मीडिया रिपोर्ट में आ रही ख़बरों के अनुसार आज सुबह भारतीय सेना ने म्यांमार के जंगलों में छिपे उल्फा-आई (संयुक्त मुक्ति मोर्चा असम-स्वतंत्र) के चार आतंकी शिविरों पर अभूतपूर्व सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया, जिसमें कम से कम 100 ड्रोन का इस्तेमाल किया गया।
यह कार्रवाई तब हुई जब खुफिया जानकारी मिली कि चीन समर्थित उल्फा-आई के आतंकी भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों, खासकर असम, में अशांति फैलाने की साजिश रच रहे थे।
इस ऑपरेशन में उल्फा-आई के वरिष्ठ आतंकी कमांडर 'नयान असम' समेत कई आतंकियों के मारे जाने की खबर है, हालांकि आधिकारिक पुष्टि अभी बाकी है। भारतीय सेना की इस बहादुरी भरी कार्रवाई ने एक बार फिर दिखा दिया कि भारत आतंकवाद और उसकी जड़ों को कुचलने में कोई कोताही नहीं बरतता।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार इस ऑपरेशन की शुरुआत आज सुबह म्यांमार की सीमा से सटे जंगली क्षेत्रों में हुई, जहां उल्फा-आई ने अपने ठिकाने बनाए थे। सूत्रों के अनुसार, भारतीय सेना ने पिछले कुछ हफ्तों में एकत्रित की गई मानव और तकनीकी खुफिया जानकारी के आधार पर यह हमला किया।
उल्फा-आई, जो असम में स्वतंत्रता की मांग को लेकर दशकों से हिंसा फैला रहा है, लंबे समय से चीन के समर्थन पर निर्भर रहा है, जो इस संगठन को हथियार और पनाह देकर भारत के खिलाफ षड्यंत्र रचता रहा है। खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उल्फा-आई के नेता परेश बरुआ ने 2008 में चीन के युन्नान प्रांत में शरण ली थी, जहां से वह अपनी गतिविधियां संचालित कर रहा था।
इस ऑपरेशन में इस्तेमाल किए गए 100 से अधिक ड्रोन ने म्यांमार के गहरे जंगलों में छिपे इन शिविरों को ध्वस्त कर दिया, जहां उल्फा-आई आतंकी प्रशिक्षण और हमले की योजना बना रहे थे। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्ट्राइक न केवल उल्फा-आई की कमर तोड़ने वाली है, बल्कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) की भारत विरोधी साजिशों पर भी करारा प्रहार है।
साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल (एसएटीपी) के अनुसार, उल्फा-आई ने पिछले दो दशकों में असम में सैकड़ों निर्दोष नागरिकों और सुरक्षाकर्मियों की जान ली है, और इसके पीछे चीन का हाथ हमेशा संदेह के घेरे में रहा है।
इतिहास गवाह है कि 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद से ही कम्युनिस्ट विचारधारा भारत की एकता को तोड़ने के लिए आतंकवाद को हवा देती रही है, और यह नवीनतम घटना उसकी पोल खोलती है।
कुछ रिपोर्ट के अनुसार, म्यांमार की सीमा पर भारत की सुरक्षा चिंताएं बढ़ी हैं, और इस स्ट्राइक ने भारत की उस नीति को मजबूती दी है जो आतंकवाद को उसके जड़ से उखाड़ फेंकने की है।
उधर, चीन ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन उसकी चुप्पी उसके दोहरे चरित्र को दर्शाती है, जो एक ओर शांति की बात करता है और दूसरी ओर आतंकवाद को पालता है।
सोशल मीडिया में कहा जा रहा है कि "भारतीय सेना की यह कार्रवाई न केवल उल्फा-आई के खिलाफ एक निर्णायक प्रहार है, बल्कि चीन को यह संदेश भी देती है कि भारत अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। ड्रोन तकनीक का इस पैमाने पर इस्तेमाल भारत की सैन्य आधुनिकीकरण का प्रमाण है, जो आतंकवादियों और उनके समर्थकों के लिए चेतावनी है।"
यह स्ट्राइक न केवल आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ इच्छाशक्ति को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि भारत अपने दुश्मनों को उनके घर में घुसकर मार सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि चीन ने उल्फा-आई को समर्थन देना जारी रखा, तो उसे भारत के और सख्त जवाब का सामना करना पड़ेगा। आधिकारिक पुष्टि का इंतजार है, लेकिन एक बात तय है कि भारतीय सेना की ताकत और साहस ने एक बार फिर विश्व मंच पर भारत का परचम लहराया है।