कम्युनिस्टों के गढ़ में अपने समाज को 'लव जिहाद' से बचाने 'द केरल स्टोरी' दिखा रहे चर्च

कांग्रेस और कम्युनिस्ट समूहों ने इस फ़िल्म को भाजपा-आरएसएस का प्रोपेगेंडा बताया था, इसे हिंदुओं द्वारा गढ़ा गया प्रपंच बताया था, लेकिन सच्चाई यह है कि केरल में चर्च भी इस मामले को लेकर गंभीर है और अब इस्लामिक जिहादियों द्वारा किए जा रहे "जिहादी गतिविधियों" के प्रति अपने समाज के युवाओं को जागरूक करने का प्रयास करेंगे।

The Narrative World    10-Apr-2024   
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बीते
5 अप्रैल को जब दूरदर्शन के द्वारा 'द केरल स्टोरी' फ़िल्म का प्रसारण किया जा रहा था, तब प्रदेश की कम्युनिस्ट सरकार के मुख्यमंत्री पी विजयन समेत कई कम्युनिस्ट नेताओं ने इसका विरोध किया था।


कांग्रेस के नेता और केरल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वीडी सतीशन ने तो चुनाव आयोग को पत्र लिखकर इस फ़िल्म के प्रसारण पर रोक लगाने की मांग की थी।

 

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हालांकि कांग्रेस और कम्युनिस्टों को इस्लामिक तुष्टिकरण में किए जा रहे इन षड्यंत्रों में सफलता नहीं मिली, बावजूद वो इस फ़िल्म को प्रोपेगेंडा बताने में लगे रहे।


इस बीच कांग्रेस और कम्युनिस्ट समूहों ने इस फ़िल्म को भाजपा-आरएसएस का प्रोपेगेंडा बताया था, इसे हिंदुओं द्वारा गढ़ा गया प्रपंच बताया था, लेकिन सच्चाई यह है कि केरल में चर्च भी इस मामले को लेकर गंभीर है और अब इस्लामिक जिहादियों द्वारा किए जा रहे 'जिहादी गतिविधियों' के प्रति अपने समाज के युवाओं को जागरूक करने का प्रयास करेंगे।


अपने समाज के युवाओं को जिहाद की इस वास्तविकता को समझाने के लिए चर्च ने भी 'द केरल स्टोरी' फ़िल्म का सहारा लिया है। दरअसल केरल की सबसे बड़ी कैथोलिक ईसाई संस्था सायरो मालाबार चर्च ने फैसला किया है कि वो अगले दो सप्ताह में ईसाई समाज के किशोरों एवं युवाओं को 'द केरल स्टोरी' फ़िल्म दिखाएगी।


चर्च इसकी स्क्रीनिंग आगामी सप्ताह के रविवार को प्रार्थना के बाद करेगा। सायरो मालाबार के अनुसार प्रदेश के लगभग 500 चर्चों में ईसाई युवाओं को यह फ़िल्म दिखाई जाएगी।


ईसाई युवाओं के बीच लव जिहाद और इस्लामिक जिहाद के षड्यंत्र की सच्चाई को दिखाने के लिए चर्च यह प्रयास कर रहा है, जिसे लेकर इडुक्की के मीडिया प्रभारी (सायरो मालाबार संस्था) पादरी जिन्स काराक्कट का कहना है कि 'द केरल स्टोरी' फ़िल्म की स्क्रीनिंग रखने के पीछे का उद्देश्य मुख्य रूप से लव जिहाद को रोकना और उसके प्रति लोगों को जागरूक करना है।


गौरतलब है कि जब बीते 5 अप्रैल को दूरदर्शन में यह फ़िल्म प्रसारित की जा रही थी, उससे पहले ही 2 से 4 अप्रैल तक चर्च ने इडुक्की में 30 स्थानों पर चर्च से जुड़े युवाओं को यह फ़िल्म दिखाई थी।

 

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इस फ़िल्म को दिखाने के दौरान ईसाई किशोर एवं किशोरियों को समीक्षा लिखने के लिए भी कहा गया था कि कैसे यह फ़िल्म अन्य फिल्मों से अलग है। इसके अलावा चर्च ने सभी को लव जिहाद से संबंधित पुस्तिका भी बांटी थी, जिसमें लड़कियों को प्रेम जाल में फंसाने के षड्यंत्र को बताया गया था।


इस कार्यक्रम को लेकर ईसाई पादरी काराक्कट का कहना है कि जब इस फ़िल्म को देश में प्रतिबंधित नहीं किया गया है, तो इसे प्रदर्शित करना भी गलत नहीं है।


इडुक्की में चर्च द्वारा दिखाए गए इस फ़िल्म को लेकर कम्युनिस्ट और कांग्रेस समूह में तिलमिलाहट देखने को भी मिली है। चर्च के द्वारा फ़िल्म दिखाए जाने पर दोनों पार्टियां इसके विरोध में उतर आए थे।


वहीं दूसरी ओर चर्च ने भी कांग्रेस और कम्युनिस्ट समूहों के इस्लामिक तुष्टिकरण को देखते हुए इडुक्की के बाद थामारास्सेरी में युवाओं को यह फ़िल्म दिखाई और पूरे प्रदेश में इसकी स्क्रीनिंग करने का निर्णय लिया है।


गौरतलब है कि लव जिहाद के खौफनाक षड्यंत्र को उजागर करती यह फ़िल्म द केरल स्टोरी बीते वर्ष मई माह में रिलीज़ हुई थी, जिसके बाद पूरे देश में कांग्रेस-कम्युनिस्ट-इस्लामिक समूह एकजुट होकर इसका विरोध कर रहे थे। हालांकि देश की जनता ने इस फ़िल्म को जबरदस्त समर्थन दिया जिसके बाद यह फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर साबित हुई।


इस फ़िल्म की प्रासंगिकता को इसी से समझा जा सकता है कि आज एक वर्ष के बाद भी इसकी चर्चा हो रही है, और एक वर्ग अभी भी इसकी चर्चा से तिलमिला रहा है।