बच्चों को सच्चाई से क्यों डराना चाहते हैं कुछ लोग, बंगाल फाइल्स पर सवाल उठाने वालों की असली सोच

आधा-अधूरा इतिहास पढ़ाने वालों को ऐतराज, असली घटनाओं पर बनी फ़िल्म को बच्चों के लिए खतरनाक बताने लगी तथाकथित जमात!

The Narrative World    14-Sep-2025
Total Views |
Representative Image
 
विवेक अग्निहोत्री की फिल्म द बंगाल फाइल्स रिलीज के बाद लगातार चर्चा में है।
 
यह फिल्म भारत के इतिहास के उस काले अध्याय को सामने लाती है, जिसे बरसों तक किताबों और मंचों पर दबाने की कोशिश हुई।
 
यह कहानी है 1946 के डायरेक्ट एक्शन डे की, जब हजारों निर्दोष हिंदुओं का कत्लेआम हुआ। फिल्म में खूनखराबा और हिंसा दिखती है, क्योंकि वह असलियत थी।
 
पर सवाल यह है कि जब यह देश के इतिहास का हिस्सा है तो इसे बच्चों से क्यों छिपाया जाए।
 
यही वजह है कि जब विवेक अग्निहोत्री ने सोशल मीडिया पर एक तस्वीर साझा की जिसमें लोग अपने बच्चों के साथ फिल्म देख रहे थे, तो आम जनता ने इसे इतिहास जानने का साहसिक कदम माना।

Representative Image
 
लेकिन कुछ तथाकथित यूट्यूबर और खुदभूले ‘इंफ्लुएंसर’ बुरी तरह बौखला गए। इनमें से एक ने तो यहां तक लिख दिया कि बच्चों को यह फिल्म दिखाना “क्राइम” है।
 
सवाल उठता है कि आखिर यह कौन लोग हैं जो भारत की असलियत को देश की आने वाली पीढ़ियों से छुपाना चाहते हैं।
 
क्या बच्चों को सच बताना अपराध है या अपराध है उस सच को हमेशा झूठ की चादर में छुपाना।
 
जब स्कूल की किताबों में सिर्फ एकतरफा और अधूरा इतिहास पढ़ाया जाए, तब उसे मासूमियत कहते हैं और जब वही बच्चे असली घटनाओं को फिल्म के जरिए देखते हैं तो उसे “ट्रॉमा” बताया जाता है।
 
दरअसल, यह दोगली सोच उस जमात की है जो नहीं चाहता कि भारत की नई पीढ़ी अपने पूर्वजों के संघर्ष और बलिदान को जाने।
 
द कश्मीर फाइल्स की तरह द बंगाल फाइल्स ने भी उन दर्दनाक सच्चाइयों को सामने रखा है जिन्हें जानना जरूरी है।
 
बच्चों को यह सिखाना कि हमारे देश ने किन कठिन हालातों का सामना किया और कैसे लाखों निर्दोष मारे गए, गलत कैसे हो सकता है।
 
असलियत देखने से बच्चे और ज्यादा समझदार बनेंगे, उनमें देशभक्ति और अपने समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना और मजबूत होगी।
 
जो लोग इस फिल्म पर सवाल उठा रहे हैं, वे वही हैं जो हमेशा भारत की छवि को कमजोर करने की कोशिश में रहते हैं।
 
ये लोग विदेशी मंचों और ताकतों से प्रभावित होकर भारतीय समाज को उसकी जड़ों से काटना चाहते हैं।
 
यह उनकी पुरानी आदत है कि जो चीज भारत के वास्तविक गौरव और संघर्ष को सामने लाए, उसका विरोध किया जाए।
 
ऐसे लोग ही परोक्ष रूप से भारत विरोधी ताकतों का एजेंडा चलाते हैं।
 
विवेक अग्निहोत्री ने सिर्फ वह दिखाया है जो वास्तव में हुआ था। इतिहास को छुपाना या तोड़मरोड़ कर पेश करना ही बच्चों के साथ असली अन्याय है।
 
उन्हें सच्चाई बताना किसी भी तरह का अपराध नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक जिम्मेदारी है।
 
यही बात उन लोगों को सबसे ज्यादा चुभती है जो भारत की वास्तविकता से डरते हैं।
 
लेख
शोमेन चंद्र