अपने ही दल के खिलाफ बोले कर्नाटक मंत्री, ‘गड़बड़ी थी तो तब क्यों नहीं बोले?’

11 Aug 2025 20:13:55
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कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के सहकारिता मंत्री केएन राजन्ना ने अपने ही दल में हलचल मचा दी है। उन्होंने खुले तौर पर सवाल किया कि अगर लोकसभा चुनाव में मतदाता सूची में गड़बड़ी थी तो कांग्रेस ने उस समय चुप्पी क्यों साधी, जबकि उस वक्त राज्य में कांग्रेस की ही सरकार थी।
 
राजन्ना के बयान ऐसे समय में आए हैं जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी हाल ही में चुनाव आयोग पर “वोट चोरी” में मदद करने का आरोप लगा चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राजन्ना ने कहा कि जिन मतदाता सूचियों के आधार पर चुनाव हुए, वे कांग्रेस सरकार के समय तैयार हुई थीं। उन्होंने पूछा, “अगर गड़बड़ी थी तो उस समय किसी ने आवाज क्यों नहीं उठाई? जब ड्राफ्ट लिस्ट तैयार हो रही थी तो हमारी जिम्मेदारी नहीं थी क्या?”
 
राजन्ना ने यह भी कहा कि अनियमितताएं हमारी आंखों के सामने हुईं और उस वक्त चुप रहना हम सबके लिए शर्मनाक है।उन्होंने सुझाव दिया कि राहुल गांधी के नेतृत्व में आगे ऐसी लापरवाही नहीं होनी चाहिए।
 
राहुल गांधी ने 7 अगस्त को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में भारी गड़बड़ी का आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया कि सूची में कई मतदाताओं के पते पर “हाउस नंबर 0” लिखा है और एक ही पते पर कई वोटर दर्ज हैं। इसे उन्होंने भाजपा के पक्ष में चुनाव चोरी की साजिश बताया।
 
लेकिन स्थानीय बूथ लेवल ऑफिसर मुनिरत्ना ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि यह एक किराए का मकान है, जहां पिछले 14 साल में कोई स्थायी रूप से नहीं रहा। यहां किरायेदार हर साल बदलते रहते हैं और अक्सर प्रवासी मजदूर अपने किराये के पते पर वोटर आईडी बनवा लेते हैं, लेकिन बाद में पता बदलवाए बिना वहां से चले जाते हैं।
मुनिरत्ना के मुताबिक, जो लोग अब वहां नहीं रहते, उनके नाम हटाने के लिए सूची चुनाव आयोग को भेज दी गई है। उन्होंने बताया कि ऐसे लोग ज्यादातर चौकीदार, हाउसकीपर या घरेलू सहायक के रूप में काम करते हैं और नौकरी के चलते अक्सर स्थान बदलते हैं।
 
राहुल गांधी का दावा है कि महादेवपुरा में कुल 6.5 लाख वोटों में से एक लाख से ज्यादा वोट या तो डुप्लीकेट हैं या फर्जी पते से जुड़े हैं और इनका फायदा भाजपा को मिला।
 
राजन्ना के बेबाक बयान ने कांग्रेस में भीतरघात की चर्चा को हवा दी है। यह मामला न केवल पार्टी की चुनावी निगरानी पर सवाल उठाता है, बल्कि इस पर भी कि नेता अपने ही दल की गलतियों पर कितनी खुलकर बात कर सकते हैं।
 
लेख
शोमेन चंद्र
तिल्दा, छत्तीसगढ़
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