भारत के लोगों ने साफ कर दिया है कि जो देश आतंकवाद का साथ देंगे, उन्हें भारत से कोई व्यापार या सहानुभूति नहीं मिलेगी।
तुर्की और अज़रबैजान ने जब पाकिस्तान के समर्थन में बयान दिया और भारतीय सैन्य कार्रवाई की आलोचना की, तब भारतवासियों का गुस्सा फूट पड़ा।
अब हर स्तर पर इन दोनों इस्लामी देशों के खिलाफ बहिष्कार की लहर तेज हो गई है।
जिस वक्त जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद पूरा देश एकजुट होकर आतंक के खिलाफ खड़ा था, उसी वक्त तुर्की और अज़रबैजान ने भारत के खिलाफ बयान दिए।
भारत के विदेश मंत्रालय ने जब साफ किया कि ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के दौरान पकड़े गए ड्रोन तुर्की से आए थे, तब बहिष्कार की यह आवाज और बुलंद हो गई।
पर्यटन उद्योग ने सबसे पहले दिया जवाब
भारत से तुर्की और अज़रबैजान घूमने जाने वालों की संख्या पिछले कुछ सालों में काफी बढ़ी थी।
2024 में ही 2.43 लाख भारतीय अज़रबैजान गए, जो 2023 से 108 फीसदी ज्यादा है। वहीं तुर्की ने भी 3.3 लाख भारतीय पर्यटकों को आकर्षित किया। पर अब इन आंकड़ों में भारी गिरावट आनी तय है।
EaseMyTrip, Ixigo, Cox & Kings जैसे बड़े ट्रैवल प्लेटफॉर्म ने इन दोनों देशों के लिए नई बुकिंग्स बंद कर दी हैं। छोटी ट्रैवल कंपनियों ने भी बुकिंग रद्द करने का फैसला लिया है।
6 दिनों में ही तुर्की और अज़रबैजान के लिए आधे से ज्यादा बुकिंग रद्द हो चुकी हैं। अब भारतीय पर्यटकों को ग्रीस और अर्मेनिया जैसे विकल्प सुझाए जा रहे हैं।
गोवा के एक प्रतिष्ठित होटल ग्रुप ‘Goa Villas’ ने तो तुर्की के नागरिकों को आवास देना बंद कर दिया है।
यह एक सीधा संदेश है कि अब भारत के लोग आतंक समर्थकों के साथ किसी भी तरह का व्यापार नहीं करेंगे।
बाजारों और कारोबारियों ने भी दिखाई देशभक्ति
उदयपुर के मार्बल व्यापारियों ने तुर्की से होने वाले व्यापार को पूरी तरह बंद कर दिया है। उदयपुर मार्बल प्रोसेसर्स कमेटी के अध्यक्ष कपिल सुराना ने कहा कि भारत में जो 70% मार्बल तुर्की से आता है, वह अब नहीं आएगा।
इससे भारतीय मार्बल उद्योग को फायदा होगा और दुनिया को ये भी दिखेगा कि भारत अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं करता।
पुणे में ड्राई फ्रूट्स और सेब व्यापारियों ने भी तुर्की के उत्पादों को न खरीदने का ऐलान किया है।
व्यापारी सुयोग ज़ेंडे ने बताया कि तुर्की के सेब भारत में तीन महीने तक बिकते हैं और इनका कारोबार 1200 से 1500 करोड़ रुपये का है।
लेकिन अब जब तुर्की ने पाकिस्तान का समर्थन किया है, तो भारतीय ग्राहक भी तुर्की के उत्पाद नहीं खरीदना चाहते।
रक्षा क्षेत्र ने भी उठाया ठोस कदम
हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड ने पिछले साल ही तुर्की के साथ भारतीय नौसेना के सपोर्ट शिप्स के निर्माण का कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया था।
रक्षा मंत्रालय ने इस फैसले के पीछे तुर्की के भारत विरोधी रुख को कारण बताया था।
अब जब तुर्की ने खुले तौर पर पाकिस्तान को हथियार सप्लाई किए हैं, तो यह निर्णय और भी सही साबित होता है।
सोशल मीडिया पर भी जोरदार समर्थन
सोशल मीडिया पर लोग अब तुर्की और अज़रबैजान के उत्पादों की लिस्ट बना रहे हैं ताकि उनका बहिष्कार किया जा सके।
लोग Myntra, Ajio और अन्य शॉपिंग साइट्स से कह रहे हैं कि वे तुर्की के ब्रांड्स को हटा दें।
लेकिन कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी और स्वयंभू सेक्युलर अब भी तुर्की का समर्थन कर रहे हैं।
अकार पटेल ने कहा कि वह तुर्की जाएंगे, जिस पर राणा अय्यूब ने समर्थन जताया।
सबा नक़वी ने चीन का बहिष्कार करने की बात कही ताकि उनका इस्लामी झुकाव न दिखे।
लेकिन सच्चाई ये है कि राष्ट्रवादी भारतवासी पहले से ही चीन का बहिष्कार कर रहे हैं।
भारत की जनता ने दिखाया कि अब कोई समझौता नहीं होगा
तुर्की और अज़रबैजान को अब ये समझ में आ जाना चाहिए कि भारत केवल कूटनीतिक स्तर पर ही नहीं, जनता के स्तर पर भी आतंकवाद समर्थकों को जवाब देता है।
जब मालदीव ने भारत विरोधी बयान दिए थे, तब वहां का पर्यटन उद्योग हिल गया था। अब वही हाल तुर्की और अज़रबैजान का होने वाला है।
भारत की जनता ने दिखा दिया है कि जो देश आतंक का साथ देंगे, उनके साथ कोई कारोबार नहीं किया जाएगा।
यह सिर्फ एक ऑनलाइन ट्रेंड नहीं, एक जन-आंदोलन बन चुका है।
आतंकवाद के समर्थकों को हर स्तर पर आर्थिक, सामाजिक और कूटनीतिक नुकसान होगा। यही नया भारत है – जो न भूलता है, न माफ करता है।
लेख
शोमेन चंद्र
तिल्दा, छत्तीसगढ़