भारतीय सेना की ताकत सिर्फ उसके सैनिकों के जज्बे में नहीं, बल्कि उनके हथियारों में भी झलकती है। इन्हीं हथियारों में से एक है
INSAS राइफल (Indian Small Arms System), जिसने दशकों तक भारतीय सैनिकों के हाथों में देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाली। यह राइफल भारत की आत्मनिर्भरता और तकनीकी क्षमता का प्रतीक रही है।
INSAS राइफल का विकास 1980 के दशक के अंत में शुरू हुआ और इसे 1998 में भारतीय सेना में शामिल किया गया। इसका निर्माण ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (OFB) और आर्मी डिजाइन ब्यूरो ने मिलकर किया था। यह राइफल पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है, जो भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम था।
INSAS राइफल अपनी सटीकता और स्थिरता के लिए जानी जाती है। यह 5.56x45 मिमी की नाटो मानक गोलियां चलाती है, जो मध्यम दूरी पर बेहद प्रभावी हैं। चाहे रेगिस्तान की तपती गर्मी हो या हिमालय की ठंड, इस राइफल ने हर परिस्थिति में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। भारतीय सैनिकों ने इसे कारगिल युद्ध जैसे कठिन अभियानों में भी बड़े आत्मविश्वास के साथ इस्तेमाल किया।
1999 के कारगिल युद्ध में INSAS राइफल ने भारतीय सैनिकों की मुख्य हथियार के रूप में निर्णायक भूमिका निभाई। दुश्मन की ऊंचाई पर स्थित पोस्टों पर कब्जा करने में इस राइफल की सटीक मारक क्षमता और हल्के वजन ने सैनिकों को बढ़त दी। हर गोली के साथ यह राइफल देशभक्ति की आवाज बन गई। कारगिल की बर्फीली चोटियों पर भारतीय जवानों ने INSAS के दम पर दुश्मनों को पीछे हटाया और भारत की जीत सुनिश्चित की।
INSAS का डिजाइन इस तरह बनाया गया था कि इसे किसी भी माहौल में आसानी से चलाया जा सके। इसका वजन संतुलित है और इसे संभालना सरल है। यह राइफल न सिर्फ प्रशिक्षित सैनिकों के लिए, बल्कि नए जवानों के लिए भी उपयुक्त साबित हुई। इसका रखरखाव भी आसान है और इसमें जटिल मैकेनिकल संरचना नहीं है।
INSAS राइफल भारत के रक्षा उद्योग के आत्मविश्वास की कहानी कहती है। पहले जहां भारत को राइफलें विदेशी देशों से खरीदनी पड़ती थीं, वहीं INSAS के आने के बाद देश ने यह साबित किया कि हम खुद अपने सैनिकों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले हथियार बना सकते हैं। यह सिर्फ एक राइफल नहीं बल्कि भारत के तकनीकी विकास और स्वाभिमान का प्रतीक है।
INSAS राइफल की लोकप्रियता सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रही। नेपाल, भूटान और ओमान जैसे देशों ने भी इस राइफल को अपनाया। इससे भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता और विश्वसनीयता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली।
आज भले ही आधुनिक असॉल्ट राइफलें सेना में आ रही हों, लेकिन INSAS ने जो नींव रखी, उसी पर भारत की आधुनिक हथियार प्रणाली खड़ी है। यह राइफल आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहेगी कि कैसे एक स्वदेशी प्रयास देश की सुरक्षा का मजबूत आधार बन सकता है।
INSAS राइफल सिर्फ एक हथियार नहीं बल्कि भारत की स्वावलंबन यात्रा का प्रतीक है। इसने देश की सीमाओं की रक्षा में अहम भूमिका निभाई और भारतीय सैनिकों के विश्वास को मजबूत किया। INSAS के हर ट्रिगर में देशभक्ति की वह गूंज सुनाई देती है जिसने भारत को आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने की राह दिखाई।
लेख
शोमेन चंद्र