भारतीय सेना ने अब एक ऐसा कदम उठाया है जिससे दुश्मन की हर चाल पहले ही भांप लेना मुमकिन होगा। अमेरिका और इज़राइल जैसी सेनाओं से प्रेरणा लेकर भारतीय सेना ने 'रेड टीमिंग' को अपनाया है। यह तकनीक न केवल दुश्मन की रणनीति को समझने में मदद करेगी बल्कि भारत की सैन्य तैयारियों को और भी मजबूत बनाएगी।
रेड टीमिंग एक ऐसा तरीका है जिसमें सेना के भीतर ही एक अलग टीम बनाई जाती है जो दुश्मन की तरह सोचकर सेना की रणनीतियों को चुनौती देती है। यह टीम युद्ध के मैदान में दुश्मन के नजरिए से सोचती है और बताती है कि कहां-कहां हमारी कमजोरियां हो सकती हैं।
यह बदलाव इसलिए भी खास है क्योंकि इससे पहले हमारी रणनीति में अक्सर यह मान लिया जाता था कि दुश्मन हमारे जैसी सोच रखेगा। लेकिन अब ये भ्रम खत्म करने का समय आ गया है।
रेड टीमिंग का मकसद सिर्फ रणनीति को जांचना नहीं, बल्कि दुश्मन की मानसिकता, उसकी चालें और उसकी कमजोरियां समझना है। पाकिस्तानी जनरल असीम मुनीर जैसे कमांडरों की सोच और कार्यशैली को ध्यान में रखकर यह टीम भारतीय रणनीतियों को कसौटी पर परखेगी।
‘विदुर वक्ता’ नाम की टीम को पहली बार ऑपरेशन सिंदूर 2025 के दौरान इस्तेमाल किया गया था, जिसमें पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया था।
इन बातों पर रहेगा फोकस
- शत्रु की नीयत को पहले समझना
- भारतीय सेना की रणनीति को कड़ी जांच में डालना
- युद्ध की स्थिति में सैनिकों की तैयारियों को परखना
- तकनीकी और मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से दुश्मन को मात देना
यह सब करने के लिए सेना में अब ऐसे अधिकारियों को चुना जा रहा है जो दुश्मन की सोच, व्यवहार और फैसलों को गहराई से समझते हों।
अमेरिका और इज़राइल में रेड टीमिंग का लंबे समय से इस्तेमाल हो रहा है। वहां यह तकनीक न केवल जमीनी युद्ध बल्कि साइबर, सूचना और मनोवैज्ञानिक युद्ध में भी मदद करती है। भारत भी अब इन्हीं देशों की तरह हाईटेक और चतुराई भरी रणनीति की ओर बढ़ रहा है।
क्या मिलेगा फायदा?
- दुश्मन की चाल पहले से पकड़ी जाएगी
- हमारी रणनीति अधिक लचीली और प्रभावशाली होगी
- आतंकी और साइबर हमलों से लड़ने में बेहतर तैयारी होगी
- भारत की सुरक्षा नीति पहले से कहीं अधिक आक्रामक और ठोस होगी
पिछले कुछ वर्षों में चीन और पाकिस्तान की मिलीभगत और उनके हाइब्रिड युद्ध के तौर-तरीकों ने भारत को मजबूर किया है कि वह भी अपनी रणनीति को आधुनिक बनाए। रेड टीमिंग के जरिए हम सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं देंगे, बल्कि पहले से ही दुश्मन की योजना को ध्वस्त करने की क्षमता रखेंगे।
भारतीय सेना का यह कदम बताता है कि अब हम पुराने ढर्रे से निकलकर आधुनिक और आक्रामक सैन्य सोच की ओर बढ़ चुके हैं। रेड टीमिंग सिर्फ एक तकनीक नहीं बल्कि भारत के रक्षक बलों की नई मानसिकता का प्रतीक है! "एक ऐसी मानसिकता जो कहती है, अब हम हर चाल से पहले तैयार रहेंगे।"
लेख
शोमेन चंद्र
तिल्दा, छत्तीसगढ़