छत्तीसगढ़ में ईसाई मिशनरियों द्वारा कन्वर्जन की घटनाएं तेजी से बढ़ती जा रही हैं। बीते एक साल में ही सरकार के पास ऐसे 43 मामले पहुंचे हैं जिनमें लालच, धोखे और डर दिखाकर भोले-भाले लोगों को ईसाई बनाने की कोशिश की गई। सबसे ज्यादा मामले जनजाति इलाकों से जुड़े हैं, जहां मिशनरियां लगातार सक्रिय हैं और जनजातीय संस्कृति को कमजोर करने का प्रयास कर रही हैं।
राज्य सरकार की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक इन 43 मामलों में से 23 पर एफआईआर दर्ज हो चुकी है और एक पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की गई है। बाकी मामलों में जांच जारी है। इस साल सबसे ज्यादा शिकायतें बलरामपुर, कोरबा, जशपुर और बस्तर जैसे जिलों से आई हैं। इन जिलों में कन्वर्जन के लिए गरीबों को पैसे, नौकरी, शिक्षा और इलाज का लालच दिया जा रहा है।
दुर्ग जिले की घटना ने तो पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया। रेलवे स्टेशन से दो नन और एक ईसाई युवक को पकड़ा गया, जो तीन जनजाति लड़कियों को नौकरी के बहाने आगरा ले जाकर उनका कन्वर्जन कराने की तैयारी में थे। इनके पास से कई लड़कियों की तस्वीरें और पादरियों के नंबरों वाली डायरी बरामद हुई है।
बलरामपुर जिले में हाल ही में एक 'चंगाई सभा' में पुलिस ने छापा मारकर चार लोगों को गिरफ्तार किया। वहां गांव वालों को चमत्कार के नाम पर ईसाई धर्म अपनाने के लिए कहा जा रहा था। मुंगेली जिले में एक व्यक्ति को देवी-देवताओं का अपमान करते हुए धर्म बदलने के लिए लोगों को उकसाने के आरोप में पकड़ा गया। जशपुर में प्रार्थना सभा के दौरान हुए विवाद में एक आरोपी को हिरासत में लिया गया जबकि पास्टर मौके से फरार हो गया।
साल 2021 से अब तक के आंकड़ों को देखा जाए तो कन्वर्जन के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
- 2024-25 में अब तक 43 शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं
कुल मिलाकर पिछले 4 सालों में 102 शिकायतें दर्ज हुई हैं, जिनमें से 44 मामलों में अपराध पंजीबद्ध किया गया है।
इस पूरे मामले की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विधानसभा में यह मुद्दा उठाया गया और खुद मंत्री ने स्वीकार किया कि कन्वर्जन का खतरा बढ़ता जा रहा है। बलरामपुर में ही 10, बिलासपुर में 8 और कोरबा में 7 मामले सामने आए हैं।
मिशनरियों द्वारा चलाया जा रहा यह कन्वर्जन अभियान सिर्फ धर्म परिवर्तन का मामला नहीं है, यह हमारे समाज की जड़ों को खोखला करने की साजिश है। भोले-भाले जनजातियों को अपने धर्म से काटकर उन्हें विदेशी संस्कृति में ढालने की ये कोशिशें बेहद खतरनाक हैं। इससे न केवल हमारी परंपराएं और आस्था प्रभावित हो रही है, बल्कि सामाजिक सौहार्द भी खतरे में है।
छत्तीसगढ़ में अब वक्त आ गया है कि इस बढ़ते खतरे को गंभीरता से लिया जाए और ऐसे तत्वों पर सख्त कार्रवाई हो। यह केवल सरकार की नहीं, पूरे समाज की जिम्मेदारी है कि कन्वर्जन के इस जहर को फैलने से रोका जाए। जो लोग धर्म की आड़ में मासूमों की आस्था पर हमला कर रहे हैं, उन्हें कानून के कठोर हाथों से जवाब देना होगा।
लेख
शोमेन चंद्र
तिल्दा, छत्तीसगढ़