भारत ने घरेलू उद्योगों को सस्ते चीनी माल से हो रहे नुकसान से बचाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। 2017 से 2025 तक भारत ने चीन से आने वाले 18 अलग-अलग उत्पादों पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई है। इसका मकसद साफ है! "देशी कंपनियों को टिकाऊ बनाना और विदेशी बाजारों की अनुचित प्रतिस्पर्धा से बचाना।"
जब कोई देश किसी उत्पाद को दूसरे देश में इतनी सस्ती कीमत पर बेचता है, जो उसकी असली लागत से भी कम होती है, तो इसे 'डंपिंग' कहते हैं। इससे उस देश की स्थानीय कंपनियों को नुकसान होता है। ऐसे मामलों में भारत सरकार विदेशी उत्पाद पर एक खास शुल्क लगाती है, जिसे 'एंटी-डंपिंग ड्यूटी' कहते हैं।
भारत में यह प्रक्रिया वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाली डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडीज (DGTR) के जरिए होती है। DGTR जांच करता है कि कोई उत्पाद डंप हो रहा है या नहीं और क्या उससे देशी उद्योग को वाकई चोट पहुंच रही है। जांच सही पाए जाने पर DGTR वित्त मंत्रालय को सिफारिश भेजता है। फिर CBIC (केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड) आधिकारिक तौर पर शुल्क लागू करता है।
हाल ही में जिन प्रमुख चीनी वस्तुओं पर पांच साल के लिए एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाई गई है, उनमें शामिल हैं:
- हर्बीसाइड्स में इस्तेमाल होने वाला PEDA – 2017 डॉलर/टन तक शुल्क
- Acetonitrile – 481 डॉलर/टन तक
- Vitamin-A Palmitate – 20.87 डॉलर/किलो
- Vacuum Insulated Flasks – 1732 डॉलर/टन
- Aluminium Foil – 873 डॉलर/टन
- Solar Glass, Steel Wire Rods, Flax Yarn, Laser Machinery, Ceramic Tableware सहित अन्य कई उत्पाद
इनमें कुछ रोजमर्रा की चीजें भी हैं जैसे टिफिन, शीशा, सजावटी पेपर और रसोई के बर्तन।
सरकार का मानना है कि इन उपायों से देश की मैन्युफैक्चरिंग को मजबूती मिलेगी। विदेशी कंपनियां जब भारत में अपने उत्पाद बेहद सस्ते दामों पर बेचती हैं तो भारतीय कंपनियों को टिकना मुश्किल हो जाता है। इससे रोजगार भी प्रभावित होता है। एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाने से बाजार में बराबरी की प्रतिस्पर्धा बनती है और देशी कंपनियों को राहत मिलती है।
कुछ मामलों में एंटी-डंपिंग ड्यूटी से वस्तुएं थोड़ी महंगी हो सकती हैं, लेकिन सरकार का मानना है कि लंबे समय में इससे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और आत्मनिर्भर भारत का सपना भी साकार होगा।
अकेले चीन से आने वाले 99 से ज्यादा उत्पादों पर भारत पहले ही एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगा चुका है। इससे साफ है कि भारत चीन की सस्ती और अनैतिक व्यापार नीति से सतर्क है और देशी उद्योगों को बचाने के लिए लगातार कदम उठा रहा है।
भारत का यह निर्णय सिर्फ व्यापारिक नहीं बल्कि रणनीतिक भी है। घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देकर भारत न केवल आत्मनिर्भर बन रहा है बल्कि चीन को भी यह साफ संदेश दे रहा है कि अब 'लोकल' को प्राथमिकता मिलेगी और 'डंपिंग' को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
लेख
शोमेन चंद्र
तिल्दा, छत्तीसगढ़