छत्तीसगढ़ के बस्तर में माओवादी (नक्सली) अब अपने अस्तित्व को बचाने के लिए नई रणनीति अपना रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में देश के सुरक्षा बलों ने नक्सली संगठन सीपीआई (माओवादी) के ऊपरी नेतृत्व को बड़ा झटका देते हुए उनके सबसे शीर्ष नेता नामबाला केशव राव उर्फ बसवराजू को ढेर कर दिया था। इस झटके के बाद अब नक्सली अपने बड़े गुटों को तोड़कर छोटे समूहों में बंट गए हैं और ज्यादा से ज्यादा स्थानीय लोगों के बीच घुल-मिलकर रहने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि उन्हें पहचानना मुश्किल हो जाए।
पिछले डेढ़ साल में छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ और आसपास के इलाकों में सुरक्षा बलों ने लगातार बड़े ऑपरेशन किए हैं, जिसमें करीब 450 से ज्यादा नक्सली ढेर किए गए हैं। बस्तर के इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (आईजीपी) ने कहा है कि सीपीआई (माओवादी) के जनरल सेक्रेटरी बसवराजू, सदस्य सुधाकर समेत कई बड़े नेताओं को मौत के घाट उतार दिया गया है। इसका नतीजा यह हुआ है कि नक्सली अब हताश होकर नई चाल चलने पर मजबूर हो गए हैं।
पुलिस और आइंटेलिजेंस रिपोर्ट्स के मुताबिक, नक्सली अपने बड़े शिविरों को छोड़कर बस्तर के दक्षिण में इंद्रावती पार्क जैसे घने जंगलों में आ गए हैं। वहां जाने-पहचाने कपड़े छोड़कर अपने लोगों को सामान्य कपड़ों में आम लोगों के बीच घुमाने लगे हैं। पुलिस बताती है कि अब उन्हें पहचानना मुश्किल हो गया है। नक्सली अब सिर्फ जंगलों तक ही सीमित नहीं हैं, वे अब गांव-गांव, नक्सल विरोधी मुहिम में काम करने वाले स्थानीय लोगों की पहचान करने और उन्हें निशाना बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
इस नई रणनीति के चलते बस्तर और आसपास के इलाकों में निर्दोष आम नागरिकों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है। इस साल की शुरुआत से अब तक नक्सलियों ने दो दर्जन से ज्यादा निर्दोष लोगों की हत्या कर दी है। पुलिस मानती है कि नक्सली हताश होकर अब अपने ही लोगों पर शक करने लगे हैं और किसी भी जमानती या हालात में पुलिस की मुखबिरी करने वाले को मार देते हैं।
इंद्रावती पार्क और दक्षिण बस्तर का इलाका अब भी बेहद दुर्गम है। यहां सड़कें नहीं हैं और सुरक्षा बलों के लिए बार-बार ऑपरेशन करना मुश्किल है। इसके अलावा, नक्सलियों ने जंगल की पगडंडियों और घने झाड़ियों के बीच प्लास्टिक के विस्फोटक (आईईडी) बिछा रखे हैं, जिससे सुरक्षा बलों पर हमले हो सकते हैं। पुलिस के लिए अब ऑपरेशन करना पहले से ज्यादा जोखिम भरा हो गया है।
सुरक्षा बलों की मुहिम से स्थानीय लोगों में एक नई उम्मीद जगी है। ऐसा माना जा रहा है कि अब आम लोग भी नक्सली गतिविधियों की सूचना पुलिस को देने से नहीं हिचक रहे। लेकिन, इसी वजह से नक्सलिया उनसे बदला ले रहे हैं। ऐसे में सुरक्षाबलों को ज्यादा सावधानी बरतनी पड़ रही है।
केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि मार्च 2026 तक पूरे भारत से नक्सली मसले को खत्म कर दिया जाएगा। बस्तर पुलिस भी मानती है कि नक्सली अब अपने अंतिम चरण में हैं। उनका प्रभाव तेजी से कम हुआ है और नए साथी भी नहीं मिल रहे हैं। आईजीपी ने कहा, “उनका इलाका सिमट रहा है, उनके लोगों की संख्या घट रही है। आने वाले समय में हम सीपीआई (माओवादी) को पूरी तरह खत्म कर देंगे।”
बस्तर के जंगलों में चल रहा नक्सली विरोधी अभियान अब अपने अंतिम चरण में है। नक्सली अपने अस्तित्व को बचाने के लिए छोटे गुट बना रहे हैं, स्थानीय लोगों के बीच घुलने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनका प्रभाव और शक्ति दोनों घट चुके हैं। नक्सली आतंक से भयमुक्त बस्तर बनाने के लिए अब सुरक्षाबल लगातार काम कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का सहयोग और सरकार की ठोस नीति की वजह से बस्तर में शांति की उम्मीद की वहुत जल्द हकीकत बनने वाली है।
लेख
शोमेन चंद्र
तिल्दा, छत्तीसगढ़