उत्तर प्रदेश के बरेली में जुमे की नमाज के बाद 'आई लव मुहम्मद' अभियान के समर्थन में सड़कों पर उतरी भीड़ ने पुलिस पर पथराव कर दिया, जिसके बाद प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाते हुए इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा समेत आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया। 39 अन्य प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है, जबकि दो हजार से अधिक अज्ञात लोगों के खिलाफ पांच थानों में मुकदमे दर्ज किए गए हैं।
मौलाना रजा को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया, जहां वे मुख्य साजिशकर्ता के रूप में नामित हैं। दस मुकदमों में से सात में उनका नाम शामिल है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक कार्यक्रम में चेतावनी दी कि "वो भूल गया था कि यूपी में किसका राज है। धमकी देकर जाम लगाने की कोशिश की, लेकिन हमने साफ कर दिया- न जाम होगा, न कर्फ्यू। ऐसा सबक सिखाएंगे कि आने वाली पीढ़ियां दंगे करना भूल जाएंगी।"
यह विवाद कानपुर से शुरू होकर पूरे देश में फैल चुका है, जहां धार्मिक भावनाओं का टकराव सोशल मीडिया से सड़कों तक पहुंच गया है।
विवाद की जड़ें 4 सितंबर को कानपुर के रावतपुर इलाके में हैं, जब बरावफात (ईद-ए-मिलाद-उन्नबी) के जुलूस के दौरान एक समूह ने जुलूस मार्ग पर 'आई लव मुहम्मद' लिखा लाइटबोर्ड लगाया। स्थानीय हिंदू संगठनों ने इसे नई परंपरा बताकर विरोध किया, दावा किया कि यह धार्मिक सद्भाव बिगाड़ने की कोशिश है। पुलिस ने तुरंत बैनर हटवा दिया और 9 सितंबर को नौ नामजद और 15 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, जिसमें धारा 153ए (धर्म के आधार पर दुश्मनी फैलाना) और 505 (सार्वजनिक शांति भंग करने वाली अफवाहें) के तहत कार्रवाई की गई।
पुलिस का कहना था कि बरावफात में ऐसी कोई पुरानी परंपरा नहीं है, और यह नया बदलाव सामाजिक तनाव पैदा कर सकता था। लेकिन मुस्लिम समुदाय ने इसे धार्मिक प्रेम व्यक्त करने का अधिकार बताया।
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने 15 सितंबर को सोशल मीडिया पर 'आई लव मुहम्मद' पोस्ट कर कहा, "यह कोई अपराध नहीं है। अगर 'हैप्पी बर्थडे पीएम मोदी' का बैनर लग सकता है, तो यह क्यों नहीं?" इस पोस्ट ने आग में घी डाल दिया, और अभियान पूरे देश में फैल गया।
कानपुर से निकला यह विवाद जल्द ही उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों और राज्यों तक पहुंचा। लखनऊ, वाराणसी, मुरादाबाद, मऊ, उन्नाव में मुस्लिम संगठनों ने समर्थन में रैलियां निकालीं, जहां 'आई लव मुहम्मद' के पोस्टर और बैनर लगाए गए। हिंदू समुदाय ने जवाब में 'आई लव महादेव', 'आई लव राम' जैसे काउंटर-बैनर लगाए, जिससे सोशल मीडिया पर तीखी बहस छिड़ गई।
महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणे ने एक्स पर 'आई लव महादेव' पोस्टर शेयर किया, जबकि मुंबई के मालवानी में मुस्लिम समूहों ने पुलिस स्टेशन पर ज्ञापन देकर कानपुर एफआईआर वापस लेने की मांग की। कर्नाटक के दावणगेरे और गुजरात के बीड़ में भी तनाव फैला, जहां पुलिस ने अनधिकृत जुलूसों पर लाठीचार्ज किया।
बिहार से हैदराबाद तक मुस्लिम संगठनों ने अभियान चलाया, दावा किया कि यह पैगंबर मोहम्मद के प्रति अर्ज़ी का प्रतीक है। लेकिन पुलिस ने इसे उकसावे के रूप में देखा, और कई जगहों पर एफआईआर दर्ज हुईं।
इसी बीच बरेली में बीते शुक्रवार को हालात बेकाबू हो गए। आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा ने जुमे की नमाज के बाद आला हजरत दरगाह से डीएम कार्यालय तक मार्च निकालने की अपील की, जो 'आई लव मुहम्मद' अभियान के समर्थन में राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपने के लिए था। लेकिन प्रशासन ने अनुमति न देने पर रजा ने अंतिम समय में कार्यक्रम स्थगित कर दिया। इससे नाराज भीड़ ने उनके घर और दरगाह के बाहर 'आई लव मुहम्मद' के प्लेकार्ड लेकर नारेबाजी शुरू कर दी।
जब पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने की कोशिश की, तो प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया, हवा में गोली चलाई और वाहनों में तोड़फोड़ की। पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस का सहारा लिया, जिसमें 22 पुलिसकर्मी घायल हो गए। बरेली रेंज के डीआईजी अजय कुमार साहनी ने कहा, "यह पूर्वनियोजित साजिश थी।
सोशल मीडिया पर लोगों को इकट्ठा करने और योजना साझा करने के लिए इस्तेमाल किया गया। प्रदर्शनकारियों के पास से हथियार और पत्थर बरामद हुए। जांच में वीडियो और कॉल रिकॉर्ड्स से साक्ष्य मिले हैं।" जिलाधिकारी अविनाश सिंह ने बताया कि डेढ़ घंटे में स्थिति काबू में आ गई, और शाम से अब तक कोई अप्रिय घटना नहीं हुई।
मौलाना तौकीर रजा का इतिहास विवादास्पद रहा है। बरेलवी संप्रदाय के संस्थापक अहमद रजा खान के वंशज, वे 2010 के बरेली दंगों में जेल जा चुके हैं, जब 23 दिनों का कर्फ्यू लगा था। 2019-20 के एंटी-सीएए प्रदर्शनों में भी उन पर भीड़ भड़काने का आरोप लगा। इस बार, पुलिस ने उन्हें मुख्य साजिशकर्ता बताते हुए घर से रात में गिरफ्तार किया।
एसएसपी अनुराग आर्य ने कहा, "आठ गिरफ्तारियां हुईं, जिसमें सात आईएमसी कार्यकर्ता शामिल हैं। नादिम नामक फरार आरोपी की तलाश जारी है, जो व्हाट्सएप और फोन से संपर्क में था।" रजा ने गिरफ्तारी से पहले वीडियो जारी कर दावा किया कि पुलिस ने उन्हें घर में नजरबंद कर दिया और अनुमति का फर्जी दस्तावेज दिखाया। लेकिन पुलिस ने इसे खारिज करते हुए कहा कि पांच दिनों की साजिश थी, और एनएसए लगाने पर विचार हो रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ के 'विकसित यूपी' कार्यक्रम में बरेली हिंसा पर सीधा निशाना साधा। उन्होंने कहा, "2017 से पहले दंगे और कर्फ्यू आम थे, लेकिन अब विकास की राह पर यूपी है। कोई सिस्टम को बंधक नहीं बना सकता। बुलडोजर उन लोगों के लिए बने हैं जो जाति-धर्म के नाम पर हिंसा भड़काते हैं।"
योगी ने बिना नाम लिए रजा पर कटाक्ष किया, "मौलाना को लगा था कि धमकी देकर सब रुक जाएगा, लेकिन हमने साफ कर दिया- न जाम, न कर्फ्यू। ऐसा सबक सिखाएंगे कि भविष्य की पीढ़ियां दंगे के बारे में सोचेंगी भी नहीं।"