष्ठभूमि संदेहास्पद है। नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी की 2024 रिपोर्ट के अनुसार, बोइंग 787 ड्रीमलाइनर में गुणवत्ता नियंत्रण में 15% से अधिक खामियां पाई गईं, और कंपनी को लाभ के लिए सुरक्षा को नजरअंदाज करने का आरोप लगा।
737 मैक्स हादसों (2018-19) ने भी बोइंग की विश्वसनीयता को झकझोरा था। बावजूद इसके, पश्चिमी मीडिया ने तकनीकी खामियों की बजाय पायलटों को निशाना बनाया, जो बोइंग के लिए एक सस्ता बचाव प्रतीत होता है। भारतीय मीडिया, जैसे टाइम्स ऑफ इंडिया और मनीकंट्रोल, ने भी पश्चिमी नैरेटिव को दोहराया।
सोशल मीडिया में 'हिंदू पोस्ट' ने 12 जुलाई को ट्वीट किया, "पश्चिमी मीडिया बोइंग की साख बचाने के लिए भारतीय पायलटों को बलि का बकरा बना रहा है।"
विशेषज्ञों का कहना है कि अभी तकनीकी खराबी और संभावित तोड़फोड़ की जांच हो रही है, लेकिन पश्चिमी मीडिया ने पहले ही पायलटों को दोषी ठहरा दिया, जो जांच को प्रभावित कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक गहरी साजिश हो सकती है।
एयर इंडिया हादसे पर पश्चिमी मीडिया—बीबीसी, न्यूयॉर्क टाइम्स, वाशिंगटन पोस्ट, रॉयटर्स, द गार्जियन, सीएनएन, AP, और ब्लूमबर्ग—ने भारत की संप्रभुता पर हमला बोला है। बोइंग की साख बचाने के लिए इन संगठनों ने तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पायलटों को निशाना बनाया, जबकि AAIB की जांच तकनीकी पहलुओं पर केंद्रित है।
यह साजिश भारत के लिए एक चुनौती है, और सच्चाई उजागर करने की जिम्मेदारी अब भारतीय पत्रकारिता और जनता पर है। क्या हम पश्चिमी प्रोपेगेंडा से मुक्त हो पाएंगे, या यह कथा हमें दबाएगी? इसका जवाब आने वाले दिनों में मिलेगा।