लद्दाख की बर्फीली चोटियों पर भारत ने अपनी रक्षा शक्ति को और मजबूत करते हुए एक बड़ा कदम उठाया है। भारतीय सेना ने बुधवार को स्वदेशी तकनीक से विकसित आकाश प्राइम वायु रक्षा प्रणाली का 15,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर सफल परीक्षण किया। यह उपलब्धि भारत के रक्षा नवाचार और स्वदेशी तकनीक का गर्व बढ़ाने वाली है। इस परीक्षण में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में सेना के वायु रक्षा कोर ने हिस्सा लिया।
परीक्षण के दौरान, आकाश प्राइम ने तेजी से उड़ते लक्ष्यों पर दो बार सीधा निशाना साधा। यह प्रदर्शन हिमालय की पतली हवा और कठिन परिस्थितियों में भी इस प्रणाली की ताकत को दर्शाता है। यह प्रणाली भारतीय सेना में आकाश वायु रक्षा प्रणाली की तीसरी और चौथी रेजिमेंट का हिस्सा बनेगी। रक्षा अधिकारियों ने बताया कि इसने मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के चीनी विमानों और तुर्की ड्रोनों के हमलों को नाकाम करने में भी शानदार प्रदर्शन किया था।
आकाश प्राइम एक उन्नत, स्वदेशी शॉर्ट-रेंज सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है, जिसे डीआरडीओ ने विकसित किया है। यह मूल आकाश मिसाइल प्रणाली का नया संस्करण है, जो महत्वपूर्ण क्षेत्रों और ठिकानों को हवाई हमलों से बचाने के लिए बनाया गया है। इसकी खासियत इसका स्वदेशी सक्रिय रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) सीकर है, जो इसे और सटीक बनाता है। साथ ही, यह ठंडे और ऊंचे इलाकों में भी बेहतर काम करता है।
आकाश प्राइम ने सितंबर 2021 में ओडिशा के चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से अपनी पहली सफल उड़ान भरी थी। इस दौरान इसने दुश्मन के विमान की नकल करने वाले एक मानवरहित हवाई लक्ष्य को नष्ट कर अपनी ताकत दिखाई। यह प्रणाली कई लक्ष्यों को एक साथ निशाना बनाने में सक्षम है और इसे मोबाइल प्लेटफॉर्म पर तैनात किया गया है, जो इसे भारतीय वायुसेना और थलसेना दोनों के लिए उपयोगी बनाता है। इसका रेंज 25-30 किलोमीटर है और यह 18 किलोमीटर तक की ऊंचाई पर लक्ष्य भेद सकता है।
यह सफलता भारत की आत्मनिर्भर भारत पहल को और मजबूत करती है। आकाश प्राइम न केवल भारत की सीमाओं को सुरक्षित रखने में मदद करेगा, बल्कि यह दुश्मन देशों के लिए भी एक कड़ा संदेश है। विशेषज्ञों का मानना है कि लद्दाख जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में इसकी तैनाती भारत की हवाई रक्षा को और मजबूत करेगी, खासकर चीन और पाकिस्तान के साथ लगी सीमाओं पर।
हाल ही में, आकाश प्रणाली ने वैश्विक स्तर पर भी ध्यान खींचा है। आर्मेनिया के साथ 6,000 करोड़ रुपये का निर्यात सौदा और फिलीपींस के साथ संभावित 200 मिलियन डॉलर का करार इसकी लोकप्रियता का सबूत है। हालांकि, ब्राजील ने हाल ही में आकाश मिसाइल खरीदने की बातचीत को रोक दिया, लेकिन भारत की रक्षा निर्यात महत्वाकांक्षा इससे कम नहीं हुई है।
आकाश प्राइम का यह सफल परीक्षण भारत के लिए गर्व का पल है। यह न केवल हमारी सेना की ताकत को बढ़ाता है, बल्कि दुनिया को दिखाता है कि भारत अब रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भर और सशक्त है।
लेख
शोमेन चंद्र
तिल्दा, छत्तीसगढ़