छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में सुरक्षा बलों को एक और बड़ी सफलता हाथ लगी है। बुधवार को 12 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया, जिनमें 4 महिला नक्सली भी शामिल हैं। आत्मसमर्पण करने वालों में 9 नक्सली इनामी थे, जिन पर कुल 28.50 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
इन नक्सलियों ने पुलिस अधीक्षक गौरव राय के सामने 'लोन वराटू' (गोंडी भाषा में घर लौटने की अपील) अभियान के तहत आत्मसमर्पण किया। यह वही अभियान है जिसने अब तक 1005 नक्सलियों को हिंसा छोड़कर समाज की मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित किया है।
आत्मसमर्पण करने वालों में चंद्रन्ना नाम का कुख्यात नक्सली भी है, जिस पर 8 लाख रुपये का इनाम था। इसके अलावा अमित उर्फ हुंगा (8 लाख), करुणा, राजेश मड़कम, देवा कवासी, पैके ओयाम, राजू और महेश जैसे इनामी नक्सली भी शामिल हैं।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सली नक्सलवाद की खोखली विचारधारा और संगठन के भीतर भेदभाव से परेशान थे। उन्हें अब समझ में आ गया है कि बंदूक के रास्ते से न तो न्याय मिलता है और न ही विकास।
पिछले कुछ वर्षों में सरकार और सुरक्षा बलों ने बस्तर सहित नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लगातार दबाव बनाए रखा है। एक ओर सुरक्षा अभियान तेज हुए हैं, तो दूसरी ओर विकास कार्य भी युद्ध स्तर पर चल रहे हैं। इससे लोगों में उम्मीद जगी है और नक्सली संगठन से जुड़े स्थानीय लोग अब हथियार छोड़कर शांति और विकास का रास्ता चुन रहे हैं।
2024 में ही बस्तर संभाग में 800 से ज्यादा नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं। यह दिखाता है कि नक्सलवाद अब अपने अंतिम चरण में है और सरकार की नीति सही दिशा में आगे बढ़ रही है।
केंद्र सरकार ने ऐलान किया है कि मार्च 2026 तक भारत को नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्त कर दिया जाएगा। अब तक 400 से ज्यादा नक्सली मुठभेड़ों में ढेर किए जा चुके हैं और हजार से ज्यादा ने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा को चुना है।
यह साफ है कि नक्सलियों के लिए अब कोई जगह नहीं बची है। न ही उनके विचारों में दम रह गया है और न ही जनता का समर्थन। अब समय है कि जो बचे हुए हैं, वे भी हथियार छोड़कर समाज में लौटें और एक नया जीवन शुरू करें।