छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में माओवादियों के खिलाफ सुरक्षाबलों की कार्रवाई का बड़ा असर देखने को मिला है। छत्तीसगढ़ सरकार की आत्मसमर्पण नीति और पुलिस के बढ़ते दबाव के कारण मंगलवार को 33 लाख रुपए के इनामी सहित कुल 20 नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया। इनमें नौ महिलाएं और ग्यारह पुरुष शामिल हैं। इन नक्सलियों ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय में वरिष्ठ अधिकारियों के सामने बिना हथियार के आत्मसमर्पण किया और समाज की मुख्यधारा से जुड़ने की इच्छा जताई।
पीएलजीए बटालियन के सदस्य भी शामिल
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में पीएलजीए बटालियन में सक्रिय एक महिला नक्सली समेत कई बड़े नाम शामिल हैं। इनमें एक एसीएम (एरिया कमेटी मेंबर), चार पार्टी सदस्य और सोलह अन्य फ्रंटल संगठनों के सदस्य थे। इन पर कुल 33 लाख रुपए का इनाम घोषित था, जिनमें से दो नक्सलियों पर आठ-आठ लाख, एक पर पांच लाख, चार पर दो-दो लाख और चार पर एक-एक लाख रुपए का इनाम था। यह आत्मसमर्पण नक्सलियों के बीच बढ़ती निराशा और संगठन के खोखले होते जा रहे आधार को दर्शाता है।
पुलिस के बढ़ते प्रभाव और पुनर्वास नीति का असर
सुकमा जिले के वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में चलाए जा रहे अभियानों और छत्तीसगढ़ शासन की "नियद नेल्ला नार" (अच्छा गांव, अच्छा भविष्य) योजना का असर साफ दिख रहा है। लगातार स्थापित हो रहे नए सुरक्षा कैंपों के कारण अंदरूनी क्षेत्रों में पुलिस की पहुंच बढ़ रही है। नक्सली संगठन के अमानवीय व्यवहार, आधारहीन विचारधारा, शोषण और बाहरी नक्सलियों के अत्याचारों से तंग आकर इन नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ दिया।
आत्मसमर्पण के इस कदम में जिला बल, डीआरजी, सीआरपीएफ और कोबरा बटालियन के आसूचना शाखा के कर्मियों की विशेष भूमिका रही है, जिन्होंने इन नक्सलियों को आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित किया।
कौन हैं आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली?
आत्मसमर्पण करने वालों में कई कुख्यात नक्सली शामिल हैं। इनमें शर्मिला उर्फ उईका भीमे (इनाम 8 लाख), ताती कोसी उर्फ परमिला (इनाम 8 लाख), और मुचाकी हिड़मा उर्फ बुयूर (इनाम 5 लाख) जैसे हार्डकोर माओवादी शामिल हैं। शर्मिला पीएलजीए बटालियन में सक्रिय थी और कई वारदातों में शामिल रही है। मुचाकी हिड़मा दक्षिण बस्तर डिवीजन में एसीएम के पद पर था। इनके अलावा, मड़कम देवे, मडकम कोसी और माड़वी गंगा जैसे अन्य सक्रिय सदस्य भी शामिल हैं, जिन पर दो-दो लाख रुपए का इनाम था।
पुनर्वास और सम्मान का वादा
पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण ने आत्मसमर्पित नक्सलियों का स्वागत करते हुए उन्हें आश्वासन दिया कि सरकार की पुनर्वास नीति के तहत उन्हें हर संभव मदद दी जाएगी। सभी नक्सलियों को पचास-पचास हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। यह कदम उन्हें एक सामान्य और सम्मानजनक जीवन शुरू करने का अवसर देगा। पुलिस अधीक्षक ने नक्सली संगठनों में शामिल अन्य सदस्यों से भी हिंसा का रास्ता छोड़ने और मुख्यधारा में वापस आने की अपील की। उन्होंने कहा कि सरकार और पुलिस प्रशासन उन्हें सुरक्षा और एक बेहतर जीवन का भरोसा देते हैं, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए नई राह बनाएगा।
इस बड़े आत्मसमर्पण को बस्तर में नक्सल विरोधी अभियान की एक बड़ी सफलता माना जा रहा है। यह दर्शाता है कि नक्सलवाद की विचारधारा कमजोर हो रही है और सुरक्षाबलों के साथ-साथ सरकार की पुनर्वास नीतियां भी प्रभावी साबित हो रही हैं। यह घटना बस्तर के भविष्य में शांति और विकास की एक नई उम्मीद जगाती है।
रिपोर्ट
शोमेन चंद्र