गढ़चिरौली में 4 नक्सली ढेर, बीजापुर में 30 ने डाला हथियार, सुरक्षा बलों की बड़ी कामयाबी

नक्सलियों पर लगातार दबाव, गढ़चिरौली में मुठभेड़ में चार ढेर और बीजापुर में 30 ने हथियार डाल दिए।

The Narrative World    28-Aug-2025
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छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र बॉर्डर पर नक्सल विरोधी अभियान ने एक बार फिर बड़ी सफलता हासिल की है। बुधवार को गढ़चिरौली जिले के कोपरशी गांव के जंगलों में हुई मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने 4 नक्सलियों को मार गिराया। वहीं, बीजापुर में 30 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें 20 इनामी नक्सली भी शामिल हैं।
 
गढ़चिरौली में मुठभेड़, भारी मात्रा में हथियार बरामद
 
गढ़चिरौली पुलिस की सी-60 कमांडो टीम को खुफिया सूचना मिली थी कि जंगल में नक्सली छिपे हुए हैं। जैसे ही सुरक्षाबलों ने इलाके की घेराबंदी कर तलाशी शुरू की, नक्सलियों ने फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षाबलों ने 4 नक्सलियों को ढेर कर दिया।
 
इलाके की तलाशी के दौरान पुलिस को एक इंसास रायफल, दो SLR और एक थ्री नॉट थ्री राइफल बरामद हुई है। अधिकारियों के मुताबिक, इन हथियारों से नक्सली किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की साजिश रच रहे थे। फिलहाल इलाके में तलाशी अभियान जारी है, क्योंकि आशंका है कि कुछ नक्सली अब भी जंगलों में छिपे हो सकते हैं।
 
बीजापुर में 30 नक्सलियों ने किया सरेंडर
 
इसी दिन बीजापुर में नक्सलियों के आत्मसमर्पण का सिलसिला भी देखने को मिला। पुलिस और केंद्रीय बलों के सामने 30 नक्सलियों ने हथियार डाल दिए। इनमें से 20 नक्सली इनामी थे, जिन पर कुल 81 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
 
सरेंडर करने वालों में DVCM (डिविजनल कमेटी मेंबर) सोनू हेमला उर्फ कोरोटी भी शामिल है, जिस पर 8 लाख रुपये का इनाम था। उसने अपनी पत्नी के साथ आत्मसमर्पण किया। इनके अलावा एरिया कमेटी मेंबर, मिलिशिया और जनताना सरकार के कई पदाधिकारी भी सरेंडर करने वालों में शामिल हैं।
 
सरकार की पुनर्वास योजना के तहत आत्मसमर्पण करने वाले हर नक्सली को 50-50 हजार रुपये की सहायता राशि दी गई। इस मौके पर दंतेवाड़ा रेंज के डीआईजी कमलोचन कश्यप, आईजी बीएस नेगी, बीजापुर एसपी डॉ. जितेन्द्र यादव और अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
 
नक्सलियों की कमर टूट रही है
 
आंकड़े बताते हैं कि 2024 से अब तक नक्सलियों पर लगातार दबाव बना है। इस दौरान 834 नक्सली गिरफ्तार हुए, 496 ने आत्मसमर्पण किया और 190 मुठभेड़ों में मारे गए। सिर्फ 2025 में ही अब तक 331 नक्सली गिरफ्तार हुए हैं, 307 ने सरेंडर किया और 132 मुठभेड़ों में मारे गए।
 
क्यों छोड़ रहे नक्सली संगठन
 
- संगठन में आंतरिक मतभेद और आपसी अविश्वास
 
- विचारधारा से मोहभंग और नेतृत्व पर भरोसा खत्म होना
 
- शासन की योजनाओं का गांवों तक पहुंचना
 
- परिवार के साथ सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन की चाह
 
बड़ी उपलब्धि
 
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह आत्मसमर्पण और मुठभेड़ सुरक्षा बलों की बड़ी उपलब्धि है। अब ग्रामीण भी विकास और शांति का रास्ता चुन रहे हैं। नक्सलियों के आतंक और हिंसा की जगह अब स्कूल, सड़क और रोजगार ने ले ली है।
साफ है कि नक्सल संगठन की जड़ें अब कमजोर हो चुकी हैं और आने वाले समय में ये पूरी तरह खत्म हो जाएंगे।
 
रिपोर्ट
शोमेन चंद्र