लद्दाख की शांत वादियां 24 सितम्बर को आग और पत्थरों की गूंज से दहल गईं। लेह में प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय जला दिया, पुलिस की गाड़ी फूंक डाली और सुरक्षाबलों से भिड़ गए। ये वही प्रदर्शनकारी थे जो राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे थे। पर सवाल उठ रहा है कि आखिर हिंसा क्यों और कैसे भड़की? अब सामने आ रहे सबूत कांग्रेस और कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की साजिश की ओर इशारा कर रहे हैं।
कांग्रेस पार्षद हिंसा की अगुवाई में
बीजेपी नेता अमित मालवीय ने एक वीडियो जारी किया जिसमें साफ दिख रहा है कि कांग्रेस पार्षद फुंतसोग स्टैनजिन त्सेपाग भीड़ को भड़का रहे हैं। visuals में उन्हें हथियार लेकर भीड़ को बीजेपी कार्यालय की ओर ले जाते हुए देखा जा सकता है। बीजेपी ने आरोप लगाया कि यह वही “योजना” है जिसे राहुल गांधी लंबे समय से हवा दे रहे हैं।
सिर्फ यही नहीं, कांग्रेस के एक और पार्षद, स्मानला डोरजे नोरबू का भी वीडियो सामने आया है जिसमें वे खुलेआम प्रशासन को चुनौती देते दिखते हैं। उन्होंने कहा कि चाहे कितनी भी फोर्स लगा दी जाए, प्रदर्शनकारी बीजेपी दफ्तर तक पहुंचेंगे और वहां लोगों को घसीट कर निकालेंगे। उन्होंने खुद पत्थरबाजी करने की धमकी भी दी।
सोनम वांगचुक की संदिग्ध भूमिका
हिंसा के पीछे सोनम वांगचुक की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। सोशल मीडिया पर उनका एक वीडियो सामने आया जिसमें वे प्रदर्शनकारियों को मास्क और हुडी पहनकर आने की सलाह देते दिख रहे हैं। यह वही तरीका है जिसे हिंसा की योजना बनाने वाले पहचान छिपाने के लिए अपनाते हैं।
वांगचुक ने 10 सितम्बर से भूख हड़ताल शुरू की थी और 24 सितम्बर को हिंसा फैलने के बाद उसी दिन इसे खत्म कर दिया। लेकिन सवाल यह है कि जब उनके नाम पर हिंसा भड़क रही थी, तब उन्होंने अपने समर्थकों को रोकने की अपील क्यों नहीं की?
सरकार पहले ही कर रही थी संवाद
सच यह है कि केंद्र सरकार पहले ही लद्दाख की मांगों पर बातचीत कर रही थी। हाई पावर्ड कमेटी की बैठक 6 अक्टूबर के लिए तय थी। इससे पहले भी जुलाई में कई अहम फैसले हो चुके थे:-
1. एसटी आरक्षण 45% से बढ़ाकर 84% करना
2. स्थानीय परिषदों में एक-तिहाई महिला आरक्षण
3. भोटी और पुर्गी भाषाओं को आधिकारिक मान्यता
4. 1800 सरकारी नौकरियों की घोषणा
इसके बावजूद, वांगचुक और कांग्रेस नेताओं ने भड़काऊ बयान देकर युवाओं को सड़क पर उतार दिया।
हिंसा में चार की मौत, 45 घायल
सुबह से ही भीड़ hunger strike स्थल से उठकर बीजेपी कार्यालय की ओर बढ़ी। पुलिस ने बैरिकेड्स लगाकर रोकने की कोशिश की, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने पथराव शुरू कर दिया। हालात बेकाबू होने पर पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े। भीड़ ने पुलिस वैन जला दी और बीजेपी दफ्तर को आग के हवाले कर दिया। इसमें 4 लोगों की मौत हो गई और 45 लोग घायल हुए, जिनमें 22 पुलिसकर्मी शामिल हैं।
कांग्रेस की नीयत पर सवाल
बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, “कांग्रेस अब चुनाव नहीं जीत सकती, इसलिए देश को तोड़ने की राजनीति कर रही है। राहुल गांधी और उनके सहयोगी जॉर्ज सोरोस मिलकर भारत में अस्थिरता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। लद्दाख की हिंसा उसी साजिश का हिस्सा है।”
निष्कर्ष
लद्दाख की हिंसा अचानक नहीं हुई, बल्कि इसे कांग्रेस नेताओं और सोनम वांगचुक की उत्तेजक राजनीति ने हवा दी। जब केंद्र सरकार बातचीत की मेज पर बैठी थी और स्थानीय लोगों के लिए ठोस फैसले ले चुकी थी, तब आगजनी और तोड़फोड़ की कोई जरूरत नहीं थी। यह साबित करता है कि कांग्रेस और उसके समर्थक भारत को अस्थिर करने की सुनियोजित कोशिशों में जुटे हैं।
हिंसा का रास्ता लोकतंत्र नहीं, साजिश है। और इस बार कांग्रेस और उसके सहयोगी इसके जिम्मेदार हैं।
लेख
शोमेन चंद्र