ऑपरेशन महादेव का एक्शन, पहलगाम हमले में शामिल तीनों आतंकी ढेर

28 Jul 2025 21:59:12
Representative Image
 
कश्मीर घाटी में आतंकवाद के खिलाफ भारत ने एक और निर्णायक विजय दर्ज की है। ऑपरेशन महादेव के तहत भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ की संयुक्त कार्रवाई में तीन खूंखार आतंकियों को ढेर कर दिया गया, जिनमें वही आतंकी शामिल हैं जो 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए नरसंहार के दोषी थे। यह कार्रवाई 28 जुलाई को श्रीनगर के पास लिदवास के घने जंगलों में की गई।
 
इस ऑपरेशन का नाम ‘महादेव’ रखा गया, जो केवल एक सैन्य कार्यवाही नहीं, बल्कि राष्ट्र और संस्कृति के अपमान का प्रतिशोध भी था। अमरनाथ यात्रा और श्रावण सोमवार के पावन अवसर पर यह संदेश दिया गया कि भारत आतंक के खिलाफ न सिर्फ सजग है, बल्कि अब निर्णायक भी है।
 
क्या था पहलगाम हमला?
 
22 अप्रैल को पहलगाम के बैसारन वैली में आतंकियों ने 26 निर्दोष पर्यटकों की निर्मम हत्या कर दी थी। आतंकियों ने लोगों से कलमा पढ़ने को कहा, और जो नहीं पढ़ सके उन्हें गोली मार दी गई। यह हमला लश्कर-ए-तैयबा के फ्रंट "द रेजिस्टेंस फ्रंट" (TRF) ने किया था। इस कायराना हरकत ने पूरे देश को झकझोर दिया था।
 
कैसे रचा गया ऑपरेशन महादेव?
 
इस ऑपरेशन की योजना महीनों पहले बना ली गई थी।
 
  • सुरक्षा एजेंसियों ने उस सैटेलाइट फोन को ट्रैक किया, जो पहलगाम हमले में इस्तेमाल हुआ था और हाल ही में फिर सक्रिय हुआ।
 
  • मानव और तकनीकी खुफिया से आतंकियों की गतिविधियां महादेव पीक के पास चिन्हित हुईं।
 
  • ड्रोन सर्विलांस और इलेक्ट्रॉनिक निगरानी के जरिए ऑपरेशन की तैयारी की गई।
 
ऑपरेशन की कार्यवाही
 
28 जुलाई की सुबह सुरक्षाबलों ने लिदवास इलाके को घेर लिया।
 
  • 4 पैरा स्पेशल फोर्स के जवानों ने आतंकियों को चारों ओर से घेर लिया।
 
  • कुछ ही मिनटों की भीषण मुठभेड़ में तीन आतंकी मार गिराए गए।
 
  • जवानों को कोई नुकसान नहीं हुआ।
 
  • 17 ग्रेनेड और भारी मात्रा में हथियार बरामद हुए।
 
मारे गए आतंकी
 
Representative Image
 
MUST READ: Operation Sindoor: A Game Changer of Narratives
 
 
  • सुलेमान शाह उर्फ हाशिम मूसा: पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड।
 
  • दो अन्य आतंकियों की पहचान यासिर और हमजा हारिस के रूप में हुई है।
 
  • शवों को पहचान के लिए भेजा गया है और इलाके में अभी भी तलाशी जारी है।
 
रणनीतिक और सांस्कृतिक संदेश
 
ऑपरेशन महादेव सिर्फ गोलियों का जवाब नहीं, बल्कि आस्था का सम्मान भी था। श्रावण सोमवार और अमरनाथ यात्रा के बीच इस ऑपरेशन ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत अब आतंक का जवाब ‘तारीख तय करके’ देगा।
 
पाकिस्तान और अलगाववादियों की बौखलाहट
 
जैसे ही ऑपरेशन सफल हुआ, पाकिस्तानी मीडिया और कश्मीर के अलगाववादी गुटों ने इसे 'फर्जी मुठभेड़' बताने की कोशिश की। लेकिन सुरक्षाबलों ने हथियारों की बरामदगी और सटीक खुफिया इनपुट को सामने रखकर सभी आरोपों को खारिज कर दिया।
 
निष्कर्ष
 
ऑपरेशन महादेव भारत की आतंकवाद के खिलाफ बदलती नीति का प्रतीक है – तेज, निर्णायक और आस्था से जुड़ा हुआ। यह उन तमाम लोगों के लिए चेतावनी है जो कश्मीर को अस्थिर करने की साजिश रचते हैं। अब हर गोली का जवाब मिलेगा – सटीक और समय पर।
 
लेख
शोमेन चंद्र
तिल्दा, छत्तीसगढ़
Powered By Sangraha 9.0