छत्तीसगढ़ में माओवादियों की हिंसा एक बार फिर सामने आई है। 14 जुलाई की रात बीजापुर और नारायणपुर जिलों में नक्सलियों ने दो अलग-अलग घटनाओं को अंजाम दिया। बीजापुर जिले में माओवादियों ने दो शिक्षादूतों की बेरहमी से हत्या कर दी, जबकि नारायणपुर में एक मोबाइल टावर को आग के हवाले कर दिया।
दो शिक्षादूतों को अगवा कर की हत्या
बीजापुर जिले के फरसेगढ़ थाना क्षेत्र में नक्सलियों ने भोपालपटनम ब्लॉक के टेकमेटा और पीलूर गांव में कार्यरत दो शिक्षादूतों सुरेश मेट्टा और विनोद मड़े की हत्या कर दी। सूत्रों के अनुसार, नक्सलियों ने 13 जुलाई की शाम दोनों को उनके घरों से अगवा किया था। अगली रात 14 जुलाई को दोनों के शव गांव के पास फेंक दिए गए।
बताया जा रहा है कि नक्सलियों ने मुखबिरी के शक में इस घटना को अंजाम दिया। दोनों शिक्षादूत वर्ष 2019 से पदस्थ थे और ब्लॉक मुख्यालय में लगातार आना-जाना करते थे। इसी वजह से माओवादियों को उन पर संदेह हुआ। सूत्रों के अनुसार, पहले भी उन्हें चेतावनी दी गई थी।
शिक्षा दूत संघ ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि शिक्षादूत बेहद कम मानदेय में बंद पड़े स्कूलों को फिर से शुरू कर बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं। ऐसी घटनाएं शिक्षा व्यवस्था पर सीधा हमला हैं और इससे शिक्षकों में असुरक्षा का माहौल बना हुआ है।
मोबाइल टावर में लगाई आग
इसी रात नारायणपुर जिले के छोटेडोंगर थाना क्षेत्र के मडोनार गांव में माओवादियों ने एक और वारदात को अंजाम दिया। रात करीब 9:30 से 10:00 बजे के बीच अज्ञात नक्सलियों ने जिओ कंपनी के मोबाइल टावर को आग लगा दी। आगजनी से टावर का जनरेटर जलकर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। हालांकि, बिजली की आपूर्ति चालू होने के कारण टावर अब भी काम कर रहा है।
घटना के बाद से इलाके में पुलिस और ITBP के जवानों ने सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया है। सुरक्षाबलों ने नक्सलियों की तलाश में जंगलों में अभियान शुरू कर दिया है।
लगातार हिंसक वारदातें फैला रहीं डर
शिक्षकों की हत्या और संचार व्यवस्था को नुकसान पहुंचाने जैसी घटनाएं यह साफ करती हैं कि माओवादी विकास और शिक्षा के दुश्मन हैं। वे अपने हिंसक एजेंडे के लिए निर्दोष लोगों की जान ले रहे हैं और ग्रामीण इलाकों में डर का माहौल बना रहे हैं।
पुलिस प्रशासन ने अभी तक इस घटना की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन घटनाओं के बाद से इलाके में तनाव का माहौल है और ग्रामीणों में दहशत देखी जा रही है।