चीन को बढ़त और भारत से टकराव, ट्रंप के दोहरे रवैये की चर्चा

12 Aug 2025 22:44:58
Representative Image
 
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के साथ चल रही टैरिफ जंग में अचानक नरमी दिखाते हुए 90 दिन की बढ़ोतरी का ऐलान कर दिया। 11 अगस्त को हस्ताक्षरित इस कार्यकारी आदेश से 10 नवंबर तक नए शुल्क लगाने का फैसला टाल दिया गया। इसका मतलब है कि चीनी आयात पर मौजूदा 10 प्रतिशत टैरिफ तो रहेगा, लेकिन फिलहाल कोई और बढ़ोतरी नहीं होगी।
 
ट्रंप का कहना है कि चीन ने व्यापार संतुलन और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी अमेरिकी चिंताओं पर “महत्वपूर्ण कदम” उठाए हैं। यह फैसला तब आया जब पिछले महीने स्टॉकहोम में अमेरिका और चीन के व्यापारिक प्रतिनिधियों के बीच तीसरे दौर की बातचीत हुई, जिसमें बीजिंग ने कुछ गैर-शुल्क प्रतिकार उपायों को रोकने पर सहमति जताई।
 
अगर यह युद्धविराम खत्म हो जाता तो टैरिफ फिर से अप्रैल के चरम स्तर पर पहुंच जाते, जब अमेरिका ने चीनी सामान पर 145 प्रतिशत तक शुल्क लगाया था और चीन ने 125 प्रतिशत तक का जवाबी शुल्क लगाया था। साथ ही उसने कई अहम कच्चे माल पर भी रोक लगाई थी।
 
चीन को यह राहत ऐसे समय मिली है जब महज दस दिन पहले, 1 अगस्त को, ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ थोप दिया। वजह बताई गई कि भारत सस्ती रूसी तेल की खरीद जारी रखे हुए है। यह कदम साफ तौर पर दिखाता है कि अमेरिका व्यापार नीति में दोहरा रवैया अपना रहा है। चीन को तीन महीने का वक्त दिया गया, लेकिन भारत के लिए कोई नरमी नहीं दिखाई गई।
 
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस रियायत से बीजिंग को अमेरिकी हाई-टेक उद्योग के लिए जरूरी ‘रेयर अर्थ’ खनिजों को दबाव के हथियार की तरह इस्तेमाल करने का मौका मिल सकता है। अगले तीन महीनों में चीन अपने फायदे के लिए बिना बड़े समझौते किए कई रियायतें हासिल कर सकता है।
 
अमेरिका-चीन बिजनेस काउंसिल ने इस कदम को “जरूरी” बताया, ताकि वार्ता के जरिए बाजार में बेहतर पहुंच हासिल की जा सके। लेकिन सवाल यह भी है कि जब चीन को समय और छूट दी जा रही है, तो भारत के साथ इतना सख्त रवैया क्यों? ट्रंप के इस फैसले ने यही बहस छेड़ दी है कि क्या वॉशिंगटन का असली निशाना आर्थिक न्याय है या फिर राजनीतिक और रणनीतिक लाभ।
 
लेख
शोमेन चंद्र
तिल्दा, छत्तीसगढ़
Powered By Sangraha 9.0