छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने हर हिंदू परिवार को झकझोर कर रख दिया है।सिर्फ ‘राधे-राधे’ बोलने पर एक साढ़े तीन साल की मासूम नर्सरी छात्रा के साथ स्कूल की ईसाई प्रिंसिपल ने ऐसा अमानवीय व्यवहार किया, जिसे सुनकर किसी का भी खून खौल उठे।
घटना मदर टेरेसा इंग्लिश मीडियम स्कूल, बाघडूमर गांव की है, जहां गर्विता यादव नाम की बच्ची के साथ यह अत्याचार हुआ।बुधवार सुबह जब गर्विता ने हिंदू परंपरा के अनुसार 'राधे-राधे' कहा, तो स्कूल की ईसाई प्रिंसिपल इला इवन कौलवीन भड़क गईं।बच्ची के मुंह पर जबरन टेप चिपका दिया और फिर उसे बुरी तरह पीटा।
बच्ची के पिता प्रवीण यादव के मुताबिक, गर्विता स्कूल से आई तो बिना कुछ बोले सो गई। उठने पर जब मां ने पूछा, तो फफक पड़ी। बोली - “मैं राधे-राधे बोली तो स्कूल मिस ने मेरे मुंह पर टेप चिपका दिया, दो टेप लगाए, बहुत देर तक मुंह बंद रखा। फिर मारा भी। वो जोर-जोर से चिल्ला रही थी।”
बच्ची के हाथ पर चोट के साफ निशान देखे गए हैं। शिकायत पर परिजन तुरंत नंदिनी थाना पहुंचे, जहां पुलिस ने मामला दर्ज किया और प्रिंसिपल को गिरफ्तार कर लिया।
जब पिता ने स्कूल में फोन कर सफाई मांगी, तो वहां से जवाब मिला - “आपकी बेटी पढ़ती नहीं है, इसलिए टेप लगाया।” क्या किसी स्कूल में सिखाने का ये तरीका होता है? सिर्फ हिंदू अभिवादन करने पर इस तरह का अमानवीय व्यवहार क्या किसी साजिश की ओर इशारा नहीं करता?
घटना की जानकारी मिलते ही बजरंग दल के कार्यकर्ता थाने पहुंचे और स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।एएसपी पद्मश्री तंवर ने पुष्टि की है कि बच्ची के बयान और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर प्रिंसिपल को गिरफ्तार किया गया है।
यह घटना कोई अकेली नहीं है। दुर्ग रेलवे स्टेशन पर हाल ही में एक और ईसाई मिशनरी साजिश का भंडाफोड़ हुआ। नौकरी का झांसा देकर तीन जनजातीय बेटियों को आगरा ले जा रहे दो नन और एक ईसाई युवक को बजरंग दल ने रंगे हाथ पकड़ा। ये बेटियां मिशनरियों के जाल में फंस चुकी थीं, जिन्हें कन्वर्जन और मानव तस्करी के मकसद से ले जाया जा रहा था।
पकड़े गए युवक के पास तीन आधार कार्ड और कई लड़कियों की तस्वीरों वाली डायरी भी मिली है। इससे पहले भी वह कई लड़कियों को बाहर भेज चुका है, जिनका कोई सुराग नहीं मिला।
यह घटनाएं बताती हैं कि ईसाई मिशनरियां सिर्फ कन्वर्जन तक सीमित नहीं हैं, वे अब बच्चों को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने लगी हैं। ‘राधे-राधे’ कहना अगर स्कूल में गुनाह बन जाए तो सोचिए, बच्चों के भविष्य पर कैसा खतरा मंडरा रहा है।
अब समय आ गया है कि सरकार और प्रशासन ऐसे संस्थानों पर सख्ती से नकेल कसे। हिंदू परिवारों को भी सतर्क रहना होगा, क्योंकि ये साजिशें अब घर के दरवाजे तक पहुंच चुकी हैं।
मासूम की गलती सिर्फ ये थी कि उसने ‘राधे-राधे’ कहा। क्या यही है ईसाई मिशनरी शिक्षा का असली चेहरा?
लेख
शोमेन चंद्र
तिल्दा, छत्तीसगढ़