मई 2025 में भारतीय वायुसेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाकर दुनिया को दिखा दिया कि आज की जंग हथियारों से नहीं, दिमाग और तकनीक से जीती जाती है। इस ऑपरेशन की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि इसमें दुश्मन को बिना सामने आए धोखा दिया गया और मिशन को पूरा किया गया। अमेरिका के पूर्व वायुसेना पायलट रयान बोडेनहाइमर ने भी इस मिशन को “अब तक की सबसे बेहतरीन इलेक्ट्रॉनिक चालबाज़ी” कहा।
इस सफलता के पीछे वो जज़्बा और सोच है, जिसकी शुरुआत 1999 के कारगिल युद्ध में हुई थी।
कारगिल युद्ध में दिखी थी भारत की जुगाड़ वाली ताकत
1999 में जब कारगिल की लड़ाई चल रही थी, तब भारतीय वायुसेना के पास ऊंचे पहाड़ों पर दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमला करने की तकनीक नहीं थी। मिराज 2000 लड़ाकू विमान तो थे, लेकिन उनके पास लेज़र गाइडेड बम चलाने के लिए जरूरी सिस्टम नहीं था। फ्रांस ने उस वक्त तकनीक देने से मना कर दिया था।
तब भारतीय इंजीनियरों ने जुगाड़ निकाला। मिराज विमानों में इज़राइल से आए ‘लाइटनिंग पॉड’ फिट किए गए। ये पॉड असल में इस विमान के लिए बने ही नहीं थे, लेकिन भारतीय दिमाग ने इसे कामयाब बना दिया। इस तकनीक की मदद से पाकिस्तान के मुनथो ढालो जैसे बड़े ठिकानों को निशाना बनाया गया।
इतना ही नहीं, तब पायलट हाथ में GPS डिवाइस लेकर उड़ान भरते थे, क्योंकि विमान में यह सिस्टम नहीं था। फिर भी मिशन पूरे किए गए और दुश्मन को पीछे हटना पड़ा।
2025 में फिर लौटी वही सोच, पर नई तकनीक के साथ
ऑपरेशन सिंदूर में भी वही सोच थी, लेकिन इस बार साथ में था 'एक्स-गार्ड' नाम का हाईटेक डिवाइस। इसे भारत के राफेल विमानों में लगाया गया।
एक्स-गार्ड: छोटा यंत्र, बड़ी भूमिका
इस डिवाइस का वजन सिर्फ 30 किलो है, लेकिन काम बहुत बड़ा करता है। यह विमान के पीछे एक तार से लटकता है और ऐसे सिग्नल भेजता है कि दुश्मन के रडार को लगे कि यही असली विमान है।
जब पाकिस्तान ने चीन से लिए गए J-10C विमान और PL-15E मिसाइलों से हमला किया, तो उन्होंने एक्स-गार्ड को असली विमान समझकर निशाना बनाया। असली राफेल सुरक्षित निकल गया। पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने भारतीय विमान गिराया, जबकि गिरा हुआ यंत्र एक्स-गार्ड था।
क्या बनाता है एक्स-गार्ड को खास
यह डिवाइस पुराने अमेरिकी सिस्टम MALD से कहीं बेहतर है। दो सेकंड में एक्टिव होता है, दुबारा इस्तेमाल किया जा सकता है और सबसे बड़ी बात यह कि यह पायलट को तुरंत जानकारी देता है कि मिसाइल उसका पीछा कर रही है या नहीं। इसे ‘डिजिटल विंगमैन’ कहा जा रहा है, यानी तकनीकी साथी जो असली पायलट के साथ उड़ता है और खतरा आने पर खुद को आगे कर देता है।
भारत की जीत: अब दिमाग से होती है जंग
ऑपरेशन सिंदूर ने दिखा दिया कि आज की जंग गोलियों से नहीं, तकनीक और समझ से जीती जाती है। भारत ने न सिर्फ अपने पायलटों को बचाया, बल्कि दुश्मन की रणनीति को भी नाकाम कर दिया। यह मिशन आने वाले समय के लिए एक मिसाल है कि भारत अब सिर्फ ताकत में नहीं, सोच में भी सबसे आगे है।
ऑपरेशन सिंदूर हर भारतीय के लिए गर्व की बात है। यह दिखाता है कि जब देश के जवानों को तकनीक और दिमाग का साथ मिलता है, तो कोई भी दुश्मन उन्हें रोक नहीं सकता।
लेख
शोमेन चंद्र
तिल्दा, छत्तीसगढ़