हरियाणा के हिसार की यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा से जुड़ी जासूसी केस में लगातार चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं।
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने किस तरह भारत में अपना जाल बिछाया, इसका ताजा उदाहरण यही मामला है।
सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान हाई कमीशन में काम कर चुका एहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश दिल्ली में उन लोगों से संपर्क कर रहा था जिन्होंने पाकिस्तान का वीजा लिया था या लेने की कोशिश की थी।
दिल्ली पुलिस की शुरुआती जांच में पता चला कि दानिश असल में ISI का इंस्पेक्टर रैंक अधिकारी था।
वह यहां वीजा ऑफिसर बनकर काम कर रहा था लेकिन उसका असली मकसद भारतीय नागरिकों को फंसाकर जासूसी करवाना था।
दानिश सीधे ISI के सीनियर अधिकारी शोएब को रिपोर्ट करता था। उसे भारत में सिम कार्ड्स की व्यवस्था करने और सोशल मीडिया पर असर रखने वाले लोगों को फंसाने का टास्क मिला था।
दानिश का पासपोर्ट इस्लामाबाद से जारी हुआ था और उसे 21 जनवरी 2022 को भारत का वीजा मिला था।
पता चला है कि वह ज्योति मल्होत्रा के संपर्क में था, जिसे 16 मई को हिसार के न्यू अग्रसेन एक्सटेंशन से गिरफ्तार किया गया।
ज्योति का यूट्यूब चैनल
"ट्रैवल विद जो" है और उसके करीब 4 लाख सब्सक्राइबर्स हैं।
पुलिस ने ज्योति के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता और ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट की धाराओं के तहत केस दर्ज किया है।
उसका लैपटॉप और तीन मोबाइल फोन्स जब्त कर फॉरेंसिक जांच के लिए भेजे गए हैं। उसकी चार बैंक अकाउंट्स की भी जांच हो रही है।
जांच एजेंसियां ये पता लगाने में जुटी हैं कि उसने पाकिस्तान को कौन-कौन सी गोपनीय जानकारियां दीं।
इंटेलिजेंस ब्यूरो, नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी और मिलिट्री इंटेलिजेंस ने उससे पूछताछ की है।
सूत्रों के मुताबिक, ज्योति ने 2023 में पाकिस्तान का वीजा अप्लाई करते समय दानिश से पहली बार बात की थी।
उसी समय से वह उसके संपर्क में बनी रही। दानिश ने उसकी वीजा एक्सटेंशन में मदद की, रहने की व्यवस्था कराई और पाकिस्तान में ISI एजेंट्स से उसका संपर्क कराया।
वह पाकिस्तान में अली हसन से मिली, जिसने उसके लिए यात्रा और रहने की व्यवस्था की।
इसके बाद उसकी मुलाकात शाकिर और राणा शाहबाज से हुई। शाकिर से उसने लाहौर में मुलाकात की और उसका नंबर 'जट्ट रणधावा' के नाम से सेव किया।
शाकिर भारतीय यूट्यूबर्स को पैसे या घूमने का लालच देकर फंसाता था। उसने एक साल में तीन बार नाम बदला और व्हाट्सएप बिजनेस अकाउंट भी डिलीट कर दिया।
जांच में एक नया मोड़ तब आया जब पता चला कि यूएई की एक कंपनी 'वेगो' ने ज्योति की कुछ ट्रैवल वीडियो को स्पॉन्सर किया था।
इस कंपनी को पाकिस्तान, दुबई और सिंगापुर में काम करने की इजाजत है।
कंपनी की पाकिस्तान में गतिविधियों को लेकर एजेंसियां सतर्क हो गई हैं।
पिछले कुछ सालों में दिल्ली पुलिस और मिलिट्री इंटेलिजेंस ने पाकिस्तान हाई कमीशन के कई अधिकारियों को ISI एजेंट के रूप में पकड़ा है।
2020 में ताहिर खान और अबिद हुसैन को डिप्लोमेटिक इम्यूनिटी खत्म कर वापस भेजा गया था।
2016 में मेहमूद अख्तर को भी ऐसे ही पकड़ा गया था, जिसके पास से सीमा और सेना से जुड़ी जानकारियां मिली थीं।
ISI भारत में जासूसी के लिए हाई कमीशन के अधिकारियों को फर्जी पहचान से भेजता है।
ये अधिकारी वीजा आवेदकों की मदद के बदले उनसे भारतीय सेना या सुरक्षाबलों के कमजोर लोगों की जानकारी जुटाते हैं।
ज्योति मल्होत्रा का केस दिखाता है कि ISI सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को भी अपने जाल में फंसा रहा है।
भारत में ऐसे और भी कई लोग हो सकते हैं जो ISI के संपर्क में हैं।
पाकिस्तान जंग के मैदान में भारत का मुकाबला नहीं कर सकता, इसलिए वह छल और धोखे के रास्ते पर चल रहा है।
लेख
शोमेन चंद्र
तिल्दा, छत्तीसगढ़