14 अगस्त को देशभर में अखंड भारत संकल्प दिवस मनाया जाता है। यह दिन केवल एक तारीख नहीं, बल्कि भारत की एकता, अखंडता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है। इस दिन हम उस भारत को याद करते हैं जो एक समय अफगानिस्तान से लेकर म्यांमार तक और कश्मीर से लेकर श्रीलंका तक फैला था। यह वही भारत था जिसमें हमारी संस्कृति, परंपरा और जीवन मूल्य एक सूत्र में पिरोए हुए थे।
अखंड भारत संकल्प दिवस हमें यह याद दिलाता है कि भौगोलिक विभाजन के बावजूद हमारी सांस्कृतिक एकता आज भी अटूट है। 14 अगस्त 1947 को हमारे देश ने विभाजन की विभीषिका देखी। लाखों लोगों को अपना घर, अपनी जमीन और अपनी पहचान छोड़नी पड़ी। उस समय हुए दर्द और बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता।
इस दिन का उद्देश्य केवल इतिहास को याद करना नहीं, बल्कि यह संकल्प लेना है कि हम उस अखंड भारत के विचार को अपने मन और कर्म में जीवित रखेंगे। यह दिन हमें बताता है कि हमारी असली ताकत हमारी एकता और हमारी साझा संस्कृति में है। चाहे हम अलग-अलग राज्यों, भाषाओं और परंपराओं से हों, हमारी जड़ें एक ही हैं।
अखंड भारत का विचार कोई राजनीतिक सीमा का विस्तार नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक अवधारणा है। यह अवधारणा हमें बताती है कि भारत केवल जमीन का टुकड़ा नहीं, बल्कि जीवन का एक दर्शन है। हमारे पर्व, त्यौहार, भाषा और रीति-रिवाज हमें एक दूसरे से जोड़ते हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सहित कई संगठन इस दिन को पूरे जोश और गर्व के साथ मनाते हैं। इसमें युवाओं और बच्चों को अखंड भारत के इतिहास, उसके महान योद्धाओं और संतों के बारे में बताया जाता है। यह दिन आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देता है कि हम अपने देश की एकता के लिए किसी भी बलिदान से पीछे नहीं हटेंगे।
अखंड भारत संकल्प दिवस हमें यह भी याद दिलाता है कि इतिहास में कई बार हमारे देश को विभाजित करने की कोशिश हुई, लेकिन हर बार हमारी संस्कृति और सभ्यता ने हमें फिर से जोड़ा। आज की पीढ़ी का कर्तव्य है कि इस एकता को बनाए रखें और इसे और मजबूत करें।
14 अगस्त का दिन हमें प्रेरणा देता है कि हम अपने सपनों में, अपने विचारों में और अपने प्रयासों में उस अखंड भारत की छवि को संजोए रखें। यह केवल अतीत का सपना नहीं, बल्कि भविष्य का लक्ष्य है।
अखंड भारत संकल्प दिवस पर लिया गया हर संकल्प हमें उस दिन के और करीब ले जाएगा जब हम एक बार फिर सांस्कृतिक रूप से अखंड और समृद्ध भारत को देखेंगे। यही इस दिन का असली संदेश है।
लेख
शोमेन चंद्र
तिल्दा, छत्तीसगढ़